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mayankbhaiya2523
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प्रमथ

Engineer

pramath.mayank

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प्रमथ

जब तुम्हारी आंखों में डूब जाऊं मैं
 मुझे साहिल की राह मत दिखाना...
डूब जाने देना इन गहराइयों में 
यूं हँस कर पार मत लगाना ...

©प्रमथ
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प्रमथ

इस ज़ालिम ज़माने में,ना अपना कोई सगा है |
जिनको किया सर्वस्व समर्पित, उन्होंने हीं हमें ठगा है ||

©प्रमथ #PRD
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प्रमथ

इस ज़ालिम ज़माने में,ना अपना कोई सगा है |
जिनको किया सर्वस्व समर्पित,उन्होंने हीं हमें ठगा है ||

©Pramath Mayank
  #PRD
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प्रमथ

इस ज़ालिम ज़माने में,ना अपना कोई सगा है |
जिनको किया सर्वस्व समर्पित,उन्होंने हीं हमें ठगा है ||

©Pramath Mayank
  #PRD
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प्रमथ

©Pramath Mayank #Skystars
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प्रमथ

सर्प,जटा,चंद्र,हलाहल 
नंदी,गण,गंगा धार हो अविरल 
आदि,अनंत सब प्रभु में व्याप्त
 शरणागत को चरण रज प्राप्त ।

नंदीश्वर,महादेव,महेश्वर
डमरूधर,महाकाल,कामेश्वर
सब प्रभु से शुरू,सब प्रभु में अंत
हे त्रिलोकी सत्-सत् नमन ।

©Pramath Mayank
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प्रमथ

निंदा, उपहास एवं विवाद ये ऐसे छ्द्म दोष हैं 
 जो मित्रता के सारे द्वार बंद कर देते हैं।

©Pramath Mayank
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प्रमथ

#Flute
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प्रमथ

कभी अधरों ने नैनों की भाषा सीख ली
कभी नैनों की बात अधरों पर आ गए ।

  खामोश अधर हो या नीर भरे नैन 
 हर एहसासों को बखूबी समझा गए ।।

©Pramath Mayank #Hum
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प्रमथ

जीता असत्य पर सत्य,अधर्म पर धर्म 
हठ पर विनय जीता,दंभ पर पराक्रम |
शत्रुता पर मित्रता भारी,विद्वेष पर अनुराग प्रबल
 तिमिर पर ज्योति फैली,कटुता पर सद्भाव सबल ||

दशानन के स्वर्ण महल पर तृण कुटिया का मोल अधिक
सुसज्जित अस्त्र-शस्त्रों के आगे किष्किंधा के वनार निर्भीक |
समुद्र में सेतु के आगे पुष्पक की क्या थी बिसात
खींच प्रत्यंचा पुरषोत्तम ने, महासागर को दिखलाया था औकात |

ज्ञान वैभव शक्ति में लंकेश का ना कोई जोड़ था
तप,त्याग,मनोबल नैतिकता हीं, बस इसका एक तोड़ था |
नक्षत्राधिपति जिसके अधीन थे,दिक्पति भी न स्वाधीन थे
कैलाश हिलाया था उसने, ग्रहों को ललकारा जिसने 
पराजय जिसके स्वप्न में भी,न कभी भी आता था
 ऐसा सामर्थ्यवान भी एक नाम सुनकर कांप जाता था ||

नैतिकता जब बलशाली हो,साधक साध्य पर हावी हो 
भुजाओं में हो अनंत शौर्य तब वर्तमान भूत या भावी हो |
ना कोई डिगा हमें सकता है,शोणित में उबाल आ सकता है 
सागर भी बांधे जा सकते हैं, एक तृण भूचाल ला सकता है ||

©Pramath Mayank #Dussehra2020
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