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pagalpagal4217
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pooja gautam

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pooja gautam

प्रेम करना और प्रेम को जी भर के जीना,
मगर डूबने मत देना खुद को,
अपने स्वाभिमान को तुम प्रेम के हर इम्तिहान से ऊपर रखना,
मत कोसना कभी भी खुद को 
उन लम्हों के लिए 
जो तुमने दुनिया से छुपाकर 
खुद के लिए जिये थे, 
पनपने देना प्रेम को मन के हर कोने में 
मगर,उम्मीदों की कोई बौछार 
मत पड़ने देना प्रेम पर।
सौप देना उसे खुद को तुम पूरा 
मगर,थोड़ा सा हिस्सा 
खुद के लिए बचाये रखना,
रखना बेशक एक हाथ उसके कंधे पर 
की उसे मालूम हो कि उसके बोझिल
दिनों में वो अकेले नहीं,
मगर दूसरा हाथ हमेशा तुम 
खुद के कंधे पर बनाए रखना
दिल के हर कोने में बिठा लेना उसे 
मगर एक छोटा सा कोना 
खुद के लिए बचाए रखना, 
प्रेम में बेशक पागल हो जाना 
मगर बेसुध कभी ना होना..
क्योंकि,याद रखना बहुत दूर तक जाने के बाद जो कभी किसी मोड़ से 
लौट के अकेले आना पड़ जाए,
जो कभी बहार बन कर साथ चले थे
वो रास्ते पतझड़ बन जाए, 
तो उस वक़्त तुम्हे ये मालूम हो कि सबकुछ खोने के बाद भी,
तुमने खुद को थोड़ा बचाये रखा है,
अपने उस हिस्से के साथ 
बिना बेसुध हुए फिर से उन्ही रास्तों से होकर तुम्हे लौट आना है 
नहीं होगी वो राहें पहले सी 
रंगीन और बेहद खूबसूरत
साथ हमसफ़र हो तो राहें खुद
ही आसां बन जाती हैं, मगर
अब तुम्हे समझना होगा कि
खुद से बड़ा कोई दुनिया में
हमसफ़र नहीं होता मेरी जान..
रास्ते मे दिख जाए कोई दरिया 
तो फेंक आना उन सारी 
कड़वी यादों के गुबार को 
जो तुम्हे आँखरी मोड़ पे
प्रेमी से सौगात में मिली थी..
क्योंकि जिस दुनिया मे तुम 
अब लौट कर जा रही हो वहा 
तुम्हे खुद ही संभलना होगा 
और उस कड़वाहट के साथ 
तुम बसर न कर पाओगी,
इसलिए फेंक आना 
वो सब वादें, वो तमाम कड़वी बातें 
वो सारे किस्से, वो सारी रातें
वो सारी धुत्कार, वो सारे ख्वाब.. फेंक आना
ये तुम्हे कभी आगे नहीं बढ़ने देंगे
की तुम्हे बनानी है अपनी एक नई दुनिया..
फिर से मजबूत करना है तुम्हे अपना अस्तित्व..!!

©pooja gautam #FadingAway
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pooja gautam

जैसे सागर के किनारे खड़ा हो, कोई कोशिश करता है ख़ुद को तलाशने की...! बहकती मचलती लहरों में ख़ुद को देखने की कोशिश...! गीली रेत पर पैरों के निशान और फिर उन  निशानों को देखकर, करता है याद उन रिश्तों को जो इतनी ही गहराई तक उतरे है ज़हन में...! पर फिर अचानक एक बेबाक लहर आकर गीली रेत पर बनें पैरों के निशानाें को क्षण में मिटा देती है, जैसे उन निशानाें का अपना कोई अस्तित्व कभी था ही नहीं...!
मैं कोशिश में हूँ की समझ पाऊँ कि मैं क्यों नहीं मिटा पाती उन क़दमों के निशां अपने ज़हन से,  क्यों नहीं मदमस्त हो जाती उस लहर की तरह, क्यों नहीं ख़ाली कर देती मन को, क्यों बोझ ढोती हूँ  उन रिश्तों का जिन्होंने दिल से कभी अपनाया ही नहीं...!
क्यों भावनाओं के भँवर से पार नहीं पा पाती..!
क्यों किसी की यादों को पुराने संदूक में क़ैद नहीं कर  देती, क्यों नहीं चहक लेती जी भर कर...!
उमड़ते घुमड़ते तमाम सवालों के बीच फिर याद आया, नहीं कर पाती ऐसा कुछ , शायद तभी तो मेरा नाम स्त्री है, जो इस सृष्टि को ख़ूबसूरत बनाती है,जो जीवन में मानवीय रंग भरती है, सृजन करती है, पर उसकी कीमत नहीं माँगती, जो भावनाओं का सागर हृदय में लिए , शांत नदी सी बहती है...!
हाँ,,,,, और शायद तभी ये दुनिया क़ायम है...! मुझे गर्व है मैं नहीं मिटा पाती रिश्तों की ख़ुशबू और गहराई,  शायद यही वो वजह है, जो मुझे तुमसे अलग बनाती है...!
मुझे *मैं* बनाती है...!
मुझे जीवंत बनाती हैं...!

©pooja gautam #adishakti
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pooja gautam

जिन रिश्तों को बचाने के लिए या अपनी ज़िंदगी मे उनके बने रहने के लिए ऊपर वाले से कभी प्रार्थनाएं करते रहते थे। 
वो आज हमारे साथ नहीं हैं फिर भी उन प्रार्थनाओं के पूरी ना होने का कोई मलाल तक नहीं हैं ज़हन में।

वो रिश्ते जिनके बिना जीने की कल्पना तक नहीं कर पाते थे वो आज एक याद भर बन के रह गए हैं।

वो शख्स जिसे पूरी दुनिया मान चुके थे कभी, जिससे पल भर की दूरी हमें अज़ीयत के किसी गहरे कुएं में धकेल देती थी। आज वो शख्स हमारे इर्दगिर्द कही भी नहीं हैं फिर भी ज़िंदगी वैसी ही चल रही जैसी थी।

"किसी के बिना किसी की ज़िंदगी नहीं रुकती" ये बात हम तब तक नहीं मानते जबतक वो लोग हमें छोड़कर नहीं जा चुके होते हैं। जिनके बिना हम एक पल ना रह पाने के दावे करते थे। 

हम खुद को ये सफाई देकर बहला देते हैं कि शायद 'ऊपरवाले' की यही मर्जी थी।
इस दुनिया मे अगर हम किसी को सबसे ज्यादा बेवकूफ बनाते हैं तो वो खुद हम हैं।

अक्सर हम दूसरों से शिकायत करते हैं कि वो बदल गए हैं। हमारे साथ पहले की तरह नहीं रहते, लेकिन क्या हम भी वैसे ही हैं जैसे पहले थे ? 
क्या कभी हमने खुद से ये सवाल किया हैं ? 

हम नहीं करते खुद से सवाल हमारे सवाल सिर्फ दूसरों के लिए होते हैं हमारी शिकायतें सिर्फ दूसरों के लिए होती हैं।

वक़्त कभी भी नहीं बदलता.. वक़्त के साथ सिर्फ हमारी ज़रूरतें इच्छाएं और हमारी प्राथमिकताएं बदलती हैं।

कुछ भी स्थायी नहीं हैं यहाँ।

©pooja gautam #fog
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pooja gautam

📮 दहेज 

क्या शादी को व्यापार बनाना जरूरी है ,
दहेज लेना या देना मजबूरी है ?

किसी ज़ाहिल को समझाया जा सकता है ,
लेकिन उन पढ़े लिखों को आखिर कौन सी भाषा समझ आती है ?

ये झूठे रीति - रिवाज के तले, ना जाने कितने लड़कियां दम तोड़ देती हैं ;
और समाज के ठेकेदार इसे भी शगुन बताते हैं ?

लड़कों को सिखाया जाना चाहिए बैठक में ट्रे में चाय के साथ नाश्ता लाना ,
और लड़कियों को सिखाया जाए बैठक में बहस का हिस्सा बनना |

कितनी भी हिन्दी सिनेमा में अमर प्रेम कहानी पसंद आ जाए ,
फिर क्यों रियल लाइफ में शादी की बात जाति और दहेज पर आकर ही The End होती है ?

क्यों एक पिता ड्रेसिंग टेबल और फर्नीचर के साथ ,
ढेर सारी किताबें और एक स्टडी टेबल नहीं देता ?

अच्छा परिवार , शानो शौकत , इज्जत ;
दहेज मांगने में कहां गुम हो जाती हैं ?

शायद जरूरी है अब समाज का नक्शा बदलना ..!!

#shadi #Dahej_Mukt_Bharat #dahej

©pooja gautam #Loneliness
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pooja gautam

'परफेक्शन' एक मिथ है। परफेक्ट जैसा कुछ होता नहीं हैं, गुंजाइश हर बार बनी रहती है। हम सभी अपने अपने स्तर पर परफेक्ट बनने की जिद में हैं। और इस कवायद में अपने नैसर्गिक 'नॉट सो परफेक्टपन' को भूलते जा रहे हैं।

दरअसल, यह सारा मसला सफल और आदर्श जिंदगी से जुड़ा है। जीवन इम्परफेक्ट है तो जिंदगी के तरीके  परफेक्ट कैसे हो सकते है? बेतरतीब लोगों को चाहे तमगे न मिलते हों....पर जीवन के मज़े बस वही लेते हैं। 

' क्या फर्क पड़ता है ' अमर वाक्य है! सच्चाई यही है कि, कोई फर्क नहीं पड़ता आपके परफेक्ट होने न होने से। इस दुनिया के आपके आदर्श भी कहीं न कहीं अपने इम्परफेक्शन को छुपा कर परफेक्ट नज़र आने की कोशिश में हैं।

स्वयं को परफेक्ट रखने की जद्दोजहद और स्वयं की सीमाओं के बीच स्वयं को पिसते हम दूसरों के उदाहरण और शब्दों में स्वयं को परफेक्ट ढूंढने की कोशिश में रहते हैं। पर हम कभी किसी को 100 प्रतिशत संतुष्ट नहीं कर सकते। किसी के लिये कितना भी कर लो...जान निकाल कर हाथ मे धर दो, तब भी कोई न कोई कमी जरूर रह जाती है। हर रिश्ते में 100 प्रतिशत देने के बाद भी आप सभी के लिये परफेक्ट नहीं बन सकते।

और कब अपने परफेक्शन से लहालोट होते आपके सामने, आपके परफेक्ट गुण ही आपकी कमियां बन जाएंगी आपको पता भी नहीं चलेगा! 

इसलिये देव साहब दशकों पहले जीवन का मूलमंत्र दे गए थे...

मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया,
हर फिक्र को धुएं (  कोई भी धुआं😑अगरबत्ती का भी ) में उड़ाता चला गया...!!

©pooja gautam #MereKhayaal
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pooja gautam

जैसे खुशियां अस्थायी होती है वैसे ही हमारे दुःख भी अस्थायी होते है।

ये दोनों ही मन के खास मौसम है।

रात के पहर में जो खयाल बेवजह पीड़ा

दे रहे थे,भोर के साथ ही वे कही विलीन हो जाते हैं।

मुझे अपने हिस्से के दुखों से भी उतना ही लगाव है जितना कि खुशियों से है।

दुख हमें सहज,सरल और खुद से जोड़े रखते है।

कई बार ये उदासियां आकर हमें चारों तरफ से घेर लेती है, कई अकेले नितांत किसी कमरे के कोने में बैठ जी भर के रोने का मन करता है और कई बार खुद को इतना कमजोर महसूस करने लगते है कि आँखें हर पल किसी अपनेपन की तलाश में रहती है।

ना तो रोना कमजोरी की निशानी है ना ही उदासियां हर वक़्त नकारात्मकता की।

क्यों इनसे पीछा छुड़ाने की कोशिश में लगे रहते है हम.. ?

आने देना चाहिए उदासियों को समीप मन भर जाए तो जी भर के रो लेना चाहिए ये हमे कमजोर नहीं बल्कि संवेदनशील बनाती है पहले से और मन को मजबूत बनाती है।

और फिर जब खुशियां ही नहीं ठहरी तो इन दुखों की क्या मजाल।

©pooja gautam #Light
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pooja gautam

न चाहते हुए भी आज उसने कहा 
तुम जैसा हो जाना चाहती हूँ
याद ही न रहे कि तुम हो कहीं। 
*****

उसके पास सबके लिए वक्त था
सिवाय उसके 
जो अपना सारा वक्त 
उसके नाम किए बैठी रही।
*****

कभी-कभी वो पूछती
याद आती है मेरी ?
जवाब आता 
बेहद ।
फिर वो कुछ न पूछ पाती ।
*****

किसी रूमानी शाम में वो सोचती
छोड़ो जाने दो उदास नहीं होना है
ठंडी हवा उसे उदास चादर ओढ़ा जाती।
*****

उसकी मुस्कान संक्रामक थी।
वो देख रही थी खुद को बर्बाद होते
एक दिन वो पूरी ख़त्म हो गई।
*****

वो हर बार सोचती कि अब इंतज़ार न करेगी
फिर थोड़ी ही देर में मैसेज भेजती
और खुश हो जाती 
क्योंकि रिप्लाय ज़रूर आता।
*****

उसकी सारी शिकायतें धरी रह जातीं 
वो सिर्फ अपना हाल बताता 
वो नम आँखों से मुस्कुराती रहती।
*****

जब उसने सोचा वो कभी न पूछेगी
कि वो कुछ भी है उसके जीवन में
तभी उसके मन ने कहा 
जो सच है उसे स्वीकार कर लो।
*****

प्यार करने वाला बेहद तन्हा होता है
उसके पास उसका मन तक नहीं रहता।
*****

©pooja gautam #piano
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pooja gautam

वक्त और हालात की मजबूरी बताकर
तुम्हारा प्रेम का न निभा पाना।
और मेरा मुस्कुरा कर मान लेना...

वगैर यह कहे कि-
इश्क करना बगावत करना ही तो है।
और प्रेम बलिदान भी तो मांगता है।

#कबीर ने भी हामी भरी-
प्रेम पियाला जो पिये शीश दक्षिणा देय !
लोभी शीश न दे सके,नाम प्रेम का लेय !!

तुमने कहा-
कहाँ मिल पाई थी कान्हा को भी तो
राधा,मैं मीरा की तरह हो जाऊंगी या
फिर बन जाऊँगी दूसरी महादेवी 
हम तो सोलमेट हैं...

समझ तो रहा ही था पर,
मुस्कुरा कर समझ जाना ही ठीक लगा
कहाँ रोक पाता है कोई जाने वाले को।
कहाँ अलग कर पाता है कोई निभाने वाले को।

किसी को उजाड़ कर बसी तो क्या बसी
किसी को रुला कर हँसी तो क्या हँसी...

#वक्त_बीत_जाता_है_बातें_रह_जाती_है।

©pooja gautam
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pooja gautam

किसी की कमी हमे भीतर से कितना खाली कर देती है इस बात का अहसास तब होता है जब हम बहुत सारे लोगों से घिरे होने के बावजूद खुद को अकेला पाते हैं।

कहते है सच्चे मन से की गई प्रार्थनाएं ज़रूर पूरी होती हैं।
मैं नहीं जानती सच्चा या झूठा मन कैसा होता है मगर अब इस बात का यकीन हो चला है कि मन के भीतर से भेजे गए खत अक्सर नहीं पहुच पाते दूसरे मन के छोर तक।
ना ही वो लौट कर हमारे पास आते हैं। 

कुछ खतों के नसीब में नहीं होता उनके सही पते पर पहुचना
वो पैगाम जीवन भर सफर में ही रहते है।

खामोश लबों से दी गयी आवाज़ नहीं सुनाई पड़ती किसी को भी कुछ आवाज़ों के नसीब में नहीं होता सुनाई पड़ना।

नहीं होती सारी अर्जियां कुबूल होने के लिए।
नहीं होती सारी प्रार्थनाएं पूरी होने के लिए।

#मन_के_तार
#Mood_swings

©pooja gautam #seashore
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pooja gautam

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