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gauravbijalwan1524
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गजेंद्र 'गौरव'

मुसाफ़िर

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गजेंद्र 'गौरव'

White मुखौटे देखे लाखों मैंने 
चेहरा दिखना बाकी है 
हर डाल पर हैं कर्कश कौवे 
कोयल का दिखना बाकी है 
है व्याप्त दर्प का अहंकार 
आलोक शील का बाकी है 
है डगर अनैतिक भीड़ भरी 
सद्मार्ग की पंक्ति बाकी है 
चाटुकारी - युक्त है जिव्हा मगर 
वाणी यथार्थ की बाकी है 
सही को कहे सही, गलत को गलत 
दृढ़ संकल्पित इस समाज में, हो जाना तो बाकी है 
थोड़ी जो कलम ये चलाई है 
इस पर ही भृकुटी तन गई 
कुछ अफसाने अभी लिखे हैं 
काफी कुछ लिखना बाकी है

©गजेंद्र 'गौरव' #good_night #rebel
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गजेंद्र 'गौरव'

उम्मीद टूटने से बड़ा नुकसान क्या होगा
रीढ़ की हड्डी टूटी है जिसकी, वो इंसान क्या होगा

लाखों लाशों पर चलकर जिसने ताज पाया है
कुछ लोगों की मौत से वो क्यों परेशान होगा

इंसान - इंसान का दुश्मन बन बैठा जमाने में
जो इंसान ही नहीं वो सोचके क्यों हैरान होगा

भगवान का डर  धरती के बाशिंदों को होना लाजमी है
पर वो क्यों डरेगा जिसे खुद, खुदा होने का गुमान होगा

अपने गुनाह के एवज़ में दूसरों के गुनाह गिनाते हैं
झांकने को तो कम से कम, उनका अपना गिरेबान होगा

©गजेंद्र 'गौरव'
  #galiyaan #इंसान
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गजेंद्र 'गौरव'

जोशीमठ


अंत का आभास किसी को है नही
आरंभ से अंत, परंतु निश्चित है

चिरकाल से मनुष्य खुद को शास्वत समझे 
कौन प्रकृति के लिए यहां चिंतित है

बेकसूरों के मकानों पर दरारें बेहिसाब
मंत्री अफसर कहते फिरें, उत्तराखंड विकसित है

ठंड में ठिठुर रहे अपने घरों से हो बेघर
हुक्मरान भूल करें, आवाम हो रही दंडित है

लोभ की सीमा नहीं तृष्णा बेहिसाब है
मौन व्यर्थ है यहां, मुखरता जवाब है।

मां सुरकंडा दया करो फिर ऐसा संकट ना हो
देवभूमि का कोई शहर, जोशीमठ ना हो


-गजेंद्र गौरव
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गजेंद्र 'गौरव'

#HumAndNature #nature #snowfall
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गजेंद्र 'गौरव'

प्यास बुझाने को चंद बूंदों की तलाश थी
घर से निकलते ही मौसमी झील मिल गई

अंधेरों में भटकते, रोशनी की उम्मीद लिए
घने जंगल में जुगनूओं की भीड़ मिल गई

तुम्हारा पता खोजने में महीनों गुजर गए
और आज तुम अचानक सरेराह मिल गई

भूखा पेट, मांगे हुए चनों से भरते रहे
क्या नसीबा, तुम्हारे हाथ की बनी खीर मिल गई

लकीरें हाथों की धुंधली पड़ गई थी
तुम मिली तो जैसे तकदीर मिल गई

कभी मिलने को तरसते थे महीनों महीनों
आज के ही दिन तुम तीन दफा मिल गई

तुम्हें पा लिया अब क्या कहें
ख्वाहिशें बख़्शीश की थी, तनख्वाह मिल गई

©गजेंद्र 'गौरव'

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