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nikhaleshmaheshw5734
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Nik_Writing_200123

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Nik_Writing_200123

मेरी ज़िंदगी (में ओर मेरे एहसास)

कुछ रुका कुछ सहमा सा हू
मत पूछो किस तरह चल रहा सा हु 
रिश्तों को जंज़ीरों में फसा हु में
बस अपने है मन में फसा हु में
बातो की जाल में फसा हु 
मानो अपने ही दिल से खफा हु में
जैसे  कोई दर्द से जूझ रहा हु में
जैसे हर दर्द का हिस्सा हु में
कभी बच्चा कभी बड़ा सा हु में
जैसे कुछ कम कुछ ज्यादा सा हु में
मेरे चारो तरफ शोर है पर में कुछ चुप सा हु में
थोड़ा सा प्यार पाने की कतार में हु में
कुछ पाने में , कुछ खोने की कतार में हु में
मेरे हिस्से की खुशियों से भी दूर सा भाग गया हूं में
कुछ ने समझा इस दिल को 
कुछ ने ठग सा लिए इस दिल को 
चलते चलते न जाने वही अटक सा गया हूं में
ना जाने  खुद कही खो सा गया हूं में
सब आसपास होते हुए भी कुछ ढूंढ रहा हु में
भूलभुलैया सी मेरे ज़िन्दगी मे फसा सा हु में
रात में जागता तारा ,दीन में दौड़ता इंसान हु में
खूबसूरती अब भी है फिर भी ना जाने उदास सा हो गया हूं में
बस इसी तरह रोज नई सुबह को जीता हु 
कुछ सपने सँजोकर , कुछ सपने दफनाकर 
ना जाने जिंदगी कितने खेल खेलेगी मेरे साथ 
फिर भी में हार मानने वालों में से नही हु 
बस थोड़ा सा उलझा हु , सुबह का सूरज हु में 
बस में उस हाथो की लकीरों की तरह हु
जैसे वो घिसती है वैसे में चम्मकता हीरा हु में 
इस दिल को बार बार सहेजता हु में
दुआओ से हर मुश्किल को आसान बना लेता हूं में 
फिलाल इतनी सी मेरी जिंदगी की दास्तान है 
बस इतना कहता हूं मेरी जिंदगी का एक किरदार हु में
बस इतना कहता हूं मेरी जिंदगी का एक किरदार हु में

                                         😊में ओर मेरे एहसास😊

©Nikhalesh Maheshwari Shah Nik
   #मेरी#जिंदगी 
#में#ओर#मेरेएहसास
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Nik_Writing_200123

#में_भारत_मे_रहने_वाला_ह_भारत_की_बात_सुनाता_हूं(#में_ओर_मेरे_एहसास)

गणतंत्र दिवस को में एक कहानी सुनाता हु 
मेरे भारत के गुणगान गाता हु
जिस देश मे हिन्दू, मुश्लिम, सिख, ईसाइ 
सब मिलकर रहते है 
सब धर्मों की पूजा अर्चना की जाती है
मिल झूलके साथ रहते हम 
अब थान लिया हमने 
भारत का यशगान बढ़ाना है
मे उस देश की गाथा गाता हु
में भारत मे रहने वाला 
भारत कि बात सुनाता हूं

में भारत मे रहने वाला हु 
भारत की बात सुनाता हूं 
ये वीरो की भूमि है
उनकी वीर गाथा सुना ता हु
तिरंगे में लिपटे शेर आजादी के लिए
आज़ादी की वो कहानियां सुना ता हु 
में भारत मे रहने वाला हु
भारत की बात सुनाता हूं

वो वीर भगतसिंह, राजगुरु , सुखदेव 
अपने प्राण भारत माता को अर्पित कर दिए 
में उन जवानो की वीरता सुनाता हूं
जिस माँ की कोख़ सुनी हो गई
उस  माँ के लाल अमर हो गए
में उस देश की गाथा गाता हु 
में भारत मे रहने वाला हु
भारत की बात सुनाता हूं

जिस देश ने उन वीरो को जन्म दिया
वो चेतक सवारी महाराणा प्रताप 
वो तिसुल धारी छत्रपति शिवाजी 
में उन वीरो की गाथा सुनाता हु
में भारत मे रहने वाला हु
भारत की बात सुनाता हूं

मेरा भारत महान , जय जवान -जय किसान
के नारे लगता हूँ
वो सोने की चिड़िया की बात बताता हूं 
राम-सीता , राधे-कृष्णा की कहानी सुनाता हूं
कृष्णा-सुदामा की मित्रता बारंबार याद दिलाता हूं
में भारत मे रहने वाला हु
भारत की बात सुनाता हूं

ली..निखलेश गेलड़ा शाह

©Nikhalesh Maheshwari Shah Nik
  #में भारत मे रहने वाला हु भारत की बात सुनाता हूं (#में ओर मेरे एहसास)

#में भारत मे रहने वाला हु भारत की बात सुनाता हूं (#में ओर मेरे एहसास) #कविता #में_ओर_मेरे_एहसास #में_भारत_मे_रहने_वाला_ह_भारत_की_बात_सुनाता_हूं

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Nik_Writing_200123

उत्सव है पतंग-मांझे का  (में_ओर_मेरा_एहसास)

उत्सव है पतंग-मांझे का 
आसमान में चारो ओर उड़े पतंग 
करे अतरंगी सतरँगी मस्तिया 
जैसे लगे रंगों का महोत्सव 
उत्सव है पतंग-मांझे का

आज फिर पतंग ओर माझा एक होंगे 
पतंग उड़ेगी अपने माझा के साथ 
जैसे प्यार का एहसास दिलाते हो दोनों 
बेमिसाल है पतंग मांझा का रिश्ता
एज आसमान  में उड़ता, तो दूसरा निचे आता है 
 उत्सव है पतंग-मांझे का 

आज आसमान रंगो से चमकेगा 
पतंगों की आपस मे आतशबाजी होगी
रंग बेरंगीं पतंगे उड़ेंगी 
सप्त रंगों से इंद्रधनुष लहराएगा 
आसमान आज फिरसे मुस्कुराने लगेगा 
 उत्सव है पतंग-मांझे का

पतंग ओर मांझा सेर होगी 
धरती से अंबर तक 
पेड़ो से ऊपर , पर्वतों की चोटि पर 
इस छत से उस छत तक 
आसमान में लहराए 
खाती हिचकोले ,उड़न खटोले जैसे 
पतंग , मांझा अपनी मस्ती में डोले 
एके दूसरे का सहारा बने विश्वास की डोर बांधे
 उत्सव है पतंग-मांझे का

आज परिवार संग सब मिलकर उड़ाएंगे पतंग
पतंग -मांझा का विश्वास दिलोमे जगायेंगे 
पतंग को कटना है , होना है दूर मांझे से
फिर भी मांझे से बंधी प्रेम, विश्वास की डोर 
उत्सव है पतंग-मांझे का

                            ❤️में ओर मेरे एहसास❤️

ली..निखलेश गेलड़ा शाह

©Nikhalesh Maheshwari Shah Nik
  #उत्सव #है #पतंग-मांझे #का (#में #ओर #मेरे #एहसास)

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