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अशोक तिवारी 'पंडित'

कवि, समाजसेवक एवं शिक्षक

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अशोक तिवारी 'पंडित'

"नववर्ष गीत"

करना है मूल्यांकन हमको
क्या खोया क्या पाया?
बीत गया फिर एक वर्ष 
नया साल है आया।

पूर्व मिलन के वो किस्से
हरपल याद आयेंगे,
हुई गलतियां कल तक थी,
हम उनको बिसरायेंगे।
क्रोध तिमिर को दिया त्याग है,
प्रणय का दीप जलाया।
बीत गया फिर---------

ढली यामिनी दिखी अर्क की
अरुण मयूख निराली।
स्वर्णिम पत्र पर लिखी शायरी
दिल में है खुशहाली।
अक्षत रहे हमारा बन्धन
गीत भ्रमर ने गाया
बीत गया फिर----------

01/01/2022

©अशोक तिवारी 'पंडित' #New_year_poems

#sunrays
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अशोक तिवारी 'पंडित'

"प्रणय गीत"

तुम रहो साथ मेरे निहारूं तुम्हें
इस जमाने से कोई है चाहत नहीं
बिखरी अलकों को हर पल संवारूंगा मै
गर दे दो मुझे तुम इजाज़त कहीं।

एक भौंरा कली से है कह रहा
कहो कैसे हुई माथे पर शिकन
नाम पावन तुम्हारा लेकर कहे
आज अाई नहीं ऊबता मेरा मन
मेरे दिल के बगीचे में जाओ गुजर
कोई जाकर के कर दो शरारत वहीं।
तुम रहो साथ मेरे...........

आसमां रात में देखता जब भी मैं
चांद की चांदनी खो जाती कहां
बैठ जाती मेरे पास आकर के तुम
नूर चेहरे का बिखरा चमकता वहां
चांद मैला हुआ सोचता रात भर
तुमसे लड़ने की उसमें है ताक़त नहीं।
तुम रहो साथ मेरे.......

ज़ख़्म गहरे हुए जब मेरी देह के
तेरी हर फूंक उनका है मरहम बनी
दूर होकर तपन में मैं जलता रहा
तब दिया तुमने आंचल की छाया घनी
अपनी जुल्फों में गजरा लगा लेने दो
इससे बढ़कर कोई है इबादत नहीं।
तुम रहो साथ मेरे.......

08/05/2020
अशोक तिवारी 'पंडित' #love song
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अशोक तिवारी 'पंडित'

बेचैन मुसाफ़िर 'गीत'

चल दिया है अंधेरे में इक राह पर
मेरी मंजिल का कोई ठिकाना नहीं
करके सारे जतन छोड़ अपने सभी
लौटने का है कोई बहाना नहीं।
चल दिया.....

शून्य है भाव मेरा इस बाज़ार में
शाख़ की पत्तियां बिक रही हैं जहां
होके लाचार बेबस खड़ा मोड़ पर
खो गया है वजूद जाने मेरा कहां।
आंख में भर के अश्क घूमता दर-बदर
इस ज़माने में कोई ठिकाना नहीं।
चल दिया......

क्या भरोसा करूं इस संसार से
साथ देकर यहां छोड़ देते सभी
जिस्म की हो रही है तिजारत यहां
उजले तन से मगर मन के काले सभी।
गांव को छोड़कर ढूंढ़ता मैं शहर
इस घनी रात को है बिताना कहीं
चल दिया........

देते तालीम जो खुद गए हैं उजड़
ठोकरें इस ज़माने की खाते यहां
गिरवी है अस्मिता बेड़ी पैरों पड़ी
मनुज मनुजत्त्व को खा रहा है यहां
वक्त के हर प्रहर पी रहा मैं जहर
अब अपनी डगर है बनाना कहीं
चल दिया...........
२०/०१/२०२०
अशोक तिवारी 'पंडित' #geet बेचैन मुसाफ़िर Eisha mahi Mr. urvil DEVENDRA KUMAR (देवेंद्र कुमार) 🙏 shivam sharma sona singh

#geet बेचैन मुसाफ़िर Eisha mahi Mr. urvil DEVENDRA KUMAR (देवेंद्र कुमार) 🙏 shivam sharma sona singh

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अशोक तिवारी 'पंडित'

*ग़ज़ल*

कल जो रोटी को तरसते आज उनको क्या हुआ
हाथ से शराब छलके मुह से जहरीला धुंआ।

आज किस्मत खुल गई है हश्र इनका देख लो
मुल्क को रख दांव पर और आग से खेले जुआ।

ज़ख्म खाली भर रहे थे फिर से खोदा है गया
रो रही है ये ज़मीं और आसमां सहमा हुआ।

काट सकते थे शराबी जैसे काटे बीते दिन
हो गया एहसास हमको तुमको भी लगता नशा।

जाम के चक्कर में अपनों की फिकर करते नहीं   हुक्मराँ है हुक्म देता आज फिर सोता हुआ।

04/05/2020
अशोक तिवारी 'पंडित'
महमूदाबाद (सीतापुर) #ghazal
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अशोक तिवारी 'पंडित'

*ग़ज़ल*

कल जो रोटी को तरसते आज उनको क्या हुआ
हाथ से शराब छलके मुह से जहरीला धुंआ।

आज किस्मत खुल गई है हश्र इनका देख लो
मुल्क को रख दांव पर और आग से खेले जुआ।

ज़ख्म खाली भर रहे थे फिर से खोदा है गया
रो रही है ये ज़मीं और आसमां सहमा हुआ।

काट सकते थे शराबी जैसे काटे बीते दिन
हो गया एहसास हमको तुमको भी लगता नशा।

जाम के चक्कर में अपनों की फिकर करते नहीं   हुक्मराँ है हुक्म देता आज फिर सोता हुआ।

04/05/2020
अशोक तिवारी 'पंडित'
महमूदाबाद (सीतापुर) #Ghazal
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अशोक तिवारी 'पंडित'

"शायरी"
सुना था कल को मैने कि निकम्मे घर में रहते हैं
मगर परवर की देखो तो उन्हें होशियार बना दिया
सजाएंगे वही महफिल, जो महफिल में नहीं आ जाते
वक़्त के इस मंजर ने उन्हें किरदार बना दिया। Suman Zaniyan Mohmad Tanveer  @Neeraj $ Niraj nayak Mp Rajpurohit

Suman Zaniyan Mohmad Tanveer @Neeraj $ Niraj nayak Mp Rajpurohit #शायरी

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अशोक तिवारी 'पंडित'

 मुक्तक छंद

मुक्तक छंद #nojotophoto

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अशोक तिवारी 'पंडित'

 यह मेरा 14 वां गीत है

यह मेरा 14 वां गीत है #कविता #nojotophoto


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