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kavimahendramadh5757
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kavi mahendra madhur

01/09/1986

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kavi mahendra madhur

#दीपावली
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kavi mahendra madhur

हमारी प्रीत का कुछ इस तरह वन्दन हुआ होता,

किनारा इस नदी का और भी पावन  हुआ होता,

नदी  के  पार  पहुंचाता बिठाकर नाव में तुंमको,

जो  तुम  गुंजा हुई होती तो मैं चन्दन हुआ होता,


-पं. महेन्द्र मधुर

©kavi mahendra madhur #Youme
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kavi mahendra madhur

किसी मन्दिर किसी मस्जिद
                       से भी पावन तिरंगा है,।

अगर  है  जिन्दगी  इक  धूप 
                         तो  सावन  तिरंगा है,।

किसी को क्या पता क्या है 
                      तिरंगा  जान लो इतना,।

हमारा  मन   हमारा   तन  
                     हमारा   धन  तिरंगा  है,।

-पं. महेन्द्र मधुर

©kavi mahendra madhur #नेशनल फ्लैग
#RoadToHeaven
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kavi mahendra madhur

सत्ता  का यह राजमुकुट कब किसकी रहा बपौती है
लोकतंत्र  में  जनादेश  ही   सबसे   बड़ी   चुनोती  है

उम्र  छोटी  कद   भी   छोटा  पर    इरादे   हैं   महान
इस  सफलता पर तुम्हारा करता है जन जन संम्मान

खामखेड़ा  ने  दिया  है  वर  चुनाव  चिन्ह  चश्मा को
विजय  श्री  की  लाख  बधाई  प्रेमनारायण  वर्मा को


अनंत अक्षोहिणी बधाई  सरपंच साहब

©kavi mahendra madhur #friends
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kavi mahendra madhur

हमारे   हैं  तुम्हारे  हैं  सभी  के  ईश  बैठे  हैं,

हजारों  भक्त  है उनके झुकाकर शीश बैठे हैं,

बुलावा आज आया है महेश्वर धाम से हमको,

चले  रथ  यात्रा में हम  जहां  जगदीश बैठे हैं,

पं.महेन्द्र मधुर

©kavi mahendra madhur #rathyatra2022

#roseday
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kavi mahendra madhur

जहां  के  बन्धनों की तोड़कर जंजीर निकलेगा,

कहीं पर वीर निकलेगा कहीं महावीर निकलेगा,

 हमारे   राष्ट्र  की  संचेतना  में  स्वस्ति  मंत्रो की,

ध्वनी को घोलने घर घर से अग्निवीर निकलेगा,

-पं. महेन्द्र मधुर

©kavi mahendra madhur #agniveer
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kavi mahendra madhur

नही कोई मिला अब तक तुम्हारे गात के जैसा।

सुनहरी प्रात  के  जैसा   रुपहली रात के जैसा।

तुम्हारी देह  छूकर  मैं  हमेशा  भीग  जाता  हूँ।

तुम्हारा ये बदन  आषाढ़ की बरसात के जैसा।

-पं. महेन्द्र मधुर

©kavi mahendra madhur #rain
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kavi mahendra madhur

सत्ता का यह राजमुकुट कब 
                        किसकी रहा बफोती है,
लोक  तंत्र   में  जनादेश  ही
                           सबसे बड़ी चुनोती है,
ऐसे तो  कई  हजारों   यहां 
                       गुमनाम जिन्दगी जीते हैं,
बिरले ही सम्मानित होकर 
                      शोहरत का अमृत पीते हैं,
उम्र   छोटी   कद   भी  छोटा 
                          पर   इरादे   हैं  महान,
इस सफलता पर तुम्हारा 
                     जन जन करता है सम्मान,
सूरज की उगती किरणों को
                         घर घर तक पहुंचाना है,
भाई दिनशे  सिलोरिया  को 
                   बहुमत  से  विजय बनाना है,

©kavi mahendra madhur #SunSet
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kavi mahendra madhur

जय श्री परशुराम

तप   के  रहे   प्रतीक  लिए  धर्म  की  ध्वजा
स्थिर   रहा   मन   धैर्य  कभी  भी नही तजा
भण्डार  ज्ञान  के  रहे  थी  शक्ति भी अनन्त
डरते  थे  वक्र  दृष्टि  से  दिक्पाल  दिग्दिगंत
माना कि हो गया है शक्तियों का कुछ क्षरण
माना  कि  भिन्न  हो  गए  हैं अपने आचरण

हालात  है   जटिल   मगर  खराब   नही  है,
ब्राह्मण के  शक्ति ज्ञान  का  जवाब  नही  है,

दिल  के  बड़े  सरल हैं तो ऊपर से है कठोर
सदियों  तलक रहे हैं दानियों के भी सिरमौर
द्वारे  पे  आया  राजा  का  सम्मान  किया है
हमने  ही अपनी अस्थियों का  दान किया है
अन्याय   के  खिलाफ   पूर्ण  काम  हो  गये
फरसा   उठा  लिया  तो  परशुराम  हो  गये

अग्नि   तो   सुलगती  है  इंकलाब  नही  है,
ब्राह्मण के  शक्ति ज्ञान   का  जवाब नही है,

निर्माता  नीति  के  है  न्याय  के  हैं  पक्षधर
भिड़कर  के  देखले जो  कोई चाहता अगर
अपनी  शपथ  है  दुख  सभी  के  दूर करेंगे
जो    सामने    आएगा    चूर    चूर   करेंगे
सुख  का  हो साम्राज्य शांति की विजय रहे
सत्कर्म   और   धर्म   की   गंगा   सदा  बहे

इससे  बड़ा  आंखों  में  मधुर ख्वाब नही है,
ब्राह्मण के शक्ति ज्ञान  का  जवाब  नही  है,

-पं. महेन्द्र मधुर

©kavi mahendra madhur ##jayparshuram
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kavi mahendra madhur

सत्य  के  प्रणेता और युग के सृजेता रहे,
नेता  रहे  जेता  थे  विजेता वो कसम से ।

सुख शांति देता रहा सारे दुख लेता रहा,
खेता रहे न्याय  नाव  युग  में  धरम   से । 

युगचेता   अध्येता  अवतार  विष्णु   के,
जिनका  सम्बन्ध  रहा सदियों से हमसे ।

धरती से पाप को मिटाया नही घबराये,
और   युगधर्म  लाये  फरसे  के  दम से ।

-पं.महेन्द्र मधुर

©kavi mahendra madhur #जय श्री परशुराम

#WritersSpecial

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