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nakulrathore4136
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कवि अर्जून सिंह बंजारा

कलम के सिपाही @कवि अर्जून सिंह बंजारा

arJunsinghbanjarawww.com

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कवि अर्जून सिंह बंजारा

दिनांक 12/06/2024

©कवि अर्जून सिंह बंजारा
  कवि अर्जुन सिंह बंजारा
कविता कलम के सिपाही

कवि अर्जुन सिंह बंजारा कविता कलम के सिपाही #Poetry

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कवि अर्जून सिंह बंजारा

कवि अर्जुन सिंह

कवि अर्जुन सिंह #Shayari

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कवि अर्जून सिंह बंजारा

कवि अर्जुन सिंह बंजारा हिंदू साहित्य

©कवि अर्जून सिंह बंजारा
  कवि अर्जुन सिंह बंजारा

कवि अर्जुन सिंह बंजारा #Shayari

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कवि अर्जून सिंह बंजारा

White शायरी -
अपने प्राणों से बढ़कर राष्ट्र बड़ा होता है
जब देते हैं बलिदान तभी तो राष्ट्र खड़ा होता है ।

तर्ज 
अपने वतन पर मिट जाने वालो ।
तुमको नमन है ए हिंद वालो ।।



1अंतरा 
एक घुसपैठ होती बात है कारगिल की ।
याद आई शहादत हमको टाइगर हिल की ।
हर चोटी पर तिरंगा लहराने वालो  ।
तुमको नमन है ए हिंद वालो ।।

©कवि अर्जून सिंह बंजारा
  #emotional_sad_shakavyari
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कवि अर्जून सिंह बंजारा

White शायरी -
अपने प्राणों से बढ़कर राष्ट्र बड़ा होता है
जब देते हैं बलिदान तभी तो राष्ट्र खड़ा होता है ।

तर्ज 
अपने वतन पर मिट जाने वालो ।
तुमको नमन है ए हिंद वालो ।।



1अंतरा 
एक घुसपैठ होती बात है कारगिल की ।
याद आई शहादत हमको टाइगर हिल की ।
हर चोटी पर तिरंगा लहराने वालो  ।
तुमको नमन है ए हिंद वालो ।।

©कवि अर्जून सिंह बंजारा
  #emotional_sad_shayari kavi Arjun Singh Banjara

#emotional_sad_shayari kavi Arjun Singh Banjara

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कवि अर्जून सिंह बंजारा

हिंदी साहित्य संस्थान
30/04/2024

©कवि अर्जून सिंह बंजारा
  कवि अर्जुन सिंह बंजारा
कविता मत मांगो खालिस्तान ये पूरा हिंदुस्तान तुम्हारा है

कवि अर्जुन सिंह बंजारा कविता मत मांगो खालिस्तान ये पूरा हिंदुस्तान तुम्हारा है #Poetry

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कवि अर्जून सिंह बंजारा

हिंदी साहित्य मंच

©कवि अर्जून सिंह बंजारा
  कवि अर्जुन सिंह बंजारा
कविता आज की पीढ़ी

कवि अर्जुन सिंह बंजारा कविता आज की पीढ़ी #Poetry

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कवि अर्जून सिंह बंजारा

सत्य भाष जन जन की आवाज

©कवि अर्जून सिंह बंजारा
  आधुनिक मिडिया

आधुनिक मिडिया #Poetry

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कवि अर्जून सिंह बंजारा

छीनी बचपन की खेल कूद मिलते दुनिया से दूर दूर  ।
सब कुछ फोन में समा गया न जाने  क्या क्या खा गया ।


जब से आया ये  गेमिंग फोन फिर चोर सिपाई खेला है कौन। 
पहले थी घर में चहल पहल अब घर सारा लगता है मौन ।
भूले  कब्बड़ी, गुल्ली डंडासारा खेल फोन में आ गया ।
सब कुछ फोन में समा गया न जानें क्या क्या खा गया ।


केलकुलेटर, रेडियो, डायरी ।ऑनलाइन होती है सब सायरी ।।
भूले सब राम राम सलाम ऑनलाइन होती हल्लो हायरी ।
सब मित्र, दोस्त हैं फोन में ।हर रिश्ता अब फोन में आ गया
सब कुछ फोन में समा गया न जानें क्या क्या खा गया ।

©कवि अर्जून सिंह बंजारा
  phone
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कवि अर्जून सिंह बंजारा

#lovebeat
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