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sarveshkumar4230
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Kanpuriya Style

A special person

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Kanpuriya Style

kahani
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Kanpuriya Style

comedy
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Kanpuriya Style

comedy
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Kanpuriya Style

"नज़र अपनी मिली है, तो नज़रिया किसी और का क्यों रखें।" "दरबदर भटक रहे है, कुछ यूँ अपनी ज़िंदगी को ढूंढ रहे है।" "ज़िंदगी का पता वही बता सकता है, जिसने ज़िंदगी जी हो, ना की गुज़ारी हो।" "ज़िंदगी से मेरा एक तरफा इश्क़ चल रहा है, पता नहीं और कितना वक़्त लगेगा साथ आने में।"

©Kanpuriya Style #sayriwale #sayrilovers
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Kanpuriya Style

दो चार ख्वाब हैं जिन्हें मैं आस्मां से दूर चाहता हूं,
जिंदगी चाहे गुमनाम रहे, मगर मौत मैं मशहूर चाहता हूं।

©Kanpuriya Style #sayri #sayriwale #sayrilovers
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Kanpuriya Style

#friend❤
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Kanpuriya Style

#interesting#interesting place #fall
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Kanpuriya Style

“बात कुछ ज्यादा पुरानी नहीं है, एक शहर में एक अमीर डॉक्टर रहा करता था , उसका एक अपना छोटा सा नर्सिंग होम था अच्छा चलता था उसकी पत्नी भी अस्पताल को चलाने में उसकी खूब मदद करती थी ,दो छोटे बच्चे होनहार और होशियार। दिन भर मरीज देखना और धनोपार्जन कर अपनी आजीविका चलाना, कुल मिलाकर जिंदगी मस्त चल रही थी। डॉक्टर साहब जब शहर में जाते तो राह चलते लोग उनका अभिवादन और सम्मान करते, किसी को कोई सामाजिक या घरेलू विवाद होता तो डॉक्टर साहब की राय ली जाती और उस पर अमल किया जाता, धाक इतनी की बेटा अपने बाप को मना कर दे, पर डॉक्टर साहिब की बात को न टाल पाए। डॉक्टर साहब भी अपनी सामाजिक दायित्व का बोध रखते हुए अपनी प्रैक्टिस को चलाते रहते  किसी मरीज की फीस कम, तो किसी की दवाई भी अपने पास से ही देते रहते। कुल मिलाकर जिस तरह की जिंदगी एक आम आदमी जीना पसंद करता है या अपने बच्चो को देना चाहता है उस तरह की जिदंगी का आस्वादन डॉक्टर साहिब ले रहे थे। 
पर जीवन बदलाव का चक्र है , समय बहुत तेजी से बदलता है, कुछ समाजकंटक लोगो को डॉक्टर साहिब की इस जीवन से ईर्ष्या होने लगी। कुछ पैसे वाले थे पर समाज में मान सम्मान नहीं, कुछ का मान सम्मान तो दौलत नहीं, और कुछ को दोनो का सुख तो सरस्वती माता की मेहरबानी में पिछड़ गए। इस ईर्ष्या के परिणामस्वरूप धीमे धीमे डॉक्टर साहिब के घर , परिवार और अस्पताल पर समाज कंटक लोगो के आक्षेप बढ़ने लगे , और डॉक्टर साहिब भी धीमे धीमे अपने सामाजिक कर्तव्य और दायित्व से अनमने से रहने लगे।
अपने पिता की व्यस्तता और पिता के व्यवसाय पर आए दिन होने वाले हमले से उनके बेटो ने डॉक्टरी पेशे से हाथ जोड़ लिए और पिता की इच्छा के इतर एक बड़े संस्थान से मैनेजमेंट में डिग्री हासिल की। 
एक दिन ज्येष्ठ पुत्र ने पिता को बहुत दुखी देखा तो उनसे प्रश्न किया कि आप क्यों परेशान हो, डॉक्टर साहिब बोले समय को देख अब प्रैक्टिस का मन नहीं होता, एंबुलेंस, ऑटो, और पत्र पत्रिकाओं की धमकी और दलाली चरम पर है, मरीज और परिजन का व्यवहार भी कष्टप्रद है और उनके द्वारा मानमर्दन सहन योग्य नहीं। जीवन निकाला इस पेशे में और भगवान की कृपा से इतना मिला कि सात पुश्ते भी बैठ कर खाएंगी, पर इस उम्र में प्रैक्टिस करना बहुत मुश्किल है। बेटा बोला पापा समय बदल गया है मैं आपकी मुश्किल का समाधान करता हूं।
अगले ही दिन बेटे ने डॉक्टर साहिब के अस्पताल की कायापलट कर दी। चमचमाता हुआ वेटिंग रूम, और एक सुंदर और मुस्कुराती हुई रिसेप्शनिस्ट, पूरे अस्पताल में भीनी भीनी खुशबू, अस्पताल के फ्रंट भाग में जगमगाते हुए लेटर, जगह जगह पर लगे हुए प्रदर्शक बोर्ड, रंगबिरंगा लेटरहेड और फाइल, और किसी बड़े साहिब की तरह डॉक्टर साहिब का कंसल्टेशन रूम। डॉक्टर साहिब भौचक्के रह गए और अंदर रूम में बैठ कर अपने बेटे से पूछा ये क्या.....। बेटे ने मुस्कुराते हुए बोला पापा इनसे मिलो ये हमारे अस्पताल की मार्केटिंग और ब्रांडिंग करेंगे और ये दूसरे भाई साहेब हॉस्पिटल का पूरा मैनेजमेंट जैसे स्टाफ ,और लड़ाई झगड़ा भी देखेंगे। डॉक्टर साहिब बोले पर इनका खर्चा, बेटा बोला ये दोनो 30 टके, 30 टके के पार्टनर है अब हमको सिर्फ मरीज देखना बाकी ये सब देखेंगे, अब आपकी फीस जो 100रुपए थी उसको 500 कर दिया है और जो भर्ती मरीजों का इलाज 500 , 600 में करते थे अब उनका चार्ज 5000, 6000 कर दिया है अब कोई परेशानी नहीं।
डॉक्टर साहिब को बेटे का मॉडल ज्यादा जंचा तो नहीं पर फिर भी उन्होंने उसको चलाने की हामी भर दी।
करीब 3 ,4 महीने बीत गए अस्पताल खूब चलने लगा, मरीजों की भीड़, और पैसा भी खूब आने लगा, अस्पताल में लड़ाई झगडे खत्म, पत्रकारों की ब्लैकमेलिंग भी खत्म। एक दिन बेटे ने डॉक्टर साहिब से पूछा कि पापा अब तो सब ठीक है मैंने जिन दो लोगो को आपसे मिलवाया था एक एंबुलेंस संचालक, और एक पत्रकार नुमा नेता था। अब सब ठीक हो जायेगा। डॉक्टर साहिब बोले पर मरीजों पर खर्चे का बोझ कई गुना बढ़ गया है ये ठीक नहीं, बेटा बोला समय बदल गया है पहले मरीज सिर्फ डॉक्टर की मानता था और अब इन सबकी मानता है, ये इनकी नियति है, हमे इसको अब New Normal मान लेना है। अब मरीजों को डॉक्टर नहीं सुपर मैन चाहिए, तो उसको उसी रूप में मैने आपको प्रस्तुत कर दिया। आप उसकी परवाह न करो।
डॉक्टर साहिब के चेहरे पर विस्मयकारी मुस्कान आ गई, …”

©Sarvesh Kumar #Jindgi ke kisse#
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Kanpuriya Style

आपको एवं आपके परिवार को रंगों के पर्व होली की असीम शुभ कामनाएं।

©Sarvesh Kumar
  Holi hai

Holi hai #समाज


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