मुक्तक
बुरे पल में यों सब अपने भी नाता तोड़ देते है
हो डग मग और अँधेरी राह तो तनहा छोड़ देते है
तड़पते थे कभी जो लोग एक दीदार को मेरे
आज वो देख कर मुझको मुहँ अपना मोड़ लेते है
:- कृष्ण उपाध्याय (9012324652)
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Krishn Upadhyay
मुक्तक
मुक्तक
बुरे पल में यों सब अपने भी नाता तोड़ देते है
हो डग मग और अँधेरी राह तो तनहा छोड़ देते है
तड़पते थे कभी जो लोग एक दीदार को मेरे
आज वो देख कर मुझको मुहँ अपना मोड़ लेते है
मुक्तक
मुक्तक
बुरे पल में यों सब अपने भी नाता तोड़ देते है
हो डग मग और अँधेरी राह तो तनहा छोड़ देते है
तड़पते थे कभी जो लोग एक दीदार को मेरे
आज वो देख कर मुझको मुहँ अपना मोड़ लेते है