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nasirraog1764
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नासिर काज़मी

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नासिर काज़मी

White कितना दुश्वार है जज़्बों की तिजारत करना 
एक ही शख़्स से दो बार मोहब्बत करना 

जिस को तुम चाहो कोई और न चाहे उस को 
इस को कहते हैं मोहब्बत में सियासत करना 

सुरमई आँख हसीं जिस्म गुलाबी चेहरा 
इस को कहते हैं किताबत पे किताबत करना 

दिल की तख़्ती पे भी आयात लिखी रहती हैं 
वक़्त मिल जाए तो उन की भी तिलावत करना 

देख लेना बड़ी तस्कीन मिलेगी तुम को 
ख़ुद से इक रोज़ कभी अपनी शिकायत करना 

जिस में कुछ क़ब्रें हों कुछ चेहरे हों कुछ यादें हों 
कितना दुश्वार है उस शहर से हिजरत करना

©नासिर काज़मी
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नासिर काज़मी

White दिवाली के दीप जले है हिन्दुस्तान की माटी मे 
लेकिन कुछ चराग बुझ गये है क़ाश्मीर की घाटी मे 

आओ अंध्यारो के दीप जला ले उज्यारो के आँगन मे 
शायद तब कुछ फूल खिलेंगे सीमाओ के बांगन मे 

धनतेरस पर सोना चांदी तांबा पीतल सब निकलेगा इस देश की माटी से 
निकलेगा लेकिन तब निकलेगा जब निकलेगा मन की काठी से 

धन की देवी रूठी वर्षो आओ मना घर ले जाएंगे 
तुम कुछ निर्धन को धन दे देना वो भी धन घर ले जाएंगे 

कल दीप जला लेना खातिर सेमाओ के बलिदानो की 
शायद तब दीप शखाए जल उठेंगी अधियारे चौबारो की 

जुठो के मुँह काले है होंठो पर भी ताले है इनकी जो ये हार हुई है 
सच की जय जय कार हुई है रावण की जो हार हुई है

©नासिर काज़मी #Sad_Status
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नासिर काज़मी

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नासिर काज़मी

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नासिर काज़मी

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नासिर काज़मी

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नासिर काज़मी

रातो का अंधेरा भी क्या घन्घोर अंधेरा है
तुम तो दिन के उजाले मे भी नज़र नही आते मुझको

नींदों का क्या है वो तो आती ही नही है 
तुम भी अब ख्वाबों मे नज़र नही आते मुझको

बाज़ारो मे  रौनक ही रौनक है अब तो 
ये रौनक भी क्या रौनक है अगर तुम नज़र नही आते मुझको 
 
मे बदला हुवा हू तो इसमे खता मेरी क्या है
तुम भी तो अब पहले जैसे नज़र नही आते मुझको 

ये दुनिया है की मुझको समझाने पे तुली है 
एक तुम हो की तुम्हारे कोई पैगाम नज़र नही आते मुझको

©नासिर काज़मी #wait
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नासिर काज़मी

गमे हिज़्र किया होता है वो खूब समझते होंगे 
मोहब्बत किसको कहते है वो खूब समझते होंगे

भरी महफ़िल मे भी जो तन्हा दिखाई दे 
तन्हाई किसको कहते है वो खूब समझते होंगे

वक़्ते जुदाई जो दाग़ लगा है सीने पर 
रुस्वाई किसको कहते है वो खूब समझते होंगे 

याद करके माज़ी को जो आँखो से आँशु  छलके 
बरसात किसको कहते है वो खूब समझते होंगे 

फक़्त एक शेर सुने तो शुकु मिल जाए 
ग़ज़ल किसको कहते है वो खूब समझते होंगे 

रातो की तन्हाई मे करवटे बदलते रहे जो रात भर 
दिन किसको कहते है वो खूब समझते होंगे

©नासिर काज़मी #smog
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नासिर काज़मी

चारो तरफ बस एक ही मंज़र है 
जिसको देखो उसके हाथो मे खंज़र है 

मोहबत्तों की महल हवेली सब टूट गई है 
चारो तरफ अब तो केवल खंडर ही खंडर है 

अंधा राजा अंधा शाशन चौपट हुवा हर धंधा है ।
मेली है गंगा ज़मुना  देश मेरा अब बंज़र है 

मंदिर मस्जिद खाली है सूफ़ी संत पड़े अकेले 
हत्यारो के सर ताज़ सजे है हुड़दंगो का लश्कर है

चुनावी मौसम फ़िज़ा देश की बिगड़ रही है 
मालूम नही है किन हाथों लड्डू किन हाथों विषधर है

©नासिर काज़मी #Likho
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नासिर काज़मी

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