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saahilkumar7602
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SAAHIL KUMAR

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SAAHIL KUMAR

White खुशकिस्मत हैं वो जो सो जाते हैं, जागने वाले तो फिर भी रोते हैं की आँखों में सुकून कहा है अब तो हर रात ही काली है सुबह के इंतज़ारो में सपने जगा कर रखते हैं थकान में भी कहा किसी को सुकून मिलता है

©SAAHIL KUMAR एक निंद सुकून भरी

एक निंद सुकून भरी #कविता

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SAAHIL KUMAR

White अनजाने में सही पर मेरी बातें भी कहीं होती तो होंगी, कहीं न कहीं मेरी झुठी ही सही पर मेरी भी कहानियांँ याद आती होंगी, कभी तो होंगी मेरी भी शिकायतें किसी के हंसने की वजह बस कुछ मेरी पहचान होगी

©SAAHIL KUMAR अनजान

अनजान #कविता

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SAAHIL KUMAR

White रातें बैठी है सुबह के इंतज़ारो में आँखें बंद रही निंद के इंतज़ारो में सपने भी रहे बस सपने पूरे होने के इंतज़ारो में अक्सर जिंदगी भी है बीत जाती सब ठीक करने के इंतज़ारो में

©SAAHIL KUMAR इंतजार

इंतजार #कविता

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SAAHIL KUMAR

White कल की सोच मैं आज को छोड़ चला अपने कल को संवारने की होड में आज को भुल चुका आज जो है हाथ खाली उन्हें कल की उम्मीदों के सहारे बांध चला कल को संवारने के लिए मैं आज को नाराज़ कर चला

©SAAHIL KUMAR आज/कल

आज/कल #कविता

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SAAHIL KUMAR

White एक नज़्म है गुंजती जैसे किसी महफ़िल में जैसे लब्ज़ रह गए कम खुद की कहानियों में जैसे रहा इंतजार ता उम्र का बिता कुछ पलों में कभी ख़त्म न होने वाले अफसानों में वैसे ही बस हुँ भीड़ में कहीं गुमनाम सा सब कुछ नहीं बस मिल जाए एक पल ज़िन्दगी का क्युकी फिर से होना है मुझे गुमनाम किसी और की कहानियों में

©SAAHIL KUMAR गुमनाम सा

गुमनाम सा #कविता

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SAAHIL KUMAR

White मैं डुबा रहा उस नशे में जहां बर्दाश्त की हदें खत्म हो गई जाना चाहा उन्हीं रास्तों पर जहां हसरतें खुद को गुमनाम करने की हो गई मैं भी शायद लुट गया इतना की सब की ज़रूरतें खत्म हो गई

©SAAHIL KUMAR ख़त्म ही सही

ख़त्म ही सही #शायरी

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SAAHIL KUMAR

White यादें बहुत है बस याद करने का मन नहीं करता, कुछ यादों को भूलने का वक्त नहीं मिलता दरवाजे जो कभी दिल की चाहतों के थे अब उन दरवाजों को खोलने का मन नहीं करता की रहे कुछ दरवाजे बंद तो ही बेहतर है लम्हों में भी गुजर जाने दो बीती बातों को  अब उनके लिए खुद को चुप रहने देना अच्छा नहीं लगता

©SAAHIL KUMAR मन
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SAAHIL KUMAR

White समय मिला पर, वक्त कम था जितना भी मिला वो साथ कम था,आती रही यादें गुज़रते लमहो में 
जितना साथ बीता क्या खूब बीता

©SAAHIL KUMAR वक्त के पहरे

वक्त के पहरे #शायरी

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