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piyushprarthi3749
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Piyush Prarthi

First of all I m a defence and Nation lover , Defence aspirant and after that I m a Writer, a singer,a painter, a photographer. at the end I m also a civil engineer.

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Piyush Prarthi

#WoRasta
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Piyush Prarthi

वक्त कब गुज़र गया पता ही न चला।

सोचा था आज नहीं तो कल,
कभी तो  मिलेगी कामयाबी।
और इस दौड़ में वक्त कब गुज़र गया
पता ही न चला।

मानो जैसे कल ही तो शुरू किया था सफर,
कब इतने साल बीत गए,
पता ही न चला।

सफर बढ़ता गया मंजिल की तलाश में,
और इस तलाश में वक्त कब गुज़रा,
पता ही न चला।

गुज़रे वक्त को जो मुड़ कर देखा,
तो इस वक्त में क्या क्या गुजरा,
पता ही न चला।

- पीयूष प्रार्थी।

©Piyush Prarthi #MomentOfTime
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Piyush Prarthi

मेरे पास गांव,खेत,दादा दादी और नदी किनारे का भी किस्सा है।

हां  मेरी परवरिश में गांव की मिट्टी का भी अहम हिस्सा है।

©Piyush Prarthi #PhisaltaSamay
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Piyush Prarthi

#BaadalBarse poem
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Piyush Prarthi

क्यों इस लड़ाई में आज हर एक है,
कि पुरुष या महिला अधिक नेक है?
क्या दोनों अलग हैं या एक है,
दोनों का एक सा ही तो विवेक है।

दोनों ने ही तो इस धरा को सजाया है,
फिर ये दोनों को यूं किसने लड़ाया है।
क्यों समझ नहीं पा रहे कि हम एक हैं ,
दोनों का एक सा ही तो विवेक है।

कुछ एक अंग ही तो भिन्न है,
देखो हम सबकी मानसिकता कितनी छिन्न है।
समझ पाए जो इसे वो कुछ एक  हैं,
दोनों का एक सा ही तो विवेक है।

प्रकृति के सभी नियम कितने सटीक है,
अंतर है भी तो कितना बारीक है।
हां दोनो ही तो एक दूजे की टेक है,
दोनों का एक सा ही तो विवेक है।

क्यों इस लड़ाई में आज हर एक है,
कि पुरुष या महिला अधिक नेक है?
क्या दोनों अलग हैं या एक है,
दोनों का एक सा ही तो विवेक है।

©Piyush Prarthi #hands
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Piyush Prarthi

#SadStorytelling
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Piyush Prarthi

रिश्ते अब रिश्तों से कहां रह गए,
बिना कुछ कहे ही लाखों बैर हो गए।

अपनों का दर्द  अब कहां किसी को होता है,
अपनों के लिए अब  कहां कोई  रोता है।
धीरे धीरे सब रिश्ते जैसे ठहर से गए,
एक कोक के बच्चे भी अब जैसे गैर हो गए।

रिश्ते अब रिश्तों से कहां रह गए,
बिना कुछ कहे ही लाखों बैर हो गए।

रीति रिवाज और रस्म अब सिर्फ निभाई जाती है,
हमदर्दी अब रही नहीं बस जताई जाती है।
रिश्तों के नाम पर तो अब बस ज़मीनी टुकड़े रह गए,
प्रेम,स्नेह,लगाव तो शायद पिछली बरसात में बह गए।

रिश्ते अब रिश्तों से कहां रह गए,
बिना कुछ कहे ही लाखों बैर हो गए।

-पीयूष प्रार्थी।

©Piyush Prarthi #alone
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Piyush Prarthi

हर शख़्स हर पल एक अभिनय में है,
दिखता है खुश मगर लाखों भय में है।

न जाने क्यों वो मैं के नशे में चूर है,
यहां हर कोई अहम अहंकार से भरपूर है।
मालूम है सबको कि नियति में ही सब कुछ तय है,
मगर फिर भी यहां हर इंसां स्वार्थ के मंशय में है।

हर शख़्स हर पल एक अभिनय में है,
दिखता है खुश मगर लाखों भय में है।

समझाने में लगे हैं यहां सभी लेकिन,
कोई किसी को समझना चाहता नहीं है।
जां हथेली पर भी रख देते हैं मगर,
फिर भी यहां हर रिश्ता संशय में है।

हर शख़्स हर पल एक अभिनय में है,
दिखता है खुश मगर लाखों भय में है।

-पीयूष प्रार्थी।

©Piyush Prarthi #GoldenHour
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Piyush Prarthi

#Hope
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Piyush Prarthi

हर शख़्स हर पल एक अभिनय में है,
दिखता है खुश मगर लाखों भय में है।

न जाने क्यों वो मैं के नशे में चूर है,
यहां हर कोई अहम अहंकार से भरपूर है।
मालूम है सबको कि नियति में ही सब कुछ तय है,
मगर फिर भी यहां हर इंसां स्वार्थ के मंशय में है।

हर शख़्स हर पल एक अभिनय में है,
दिखता है खुश मगर लाखों भय में है।

समझाने में लगे हैं यहां सभी लेकिन,
कोई किसी को समझना चाहता नहीं है।
जां हथेली पर भी रख देते हैं मगर,
फिर भी यहां हर रिश्ता संशय में है।

हर शख़्स हर पल एक अभिनय में है,
दिखता है खुश मगर लाखों भय में है।

-पीयूष प्रार्थी।

©Piyush Prarthi #GoldenHour
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