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अरुण चौबे ‘प्रखर’

Poet, Lyricist & Writer.

arunchaubeyprakhar.wordpress.com

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अरुण चौबे ‘प्रखर’

Jai Shri Ram रामराज्य वे फिर से लाने वाले हैं,
राजा राम अवध में आने वाले हैं;
जन-जन के मन को हर्षाने वाले हैं,
राजा राम अवध में आने वाले हैं।

अश्वमेध का घोड़ा फिर से छोड़ेंगे,
बिखरे हुए सनातन को फिर जोड़ेंगे;
धर्म ध्वजा नभ में लहराने वाले हैं,
राजा राम अवध में आने वाले हैं। 

मर्यादा और पुण्यकर्म क्या होता है,
उन्हें पता है राजधर्म क्या होता है;
मार्ग धर्म का हमें दिखाने वाले हैं,
राजा राम अवध में आने वाले हैं।

©अरुण चौबे ‘प्रखर’ #राजा_राम
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अरुण चौबे ‘प्रखर’

Jai Shri Ram रामराज्य वे फिर से लाने वाले हैं,
राजा राम अवध में आने वाले हैं;
जन-जन के मन को हर्षाने वाले हैं,
राजा राम अवध में आने वाले हैं।

अश्वमेध का घोड़ा फिर से छोड़ेंगे,
बिखरे हुए सनातन को फिर जोड़ेंगे;
धर्म ध्वजा नभ में लहराने वाले हैं,
राजा राम अवध में आने वाले हैं। 

मर्यादा और पुण्यकर्म क्या होता है,
उन्हें पता है राजधर्म क्या होता है;
मार्ग धर्म का हमें दिखाने वाले हैं,
राजा राम अवध में आने वाले हैं।

©अरुण चौबे ‘प्रखर’
  #राजा_राम
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अरुण चौबे ‘प्रखर’

रामराज्य वे फिर से लाने वाले हैं,
राजा राम अवध में आने वाले हैं;
जन-जन के मन को हर्षाने वाले हैं,
राजा राम अवध में आने वाले हैं।

अश्वमेध का घोड़ा फिर से छोड़ेंगे,
बिखरे हुए सनातन को फिर जोड़ेंगे;
धर्म ध्वजा नभ में लहराने वाले हैं,
राजा राम अवध में आने वाले हैं।

मर्यादा और पुण्यकर्म क्या होता है,
जिन्हें पता है राजधर्म क्या होता है;
मार्ग धर्म का हमें दिखाने वाले हैं,
राजा राम अवध में आने वाले हैं।

©अरुण चौबे ‘प्रखर’ #राजा_राम
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अरुण चौबे ‘प्रखर’

Year end 2023 रेत फिसलने पे मुट्ठी से
रह जाता ज्यों हाथ है रीता,
कुछ ऐसे ही साल ये बीता।

खेल भावना से हम खेलें
जीवन को हम खेल हैं कहते,
कभी नहीं पीछे हटते हम
हरदम हैं मैदान में रहते,
जीवन के इस खेल में मैं भी
हारा भी और कभी हूँ जीता;
कुछ ऐसे ही साल ये बीता।

फल की चिन्ता छोड़ के प्यारे
केवल अपना कर्म किए जा,
जो होगा देखा जाएगा
सोच यही बस और जिए जा,
खोना-पाना ही जीवन है
हमें सिखाती है ये गीता;
कुछ ऐसे ही साल ये बीता।

©अरुण चौबे ‘प्रखर’ #YearEnd
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अरुण चौबे ‘प्रखर’

चारों ओर नज़र रखता हूँ,
सबकी यार ख़बर रखता हूँ;
बातें भूल भले जाऊँ मैं -
लहजे याद मगर रखता हूँ।

©अरुण चौबे ‘प्रखर’
  #नज़र #ख़बर #लहजे #याद
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अरुण चौबे ‘प्रखर’

कर्म से अपने हमें चरितार्थ भी होना पड़ेगा,
बुद्ध होने के लिए सिद्धार्थ भी होना पड़ेगा। 

मारने वाले से होता श्रेष्ठ जिसने हो बचाया,
ज्ञान यह अनमोल हमने था युवा से एक पाया,
उस युवा के ज्ञान का निहितार्थ भी होना पड़ेगा;
बुद्ध होने के लिए सिद्धार्थ भी होना पड़ेगा।

सारथी बन कर रथी का मार्गदर्शन जब किया था,
कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में जो ज्ञान गीता का दिया था,
ज्ञान वह पाना है यदि तो पार्थ भी होना पड़ेगा;
बुद्ध होने के लिए सिद्धार्थ भी होना पड़ेगा।

©अरुण चौबे ‘प्रखर’
  #बुद्ध #सिद्धार्थ #पार्थ
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अरुण चौबे ‘प्रखर’

वाह रे दुनिया! 
तूने ये क्या कर दिया? 
युद्ध करने वालों को महान
और प्रेम करने वालों को
निठल्ला कह दिया! 

सिकंदर महान
और रोमियो आवारा हो गया! 
अकबर दी ग्रेट
तो मजनूँ बेचारा हो गया!

©अरुण चौबे ‘प्रखर’ #प्रेम
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अरुण चौबे ‘प्रखर’

कोई ना कोई हुनर, होता सबके पास,
कोई भी कमतर नहीं, हर बंदा है ख़ास।

©अरुण चौबे ‘प्रखर’ #हुनर #ख़ास 

#Joker
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अरुण चौबे ‘प्रखर’

हाथ हमारा छोड़ें तो दुख होता है,
हृदय हमारा तोड़ें तो दुख होता है;
उनकी बात नहीं जो लोग पराये हैं-
अपने ही मुँह मोड़ें तो दुख होता है।

©अरुण चौबे ‘प्रखर’
  #दुख #होता #है
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अरुण चौबे ‘प्रखर’

#इंसान 

#LostLegends
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