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mfurkanahmad0702
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M Furkan Ahmad

Urdu Poetry

www.mfurkanahmad.blogspot.com

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M Furkan Ahmad

#गज़ल..
ज़ाम-ऐ-मौत भी दवा होता
गर तुने प्यार से दिया होता 

शायरी ही बया हैं करती सब
इश्क़ वरना तो बे-ज़ुबा होता

ईट दर ईट सीचना लहु से 
पत्थरों का नहीं मका होता

बात तो ठीक हैं तुम्हारी भी 
मैं ना होता तो दूसरा होता

सोचता देखकर ज़नाज़े को
ये ज़नाज़ा ना क्यों मिरा होता

मैं मचलता नहीं अदाओ पे
मैं मचलता तो मर गया होता

आप अश्को से क्यों बया करते
ज़ख्म होठो से गर बया होता

तुम गए मिल तो ठीक हैं वरना 
ज़िन्दगी जीना तो सज़ा होता

दिल दिमाग ने बना डाला
इश्क़ वरना कहाँ बुरा होता 

सोच होती दिमाग की ये तो 
शख्स कोई कहाँ भला होता

वो अगर चाहते तो फ़िर क्यों ना
ख़त्म किस्सा भी कर दिया होता

रुकता कुछ तो देर हो सकता
मेरा लहज़ा बदल गया होता...
(बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून)
  फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन                    2122 1212 22 #गज़ल..
ज़ाम-ऐ-मौत भी दवा होता
गर तुने प्यार से दिया होता 

शायरी ही बया हैं करती सब
इश्क़ वरना तो बे-ज़ुबा होता

ईट दर ईट सीचना लहु से

#गज़ल.. ज़ाम-ऐ-मौत भी दवा होता गर तुने प्यार से दिया होता शायरी ही बया हैं करती सब इश्क़ वरना तो बे-ज़ुबा होता ईट दर ईट सीचना लहु से

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M Furkan Ahmad

ना जाने कितने गूंगो की हूँ अावाज़ मैं..
तुम खामाखाँ शायर ना समझ लेना मुझे..

~फ़ुरकान अहमद

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M Furkan Ahmad

मोहब्ब्त खत्म होने को हैं आहिस्ता आहिस्ता चलो हम भी नफ़रतो के दौर में ढल जाते हैं..

मोहब्ब्त खत्म होने को हैं आहिस्ता आहिस्ता चलो हम भी नफ़रतो के दौर में ढल जाते हैं..

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M Furkan Ahmad

जो लाज़वाब होते हैं.
वो पल अज़ाब होते हैं

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M Furkan Ahmad

"शब-ऐ-बरात"

गुनाहो से पाक  होने  की  रात  हैं!   
"शब-ऐ-बरात"
गुनाहो से निज़ात पाने की रात  हैं!  
"शब-ऐ-बरात"
गुनाहो से  तौबा  करने  की रात हैं!  
"शब-ऐ-बरात"
गुनाहो से पिछा छुड़ाने की रात हैं!  
"शब-ऐ-बरात" "शब-ऐ-बरात"

गुनाहो से पाक  होने  की  रात  हैं!   
"शब-ऐ-बरात"
गुनाहो से निज़ात पाने की रात  हैं!  
"शब-ऐ-बरात"
गुनाहो से  तौबा  करने  की रात हैं!  
"शब-ऐ-बरात"

"शब-ऐ-बरात" गुनाहो से पाक होने की रात हैं! "शब-ऐ-बरात" गुनाहो से निज़ात पाने की रात हैं! "शब-ऐ-बरात" गुनाहो से तौबा करने की रात हैं! "शब-ऐ-बरात"

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M Furkan Ahmad

रोटी कमाने को मश्क़्क़्त करनी हैं..
बेटे को भी हैं आस खिलौने की

जिसे कहते हो तुम गन्दा सा पैराहन
दरअसल मुफ़्लिस का यही ईमान है..

#मज़दूर_दिवस
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M Furkan Ahmad

मेरी ख्वाहिश है, मेरी खुशियो को मौत आ जाए
चार दिन रोना पांचवे दिन की खुशी
बड़ी तकलिफ़ देय है! मेरी ख्वाहिश है मेरी खुशियो को मौत आ जाए
चार दिन का रोना पांचवे दिन खुशी तकलिफ़ देय है

मेरी ख्वाहिश है मेरी खुशियो को मौत आ जाए चार दिन का रोना पांचवे दिन खुशी तकलिफ़ देय है

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M Furkan Ahmad

लगा लूँ इस तरह तुझे अपनी बाँहों से
की हवा भी गुजरने की इजाजत मांगें

हो जाऊ  मदहोश  तेेरे प्यार में इतना
की होश खुद आने की इजाजत मांगें लगा लूँ इस तरह तुझे अपनी बाँहों से
की हवा भी गुजरने की इजाजत मांगें

हो जाऊ  मदहोश  तेेरे प्यार में इतना
की होश खुद आने की इजाजत मांगें

लगा लूँ इस तरह तुझे अपनी बाँहों से की हवा भी गुजरने की इजाजत मांगें हो जाऊ मदहोश तेेरे प्यार में इतना की होश खुद आने की इजाजत मांगें

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M Furkan Ahmad

तुम्हारे  बाद  किसको  अपनाऐंगे  हम
तुम नहीं होगे तो किसको सताऐंगे हम

तुम तो याद आओगे मुसल्सल ता-उम्र
क्या तन्हा रातो में तुम्हें याद आएंगे हम
 तुम्हारे  बाद  किसको  अपनाऐंगे  हम
तुम नहीं होगे तो किसको सताऐंगे हम

तुम तो याद आओगे मुसल्सल ता-उम्र
क्या तन्हा रातो में तुम्हें याद आएंगे हम

तुम्हारे बाद किसको अपनाऐंगे हम तुम नहीं होगे तो किसको सताऐंगे हम तुम तो याद आओगे मुसल्सल ता-उम्र क्या तन्हा रातो में तुम्हें याद आएंगे हम

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M Furkan Ahmad

आज फ़िर तुम्हारी याद आई हैं
आज फ़िर नया तमाशा होगा..!
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