Nojoto: Largest Storytelling Platform
makbulkhankayamk1407
  • 26Stories
  • 176Followers
  • 239Love
    4.8KViews

MAKBUL KHAN KAYAMKHANI

shayar,writer,dreamer, poet,

  • Popular
  • Latest
  • Video
610dc312d1144a750a8d1ae67339b757

MAKBUL KHAN KAYAMKHANI

ना नर मे कोई राम बचा।
 नारी मे  ना कोई सीता है।
ना धरा बचाने की खातिर 
वीष कोई शंकर पीता है।।
ना श्री कृषण सा 
धर्म अधर्म का 
किसी मे ज्ञान  बचा है।।
ना हरिश्चंद का सत्य का ज्ञान
किसी मे रचा बसा है।।
ना गौतम  बुध्ह जैसा धर्य बचा।
ना नानक जैसा परम त्याग।
बस नाच रही है नर के भीतर
प्रतिशोध की कत्ले आग।
फिर बौलौ की उस स्वर्णिम युग का
क्या अंश तुममे।।
की किसकी धुन मे तुम रमकर
फूले नही  समाते हो।
तुम खुद को  श्रेष्ठ बताते हो
तुम खुद को श्रेष्ठ बताते हो

©MAKBUL KHAN KAYAMKHANI ना नर मे कोई राम बचा।
 नारी मे  ना कोई सीता है।
ना धरा बचाने की खातिर 
वीष कोई शंकर पीता है।।
ना श्री कृषण सा 
धर्म अधर्म का 
किसी मे ज्ञान  बचा है।।
ना हरिश्चंद का सत्य का ज्ञान

ना नर मे कोई राम बचा। नारी मे ना कोई सीता है। ना धरा बचाने की खातिर वीष कोई शंकर पीता है।। ना श्री कृषण सा धर्म अधर्म का किसी मे ज्ञान बचा है।। ना हरिश्चंद का सत्य का ज्ञान #कविता

610dc312d1144a750a8d1ae67339b757

MAKBUL KHAN KAYAMKHANI

फिर आशना अजनबी सा उदास

फिर आशना अजनबी सा उदास

610dc312d1144a750a8d1ae67339b757

MAKBUL KHAN KAYAMKHANI

jan 2022

#LOVEGUITAR
610dc312d1144a750a8d1ae67339b757

MAKBUL KHAN KAYAMKHANI

#Journey teacher

#Journey teacher

610dc312d1144a750a8d1ae67339b757

MAKBUL KHAN KAYAMKHANI

#azaadi
610dc312d1144a750a8d1ae67339b757

MAKBUL KHAN KAYAMKHANI

26 जनवरी 2021

26 जनवरी 2021

610dc312d1144a750a8d1ae67339b757

MAKBUL KHAN KAYAMKHANI

नववर्ष 2021 की शुभकामनाएं सन्देश

नववर्ष 2021 की शुभकामनाएं सन्देश

610dc312d1144a750a8d1ae67339b757

MAKBUL KHAN KAYAMKHANI

बिखरने के लिए लोग ही लोग
पर एक होने के लिए
एक भी मुश्किल...
दरख़्त पंछियों को जन्म नहीं देते
पर पंछियों को घर देते हैं...

इमरोज़..

610dc312d1144a750a8d1ae67339b757

MAKBUL KHAN KAYAMKHANI

"निगाहें मुंतज़िर हैं किस की,दिल को जुस्तुजू क्या है
मुझे ख़ुद भी नहीं मालूम, मेरी आरज़ू क्या है..!!"

610dc312d1144a750a8d1ae67339b757

MAKBUL KHAN KAYAMKHANI

तिनके सा मैं और 
समुद्र सा इश्क़ 
डूबने का डर और 
डूबना ही इश्क़।।
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile