शीर्षक -- " इतिहास के क्षितिज में विलीन कविता"
*कविता समुद्र नहीं जिसपे जहाज़ लंगर डाल ले....
*कविता किसी पेड़ से अलग हुआ पत्ता नहीं जिसे हवा अपनी झाड़ू से बुहार दे....
*कविता किसी मेहनती किसान की बनियान का स्वेद नहीं, जिसे निचोड़ा जा सके ...
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