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bhaskar5430
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BHASKAR

social worker, ब

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BHASKAR

तुम्हें बस यह बताना चाहता हूं
मैं तुमसे क्या छुपाना चाहता हूं

कभी मुझसे भी कोई झूठ बोलो
मैं हां में हां मिलाना चाहता हूं

अदाकारी बड़ा दुख दे रही है
मैं सचमुच मुस्कुराना चाहता हूं

अमीरी इश्क़ की तुमको मुबारक
मैं बस खाना कमाना चाहता हूं

मुझे तुमसे बिछड़ना ही पड़ेगा
मैं तुमको याद आना चाहता हूं

©BHASKAR #Gulaab
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BHASKAR

कह दे आंधी को चाहे हवा,
चिंगारी को शोला भी ये बनाती है

ये जुबान ही तो है, 
जो सारे खेल खिलाती है

घर मे आग भी ये लगाती है, 
आग को शांत भी ये कराती है
छोटी छोटी बातों पर दंगे यही तो करवाती है
ये जुबान ही तो है, 
जो सारे खेल खिलाती है।



अज्ञात



।।

©BHASKAR 
  #walkingalone
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BHASKAR

आज फिर उनसे यूँ ही मुलाकात हुई । 
खामोशी के कोनों में नैनों से बात हुई ।

झनकती पायल ने बतलाई उसकी मजबूरी
 खनकती चूडियों ने समझाई उसकी ये दूरी 
आभा ये गालों की मिलन से फिर लाल हुई । 
खामोशी के कोनों में नैनों से बात हुई ।।

मायूस नैनों ने सुनायी वो उसकी कहानी जिसमे मैं था, 
वो थी और थी बात पुरानी बिन बादल के भी जोरों से आज बरसात हुई
 खामोशी के कोनों में नैनों से बात हुई ।।

नाजुक हाथों ने उसके मुझको फिर बहकाया 
बेबस होठों ने उसके मुझको फिर समझाया
 मिलते रहे दिल और आंखें फिर चार हुई । 
खामोशी के कोनों में नैनों से बात हुई ।।

जब सांसों ने उसकी किया जाने का इशारा

छूट रही थी मेरी सांसें और मुझसे जग सारा क्यूं मेरी ही किस्मत खफा मुझसे हर बार हुई
 आज फिर भीगी पलकों से अधूरी बात हुई आज फिर उनसे यूँ ही मुलाकात हुई ।।

©BHASKAR 
  #udaasi
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BHASKAR

1. हो गयी ताजा वो यादें

जो मिला हूँ आज तुमसे, हो गयी ताजा वो यादें
जो तेरे संग मिलकर बिताये थे वो लम्हें
जो तेरे संग की थीं वो बातें।

तेरे दिल से जुड़ा था मेरा दिल
बिन तेरे इक पल था रहना मुश्किल,
तेरी अदाएं, तेरा मुस्कुराना,
मेरे ख्यालो में तेरा आना-जाना
तुझसे मिल कर मिलता था सुकून
तेरे ही सपनों में कटती थीं वो रातें,
जो मिला हूँ आज तुमसे, हो गयी ताजा वो यादें
जो तेरे संग मिलकर बिताये थे वो लम्हें
जो तेरे संग की थीं वो बातें।

वो जरा-जरा सी बात पर तेरी नाराजगी
चेहरे पर हरदम चमकती तेरी सादगी,
वो आकार तेरा बाहों में समा जाना
गले लग कर हर दर्द छिपा जाना,
बस हर पल तेरा साथ ही तो थी
मेरी जिंदगी की सारी चाहतें,
जो मिला हूँ आज तुमसे, हो गयी ताजा वो यादें
जो तेरे संग मिलकर बिताये थे वो लम्हें
जो तेरे संग की थीं वो बातें।

न जाने फिर क्यों आया गम-ए-दौर जिंदगी में
न जाने क्या कसर रह गयी थी मेरी बंदगी में,
छोड़ गया तू साथ मुझे छोड़ अंधेरों में
अपनों के साथ भी लगता था जैसे रहना हो गैरों में
बस इक तेरे लौट आने की उम्मीद थी
और लबों पर तुझे पाने की फरियादें,
जो मिला हूँ आज तुमसे, हो गयी ताजा वो यादें
जो तेरे संग मिलकर बिताये थे वो लम्हें
जो तेरे संग की थीं वो बातें

©BHASKAR #mainaurtum
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BHASKAR

छाँव से बाहर आकर, 
धूप में फिर जलना होगा

इज्जत की रोटी खाना है तो, 
मेहनत भी करना होगा
ईमानदार बनना है तो, 
सच्चाई पर चलना होगा
कठिन परिश्रम करना होगा, 
काँटो पर चलना होगा

मंजिल पाने की चाह हुई तो,
 कदम बढ़ाते रहना होगा
अगर तरक्की करनी है तो, 
जी भर कर पढ़ना होगा
कठिन परिश्रम करना होगा, 
काँटो पर चलना होगा

लालच बुरी बला है पर पढ़ाई में करना होगा
मेहनत से जो मिलता जाए ,उसको ही अपना कहना होगा
कठिन परिश्रम करना होगा, 
काँटो पर चलना होगा

©BHASKAR #Travel
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BHASKAR

तू दूर होके भी पास है,

ये तेरे प्यार का एहसास है।


एक मिठी सी याद भी तेरी,

लगती मुझे बेहद ख़ास है।


यू प्यार से तेरा माथे को चूमना,

तेरी यादों में आंखों को भिगोना।


रात भर यू करवट बदलना,

तेरी यादों की बरसात है।


दिल रोता है आंख भरती है,

ना जाने दिल को क्या आस है।


दूर होकर भी महसूस होती हो,

क्या खुब हमारा प्यार है।


रात भर होती थीं बाते,

थीं अनगिनत मुलाकाते।


हो गई ये बात पुरानी,

तेरी यादें बस मेरे साथ है।


भले हाथों में हाथ नही,

मिलने की कोई आस नहीं।


बस एक बार दीदार करा दो,

बस यही एहसास मेरे लिए ख़ास है।

©BHASKAR #Light
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BHASKAR

विदाई समारोह कविता
हमारें विद्यालय के आंगन मे
ख़िलता हुआ गुलाब़ हो आप
हमारें अंधियारें जीवन मे
ज्ञान का दीपक़ हो आप ।
हम सब बच्चें थे नादां
पढने मे नही था ध्यान
हमारी भूलों को माफ़ करके
दे दिया विद्या क़ा ज्ञान ।
अपनी अनमोल शिक्षा क़ो
ख़ेल ख़ेल से हमे सिख़ाया ।
संस्कारों का पाठ पढाया ।
सही ग़लत का ज्ञान क़राया ।
हमारें निराश हारें मन मे
आत्मविश्वास ज़गा दिया
मंज़िल तक पहुचाने का
रास्ता हमे दिख़ा दिया ।
टिचर जी हमारे आंगन को
छोडकर जा रहे हों आप
ज़ीवन मे सदा ख़ुश रहो
यही हैं हमारी प्रभु से आस
अपनी ख़ुशबू से महकतों रहो
सबकी बगियां को आप

©BHASKAR #Fire
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BHASKAR

नये रास्तें खोज़ने को,
कुछ नया क़र दिख़ाने को,
मंजिलो को अपना बनानें को,
थोडे से नादां थोडे से समझ़दार,
परिन्दे आज उड चलें।

मिल बांट क़र जो खुशिया मनातें थे,
चुपकें से हमारा की टिफ़िन ख़ा जाते थे,
वो हमक़ो बहुत सतातें थे,
वो हर चीज़ पर अपना हक़ ज़माते थे।

पर बात ज़ब दूसरें स्कूल के बच्चो,
के साथ कॉन्पिटिंशन की होती थी,
तब वों हमारें साथ हमेशा ख़ड़े नज़र आते थे,
वो हमसें प्यार तो क़रते पर ज़ताते कम ही थें।

वो आपक़ा डांटना, प्यार से समझ़ाना,
टीचर्सं डे वालें दिन टीचर बनक़र पढाना,
वों स्कूल टीचर्सं के नये-नये नाम हमे बताना,
बहुत याद आयेगा।

आप सब़का प्यार भरा साथ,
वो साथ बिताये हुवे पल,
ख़ट्टी मीठी सी यादे,
बहुत याद आयेगी।

आज़ आंखो मे आसू तो हैं,
पर ख़ुशी भी उतनी ही हैं,
क्योकि आज़ हम भी
ज़ुनियर से सीनियर हो जायेगे।

स्कूल से तों विदा हों रहे हो आज़,
पर हमारें दिलो से नही आते ज़ाते मिलते ज़ाना,
गुरुजी की डाट ख़ाते ज़ाना,
फ़िर से ये स्क़ूल के दिन जीतें जाना।

©BHASKAR #Rose
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BHASKAR

जो सुन नहीं सकते बाहर का शोर रूह का संगीत खींचता होगा अंदर की ओर

जिनको दिखती नहीं बाहर की चकाचौंध भीतर की रौशनी देती होगी जीवन का बोध

जो बोल नहीं सकते अपने मन की बात मन के भावों से करते होंगे अपनों से बात

जो लगा नहीं सकते ऊँची छलाँग उनके सपने ज़रूर होते होंगे बेलगाम

ये सारी विलक्षण प्रतिभाएं हो जाएंगी दीपमान जैसे ही हम मान लेंगे हर 'विकलांग' को 'दिव्यांग

©BHASKAR real hero's 

#DarkCity

real hero's #DarkCity #Life

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BHASKAR

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