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deepakkatkani5908
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Deepak Katkani

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Deepak Katkani

# शायरी मेरी क़लम से

# शायरी मेरी क़लम से

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Deepak Katkani

दर्द से रिश्ता न रख किसी को फरिश्ता न रख
ज़िंदगी हौसलों का नाम है गमों से वास्ता न रख
दीपक कटकानी जैन दीप कालीदेवी झाबुआ

©Deepak Katkani
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Deepak Katkani

उसके हाथ मेरे हाथ पर थे और
मैं उसकी आंखों में तक रहा था।
दीपक कटकानी जैन दीप

©Deepak Katkani
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Deepak Katkani

मुस्कुराते सूरज से रोज़ निखर कर चलो
ज़िंदगी के सफ़र में तुम संवर कर चलो
हल मुश्किलों का मिलेगा तुम्हें सफ़र में ही
पर गुमां के अपने मगर कतर कर चलो।
दीपक कटकानी जैन दीप कालीदेवी झाबुआ मप्र आ

©Deepak Katkani
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Deepak Katkani

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Deepak Katkani

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Deepak Katkani

लौट कर याद की    कश्तियां आ रही है
अब ठहरती नहीं  सिसकियां आ रही है।।
आपको याद चाहे         रहें ना रहें  हम
आपके नाम की    हिचकियां आ रही है।
दीपक कटकानी जैन दीप कालीदेवी झाबुआ मप्र
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित 16/8/22

लौट कर याद की कश्तियां आ रही है अब ठहरती नहीं सिसकियां आ रही है।। आपको याद चाहे रहें ना रहें हम आपके नाम की हिचकियां आ रही है। दीपक कटकानी जैन दीप कालीदेवी झाबुआ मप्र स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित 16/8/22 #शायरी

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Deepak Katkani

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