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rahulkumar1666
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Rahul Kumar

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Rahul Kumar

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Rahul Kumar

बन्द रहेंगे मंदिर मस्ज़िद,
खुली रहेंगी मधुशाला।
ये कैसे महामारी है,
सोच रहा ऊपरवाला।।
😐
नशा मुक्त हो जाता भारत
तो कैसे चलती मधुशाला
व्यवसाय रुका है उन गरीबों का,
 जो नोट की जपते थे माला।।😐

नहीं मिल रहा राशन पानी,
मगर मिलेगी मधुशाला।
भाड़ में जाए जनता बेचारी,
दर्द में है पीने वाला।।😐

आपत्ति नहीं जताओ कोई,
खुलने दो ये मधुशाला।
कोराना मुक्त होगा भारत,
जब ठेके पर चलेंगे त्रिशूल और भाला।।😐

मेरी विनती है तुम सब से,
गर जाए कोई मधुशाला।
वापिस ना आने दो उसको,
तुम बंद करो घर का ताला।।😐

दुनिया है बरबाद,
और इन्हे चाहिए मधुशाला।
घर में ही रह लो पागल लोगो,
ना बचा पाएगा वो रखवाला।।😐

मंदिर मस्जिद बंद पड़े हैं,
मगर खुलेंगी मधुशाला।
ये कैसे महामारी है,
सोच रहा ऊपर वाला।।😐
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Rahul Kumar

वो इश्क़ का आफ़ताब लेकर, 
अंगारों पर चल दिए। 
उनकी आंखों में बेशुमार इश्क़ था, 
मुझे उनकी आंखों से प्यार था। 
बरसात होने लगी भर गर्मी में, 
यह अद्भुत नज़ारा देख शायद मुझे भी उनसे प्यार हो रहा था।    

©राहुल ! 😍
❤
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Rahul Kumar

*घर गुलज़ार, सूने शहर,*
 *बस्ती बस्ती में कैद हर हस्ती हो गई,*

*आज फिर ज़िन्दगी महँगी*
 *और दौलत सस्ती हो गई ।*

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Rahul Kumar

Alone  कोरोना:COVID-19

दहशत है ज़मीन पे,
थर्राए हुए हैं लोग।
मूक बधिर सी त्राहिमाम करते,
बड़ा भयानक रोग।

किंकर्तव्यविमूढ़ सा नर नारी।
हलक में  अटकी जिन्गी सारी।
किस गुनाह के चलते दुनिया,
बेमौत मरते-फ़िरते बारी बारी।
ठहरा हुआ है समय चक्र,
ए कैसा दुर्लभ दुर्योग।

आती-जाती सांसे पूछे,
और कितने दिन शेष है।
हिम्मत हौंसला हारने के,
कारण बड़ी  विशेष है।
शिथिल है नब्ज़ धमनियाँ,
नतमस्तक ज्ञान विज्ञान योग।

अब तो कोई चमत्कार होगा।
या की बस हाहाकार होगा।
वेद पुराण गीता उपनिषद,
झूठा होगा या साकार होगा।
सिसकते कलम की स्याही,
क्या लिखे रुदन वेदना वियोग।

दहशत है ज़मीन पे,
थर्राए हुए हैं लोग।
मूक बधिर सी त्राहिमाम करते,
बड़ा भयानक रोग। corona

corona

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Rahul Kumar

चाँद, सूरज, दीपकों की जगमगाहट छीन ली
किसने हमसे  रौशनी की मुस्कुराहट  छीन ली

इक ज़रा से ज़ुल्म से ही तिलमिला जाता था वो
क्या हुआ किसने अब उसकी तिलमिलाहट छीन ली

अब गगन में घिर रहा है वो घना काला धुआँ
जिसने उड़ते पंछियों की चहचहाहट छीन ली

मेरे  होंठों पर   जो बनके आती थी   प्यारी ग़ज़ल
दिल के टूटे साज़ ने वो गुनगुनाहट छीन ली

मेरे सीने में थी जो इक आग कब की  बुझ चुकी
जो बची  मैंने ही उसकी सुगबुगाहट छीन ली

ना तो ग़म का है  न खुशियों का ही है  इस पर असर
वक़्त ने इस दिल की सारी छटपटाहट छीन ली

इस ज़माने ने वो हंगामा  किया जिसने 'कुँअर'
मेरे प्रिय के मेरे घर   आने  की आहट  छीन ली
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Rahul Kumar

चाँद, सूरज, दीपकों की जगमगाहट छीन ली
किसने हमसे  रौशनी की मुस्कुराहट  छीन ली

इक ज़रा से ज़ुल्म से ही तिलमिला जाता था वो
क्या हुआ किसने अब उसकी तिलमिलाहट छीन ली

अब गगन में घिर रहा है वो घना काला धुआँ
जिसने उड़ते पंछियों की चहचहाहट छीन ली

मेरे  होंठों पर   जो बनके आती थी   प्यारी ग़ज़ल
दिल के टूटे साज़ ने वो गुनगुनाहट छीन ली

मेरे सीने में थी जो इक आग कब की  बुझ चुकी
जो बची  मैंने ही उसकी सुगबुगाहट छीन ली

ना तो ग़म का है  न खुशियों का ही है  इस पर असर
वक़्त ने इस दिल की सारी छटपटाहट छीन ली

इस ज़माने ने वो हंगामा  किया जिसने 'कुँअर'
मेरे प्रिय के मेरे घर   आने  की आहट  छीन ली #World_Speech_Day
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Rahul Kumar

सब  के सब  इक  रोज़  बदलने वाले हैं
आप  अकेले  आग  पे  चलने   वाले  हैं

कैसी ग़ज़लें लिक्खेगा फिर वो, जिसके
चाँद - सितारे   आग    उगलने  वाले  हैं

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Rahul Kumar

Saradin aaj khoob barish hoti rahi,
Kuch ashko ke beech tumhari yaadein boondo ki tarah barasti rahi....
Tere aayne mai meri tasveer kahi tut si gyi,,
Aur aaj hr uss tutte tukde mai teri dhoondhli muskurahat goonz si gayi.... Barish

Barish

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Rahul Kumar

ऐ खुदा
                लौटा दे वो माँ की ममता
                ..........कि मैं माखन चूरा भी लूँ
               और मैं नहीं माखन खायो
               .......कह कृष्ण सा सच्चा हो जाऊँ
                                ऐ खुदा
                लौटा दे वो बाप का साया
                ....... कि ऊग़ली पकड़ चलना सीखूँ
                 कन्धे पे चड़ देखूँ मेला
                .......और मैं फिर से बच्चा हो जाऊँ maa

maa

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