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arunkumar8997
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ARUN KUMAR

ना अनपढ़ रहे ना काबिल हुए,ए-जिंदगी तेरे स्कूल खामखा शामिल हुए। don't copy shayari .

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ARUN KUMAR

(रात को फ़ोन)

दिन का थका था , 
घर जाकर सो गया,
फ़ोन आया रात को उसका ,
 औऱ उठाकर सो गया,
अगली सुबह जब वो मिले राह में ,
तो बोले तबियत का क्या हाल हैं,
अभी भी हम ही हैं दिल में ,
 या किसी औऱ का ख्याल हैं,

अरुण राजपूत की कलम से -----/

©ARUN KUMAR रात को फ़ोन।

#Fire

रात को फ़ोन। #Fire

12 Love

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ARUN KUMAR

(लगाब का डर)

अब यूँ ही वक्त बेकार नही करता,
हर शख्स पर अब ऐतबार नही करता,
ख्वाहिश तो बहुत हैं  दिल में,
पर हर किसी से प्यार का इजहार नही करता,
औऱ इस दिल में सिर्फ तुम हो आफरीन,
में हर किसी से जिस्म का व्यापार नही करता।
ग़लतफ़हमी हैं लोगो की हम उनकी बात सुनते हैं
वक्त आने पर तरीके से उनका हिसाब करते हैं

अरुण राजपूत की कलम से-----//

©ARUN KUMAR लगाब का डर।

#walkingalone

लगाब का डर। #walkingalone

11 Love

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ARUN KUMAR

गांव अब गांव नही रहे ,शाहर हो गए।।
वक्त के साथ-साथ कितने हेरफेर हो गए ।।
यू ही गुजर रही हैं जिंदगी कुछ मोड़ तो आये,
जो बीत गए बचपन के पल काश वो लौट आये।।
silent word not tel any shyari & any poem.

अरुण राजपूत की कलम से///

©ARUN KUMAR I miss childhood

#evening

I miss childhood #evening

9 Love

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ARUN KUMAR

हर सख्श नही चल सकता ,
 आपके हिसाब से ,
थोड़ा आप भी बदल जाओ ,
 वक़्त के हसाब से,
औऱ कुछ पल के लिए, 
नजरिया को बदलो,
 जनाब  आईना नही ,
 अपनी सख्शियत को बदलो।

अरुण राजपूत की कलम से---//

©ARUN KUMAR #Luminance
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ARUN KUMAR

सर्दियां आई हैं थोड़ा ,
 धूप का मजा तो  लीजिये,
सूरज निकलने से पहले थोड़ी ,
गर्मा- गरम चाय तो पीजिए,
औऱ जो बेसब्री से कर रहे हैं,
 इंतजार तुम्हारा उनसे ,
एक मुलाक़ात तो कीजिये,
औऱ खोकर  हसीन जुल्फों,
की छांव में अपने इश्क़ का,
इजहार तो कीजिए ।।

अरुण राजपूत की कलम से ----//

©ARUN KUMAR मौसम 

#4linepoetry

5 Love

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ARUN KUMAR

क्यो लिखकर अल्फ़ाज़ कोरे कागज पर,
 श्याही  बेकार करता हैं
क्यो मांगकर मदद किसी गैर से,
 खुद को उसका तलबगार करता हैं,
औऱ क्यों बेच देते हैं ईमान चंद सिक्को के लिए,
कभी ये भी सोचा करो की कोई हैं,
जो पाप औऱ पुण्य का भी हिसाब रखता  हैं।

अरुण राजपूत की कलम से----////

©ARUN KUMAR बस यूंही

#Lifelight

बस यूंही #Lifelight #शायरी

9 Love

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ARUN KUMAR

बचपन और शैतानी हम तेरे शहर में आये कुछ बनने के लिए ,
दौलत भी मिली शोहरत भी मिली,
पर कुछ कमी अधूरी सी रह गई,
वो यार पुराने बचपन के ,
वो गली सुनहरी सी रह गई,
जब क्रिकेट के मैदान में बॉल,
अगर खो जाती थी,
सभी यार मिलते थे पैसे ,
औऱ बॉल नई आ जाती थी,
आज पैसे में ही दे दूं बॉल के,
पर यार कहा अब आते हैं,
सब कुछ दिया तूने ए जिंदगी 
पर कुछ कमी अधूरी सी रह गई,
वो यार पुराने बचपन के ,
वो गली सुनहरी सी रह गई।

©ARUN KUMAR बचपन

#bachpan

7 Love

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ARUN KUMAR

(मेरी प्यारी भांजी के लिए)

आई हैं घर में कन्या कुमारी,
पापा की परी,मम्मी की राजदुलारी,
इसको खुशियां हज़ार देना,
भूल जाएं दर्द-गम तुम इतना प्यार देना,
औऱ चले कदम से कदम मिलाकर,
तुम हर पल इसका साथ देना,
नही है छोरियों- छोरो से कम,
क़ाबिल बनकर प्रमाण देना।

अरुण राजपूत की कलम से-////

©ARUN KUMAR छोरी

छोरी #शायरी

11 Love

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ARUN KUMAR

(fraternal)
अब लगता नही की मेहनत काम आती हैं
तारीख पे तारीख सरे-आम आती हैं
जानकारी(knowledge) औऱ 
जानकारी(nepotism) भी ज़रूरी हैं
वरना हमकों तो यही मालूम था
की मेहनत ही हमेशा काम आती हैं

अरुण राजपूत की कलम से ----////

©ARUN KUMAR fraternal
#BatBall

9 Love

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ARUN KUMAR

कोई तकलीफ हो तो बता,
 गुरेज ना कर,
जो हो सकेगा वो काम हम करेंगे,
जिससे मिले तेरे दिल को सुकून,
ऐ-मेरे दोस्त बोल तो सही एकबार ,
वो इंतजाम हम करेंगे।
अरुण राजपूत की कलम से ---//

©ARUN KUMAR गुरेज

#lovebond

गुरेज #lovebond #शायरी

9 Love

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