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VIDHI SAKSHI SAHEEWALA
आपके लाइक और कमेंट्स, हमें होसला देते है ।
लिखना कुछ खास नहीं, पर चाहती हूँ,
हर जुबां पर याद रह जाऊँ ।
बस कुछ अल्फ़ाज़ और कुछ बातें लिखती हूँ ।
बस उन्हें मैं कहतीहूँ, "जिन्दा यादें "।
"अपने पापा की परी"
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