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sirambhawanpraja2522
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Alok Kumar

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Alok Kumar

शब्दों की महफूजी है
कागज का सूनापन
स्याही क्या ही कलम में
है एक सूखा दर्पण
यह दर्पण है
तेरे उसे चाहत का
तेरे मन स्वाभिमान का
यह दर्पण है
इसे सूखने ना दे
अपने नम आंखों से
इसे भेजना ना दे
दोस्ती की हरियाली से
दर्पण को सूखने ना दे
हरियाली कभी कम नहीं होती
अपने आंखों से नम न होने दे
शायद यह पसंद की हवा जैसा
जो रुख ना मोड़े चले जा रहे हैं
अब क्या ही कहें तुमको 
तुम ही बतादो
शायद शीतल सी है इसकी वाणी
शायद इसकी मधुर मुस्कान
है इसके हर बातों की बोली
याद कर उन फलों को
जब यह दर्पण ना सुख था
फिर मौका मिल रहा
निखार दे इस दर्पण को

©Alok Kumar
  सुना दर्पण 
#moonnight

सुना दर्पण #moonnight #Poetry

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Alok Kumar

दर्पण है मत सजा
दर्पण है दिल से ना लगा
ये दिखलाता
तेरे भले बुरे-कर्मों को
तेरे अंदर छिपे हर बातों को
तेरे से जुड़े हर लोगों को
तेरे टूटे से उन उम्मीदों को
दर्पण है मत सजा
दर्पण है दिल से ना लगा
ये बतलाता
तेरे स्वाभिमान को
तेरे अच्छाई को
तेरे में छुपे अहंकार को
तेरे में बने बदलाव को
दर्पण है मत सजा
दर्पण है दिल से ना लगा
ये मिलवाता
तेरे अच्छे व्यक्तित्व से
तेरे अंदर छुपे डर से
तेरे उन संबंधियों से
तेरे उसे खुरपति दिमाग से
दर्पण है मत सजा
दर्पण है दिल से ना लगा
क्यों सुनता है तू इसकी बातें
तू सिर्फ सुन उसे ज्ञानी ऋषि की बातें
मत देख,सुन,समझ इस दर्पण से
दर्पण है मत सजा
दर्पण है दिल से ना लगा

©Alok Kumar
  दर्पण
#Butterfly

दर्पण #Butterfly #Poetry

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Alok Kumar

मां से जन्म लिया इस संसार में
उसके दूध का सबसे बड़ा कर्ज इस संसार में
इसके ममता का सागर अनंत है
इसके प्यार का मंदिर विशाल अनंत है

इनके वत्स के सुख में इनका सुख
इनके वत्स के दुख में इनका दुख
हर कामयाबी का दिन इनके लिए है कम
इनके बच्चों का जन्मदिन है सबसे अहम

देखकर बच्चे को उसकी उदासी पहचाने
भोजन खाया या ना देख उसे पहचाने
अनेकों मैं अपने बच्चे को पहचाने
बच्चों के काम को देख उसकी कामयाबी पहचाने

पिता ना रहे तो भी ये
बच्चों को संभाल ले
बिन बोले बच्चों की मांग पूरी कर दे
मरत घण बच्चे को ही पुकारे

मां का व्यवसाय
सबसे बड़ा व्यवसाय
मां की ममता
सबसे बड़ी क्षमता

मां का आशीर्वाद
सबसे बड़ा कर्मवाद
मां का श्राप भी
सबसे बड़ा वरदान

©Alok Kumar
  Happy Mother's Day #MothersDay

Happy Mother's Day #MothersDay #Poetry

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Alok Kumar

National Army Day 2023

National Army Day 2023 #Poetry

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Alok Kumar

कि ये धरती मेरा है
ये अंबर मेरा है
ये जमीन मेरी है
ये मां मेरी है
ये भारत देश मेरा है
हिमालय का मुकुट विराजमान शीश पर इसके
नदियों की माला पहने हरियाली है जेवर इसके
त्रि लहरों से घिरा जमी इसके
हिंद महासागर पांव धुले इसके
ये भारत देश है मेरा
ये जमी है उन विद्वानों की
जहां जन्म लिए विवेकानंद स्वामी
ये जमी है उन वीरों की
जहां जन्म लिया नेताजी
यह भारत देश है मेरा
आविष्कार किया शुन्य जिसने
आयुर्वेद का ज्ञान दिया जिसने
ढूंढा चांद पर पानी जिसने
एक बार में सफल हुआ मंगल पर जो
यह भारत देश है मेरा

©Alok Kumar
  यह भारत देश है मेरा
#National

यह भारत देश है मेरा #National #Poetry

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Alok Kumar

यह भारत देश है मेरा
#NaseebApna
#National

यह भारत देश है मेरा #NaseebApna #National #Poetry

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Alok Kumar

समय है पढ़ ले
समय है संभल ले
समय है सुधर जा
समय है समझ जा
ना मां बाप को दो धोखा
ना पढ़ाई को दो धोखा
ना जिंदगी से खेलो
ना पढ़ाई से खेलो
जब यह जिंदगी और पढ़ाई तेरे साथ खेलेगी
तब तू पछताएगी
तब समय ना मिलेगा पढ़ने का
अगर समय मिले तो सुधर जाने का
संभल जाना और चमक जाना
तुझे देख आश्चर्य हो जाए जहां
कभी पीछे देख लेना उस जिंदगी की शुरुआत
आगे बढ़ कर देख लेना इस जिंदगी की अंत
तुम इतने सक्षम हो
हाथों की रेखाएं बदल दो
तुम इतने कामयाब हो
कि यह जहां बदल दो

©Alok Kumar
  कोशिश

कोशिश #Poetry

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Alok Kumar

एक रात सो के उठते देखा
 एक कलम से ध्वनि निकलते देखा
 वह बोला
 तुम मुझे देख क्या सोच रहा
 कि क्या कोई एक कलम बोल रहा
 इतने गौर से मत देख मुझे
 नहीं तो प्यार हो जाएगा तुझे मुझसे
 मैं बोला
 मुझे तो तुझसे तभी से प्यार है
 जब से तू मेरी जिंदगी में आया
 तू यह मत समझ कि तुझे इस प्रकार देख रहा हूं
 तुझे कुछ करना दूं बस एक ही बात सोच रहा हूं
 आजाद कर  तुझे उस डिब्बे से आज मैं कितना खुश हूं
 तो तू कितना खुश होगा
 तुझे पता है तेरे आने से मेरी जिंदगी में एक नई बहार आई
 तेरे द्वारा मैंने कितनी कविताएं लिख डाली
 कलम बोला
 मुझे बहुत खुशी है मैं तेरे घर में आया
 मैं जहां गया मुझे इधर-उधर फेंक दिया गया
 एक तू ही तो था जिसने मुझे उठा लाया
 और अपने हमेशा दिल से लगाए रखा
 इतनी इज्जत दी कि मैं कुछ करके
 तेरा उधार ना चुका पाऊंगा
  मैं बोला
 तू मेरा दोस्त है
 तू मेरी जान है
 तू ही मेरा साथी है

©Alok Kumar
  कलम की बात

कलम की बात #Poetry

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Alok Kumar

जब इस शांत आकाश को देखूं
बस एक ही चीज सोचू
आज यह इतना शांत है
क्या कुछ अलग ही बात है

जब इस अंबर में हलचल सी हुई
मेरी सांसे थम सी गई
क्या कोई खतरा मंडरा रहा या कोई आफत मंडरा रही
ना जाने यह हलचल कैसी थी
घर के बाहर एक कदम ना रख पाया
जब यह शांत रहती थी
घर के बाहर सौ सौ कदम रख पाया

आज जब स्कूल जाता
एक डर सताए रखता
कि आज कोई घटना ना घट जाना
क्या मैं वापस यहां ना आ पाऊंगा

बस एक प्रार्थना लगी रहती
हे आ आसमा की शांति रहती
तू मेरी जिंदगी रहती
और मेरी चाहत रहती

बस एक बार तू शांत हो जाती
हर कोशिश कर डालता
हर चाह पूरी करने की
इसके बाद तू भले सब जिंदगी ले लेती

©Alok Kumar
  ये आसमा

ये आसमा #Poetry

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Alok Kumar

क्या हे विद्यालय
विद्या का मंदिर है विद्यालय
विद्या का भवन है विद्यालय
शिक्षा का सागर है विद्यालय
आदर्शो की खुली किताब है विद्यालय
जहां पहला अक्षर बोलना सीखते वह है विद्यालय
जहां सपना देखना शुरु करते वह जगह है विद्यालय
जहां जाति धर्म का भेदभाव ना हो वह है विद्यालय
बिना हार माने जहां कोशिश करना सीखें वह हैं विद्यालय
दोस्तों के साथ कक्षा छोड़ भागते वह जगह है विद्यालय
जहां पहला प्यार मिले वह जगह है विद्यालय
जहां बिना किसी बंधन के खुली सांस लेते वह जगह है विद्यालय
शिक्षकों के हाथों पीटते वह जगह है विद्यालय
जहां हार जीत का मतलब सीखते वह है विद्यालय
जहां कामयाबी का रास्ता पकड़ते वह जगह है विद्यालय
जहां जाकर अपना समय याद कर रोते वह जगह है विद्यालय

©Alok Kumar
  विद्यालय

विद्यालय #Poetry

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