मेरी माँ भारती मुझको नवल चित चेतना देना,
लिखूँ मैं भाव करुणा के मुझे संवेदना देना।
अधर खामोश हों मैं सुन सकूँ जन जन की पीड़ा को,
सँवर कर गीत बन जाये वही शुचि वेदना देना।।
अंजली श्रीवास्तव
हिंदू नव वर्ष एवं चैत नव रात्रि की सभी बंधुओ को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं #कविता