Nojoto: Largest Storytelling Platform
rakeshlalit4366
  • 21Stories
  • 4Followers
  • 176Love
    311Views

Rakesh Lalit

ललित

  • Popular
  • Latest
  • Video
6d099535f9a6c2d2e5d9a204183f8126

Rakesh Lalit

"न तुझको मिले वो मुकम्मल किनारे, 

तेरी ही तरह इसने बरसों गुजारे, 

हैं बेताबियाँ, और हैं गहराइयाँ भी, 

खयालों का सैलाब इस दिल के अंदर, 

न तू बस समंदर, ये दिल भी समंदर।"

©Rakesh Lalit समंदर

समंदर #Shayari

6d099535f9a6c2d2e5d9a204183f8126

Rakesh Lalit

कौन कहे तुम अमर रहोगे?    
---------------------------
सहज नही रह पाओगे यदि
अपना आपा खो डाला,
खोई दुनिया मे ढूँढ स्वयं को 
अपना"आप"तुम रख लेना,
उपचार नहीं विद्वेष का लेकिन
कर प्रयत्न तुम यह लेना,
कौन कहे तुम अमर रहोगे
भ्रम वर्जित कर रह लेना।

तुम कब ऐसे निर्मम थे 
क्या आज तुम्हारा रूप हुआ,
तुमसे तो आसान बहुत था
कटु वचनों को कह लेना,
तुम थे अपनी बात के पक्के
बन प्रतीक तुम सह लेना,
कौन कहे तुम अमर रहोगे
भ्रम वर्जित कर रह लेना।

मिला तुम्हे है मानव जीवन
तो मानव भी बन जाओ,
पहले सत्य परख लो यारों
फिर लहरों में बह लेना,
सरल नहीं है टूटे घर की
कठिन कहानी कह लेना,
कौन कहे तुम अमर रहोगे
भ्रम वर्जित कर रह लेना।

©Rakesh Lalit कौन कहे तुम अमर रहोगे? 
#peace

कौन कहे तुम अमर रहोगे? #peace #Poetry

6d099535f9a6c2d2e5d9a204183f8126

Rakesh Lalit

न शाम आकर सुकून देती है मुझको यहाँ की, 

न सुबह को शहर में वो दिलक़शी दिखती है, 

ख़्वाहिशों पर क़हर है हर पहर इस मुकाम का,

मुझे तो धूप का धुंध से हार जाना अच्छा लगता है, 

मुझे वो बद-मिज़ाज शहर पुराना अच्छा लगता है। 


नीरस है यहाँ के मौसम की बेतरतीब सी फ़ितरत, 

रात से घने कोहरे में डूब जाना अच्छा लगता है, 

अजनबी इस शहर की हवा न दे पाती वो सिहरन, 

मुझे जिस सर्द में कंपकंपाना अच्छा लगता है, 

मुझे वो बद-मिज़ाज शहर पुराना अच्छा लगता है।

©Rakesh Lalit #सर्दी
6d099535f9a6c2d2e5d9a204183f8126

Rakesh Lalit

सपनों को कैद रख सके, 
ऐसी कोई हस्ती नहीं। 
है कौन वो, ख़ुदा नहीं, 
तुम भी नहीं, मैं भी नहीं।

©Rakesh Lalit #सपने
6d099535f9a6c2d2e5d9a204183f8126

Rakesh Lalit

"MOTHER DOES HAVE THE POWER"

Just think about her
She is your dear mother
Who has made you a star?
The Mother does have the power.

Early you were nothing
Now getting everything
Who made you what you are?
The Mother does have the power.

She thinks of herself zero
Because you are her only hero
Who never rests for an hour?
The Mother does have the power.

She taught you to go forward
You have got a champion's reward
Catching her forefinger, you walked so far
The Mother does have the power.

She used to pat you telling the story
And used to awaken you calling sweetly
Doesn't mind your bitterness any far? 
The Mother does have the power.

In those rainy and stormy nights
You were afraid of thunder lights
Whose lap secured you from the shower?
The Mother does have the power.

While you were nervous of your failure
Didn't find any ray of hope anywhere
Who  sympathised you to empower?
The Mother does have the power.

She thinks of you every night, every morning
In due course you forgot her blessings
Will she live happily, so selfish if you are?
Does the mother have this power?

Don't forget the contribution of your mother in your life story...

©Rakesh Lalit #Mother
6d099535f9a6c2d2e5d9a204183f8126

Rakesh Lalit

खिलते चेहरे हैं उसके ख़्वाबों में शामिल हर पल,
वो अपने हर सलीके में अपने पापा की बेटी है, 
पिटारा वो खुशियों का, रौनक वो घरौंदे की मेरे, 
आई है वो जब से, बनी इक पहचान वो मेरी है,
इंसाफ़ नहीं उससे कि मैं तब से दूर हूँ अब तक,
लेकिन इस सफ़र की, दास्तान अभी अधूरी है,
देखो,आज कुछ माँग लूँगा नसीब से,मैं मिलकर,
रोशनी वही है, वक़्त पर सबेरा वही तो लाती है, 
जन्मदिन है,आज मेरी बिटिया बड़ा मुस्कुराती है।
#Happy_Birthday_Deedivi

©Rakesh Lalit #बिटिया
6d099535f9a6c2d2e5d9a204183f8126

Rakesh Lalit

-मज़दूर-
सूना फ़ागुन सूना सावन, है सूना मेरा रक्षाबंधन
मेरे बस में बस मेहनत है,न मनता त्यौहार ये पावन
जीवन भर मैं रहा हूँ बेबस,हे ईश्वर! मेरा आसरा बन।।

हीन जान दिया सबने ताना,मुझको नाक़ाबिल है माना
करूँ भी क्या,न मेरे बस में,सोचें जो भी,है उनका मन
जीवन भर मैं रहा हूँ बेबस,हे ईश्वर! मेरा आसरा बन।।

जो न मिला मुझको जीवन मे,उसका न है खेद मुझे अब
किन्तु बनाया जो मेहनत से,छीन रहा है क्यों विस्थापन?
जीवन भर मैं रहा हूँ बेबस,हे ईश्वर! मेरा आसरा बन।।

मिले मुझे कुछ अवसरवादी,मेहनत मेरी जल्द भुला दी
विपदा के मौसम में जाना, मानवता से बढ़कर है धन
जीवन भर मैं रहा हूँ बेबस,हे ईश्वर! मेरा आसरा बन।।
    
फल ऐसा मुझको मिल जाए,मेहनत से जीवन कट जाए
पढ़ा सकूँ बच्चों को अपने,सजा सकूँ मैं इनका बचपन
जीवन भर मैं रहा हूँ बेबस,हे ईश्वर! मेरा आसरा बन।।

केवल तुझसे आस लगाए,आलोकित है यह मेरा मन
अप्रिय एक पहर तक हूँ मैं,ढले पहर तो फिर मनभावन
जीवन भर मैं रहा हूँ बेबस,हे ईश्वर! मेरा आसरा बन।।

-Rakesh Lalit

©Rakesh Lalit
  #मजदूर #Labourday
6d099535f9a6c2d2e5d9a204183f8126

Rakesh Lalit


'ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था!'
दुनिया भर के ग़मों से अंजान वज़ूद हमारा था, 
प्यार अग़र कोई करता था तो दिल से करता था, 
और ये दिल भी प्यार के दो बोलों से ही हारा था, 
ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था! 

सुर्खियों में रहने की आदत थी मुझको, 
ख़ुशनसीब था,हर कदम साथ बड़ों का साया था, 
जो मिला उसने मुझे मासूम कहकर पुकारा था, 
ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था! 

आज भी मेरे भीतर है वो बचपन छुपा सा, 
लेकिन लोग़ जो बड़े हो गये लेकर ग़ुमान नया सा, 
नहीं जानते क्या ज़िन्दग़ी का उसूल हमारा था, 
ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था! 

मैनें कब दूर जाने की गुज़ारिश की थी ऐ दोस्त तुझसे, 
ये सच है कि ज़िम्मेदारियों नें तुझे छीन लिया मुझसे, 
ऐसा भी लगा था कि जाते हुए धीरे से तूने पुकारा था, 
ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था! 

सुनहरे सपनों के उस सफ़र में हर किसी पर भरोसा था, 
आज भी हैं सपने वही लेकिन भरोसा नहीं सब पर, 
एक था चाँद, कुछ तारे, तब न बादलों का इशारा था, 
ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था!

©Rakesh Lalit
  ऐ मेरे बचपन तु कितना प्यारा था
#बचपन

ऐ मेरे बचपन तु कितना प्यारा था #बचपन #कविता

6d099535f9a6c2d2e5d9a204183f8126

Rakesh Lalit

'ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था!'
दुनिया भर के ग़मों से अंजान वज़ूद हमारा था, 
प्यार अग़र कोई करता था तो दिल से करता था, 
और ये दिल भी प्यार के दो बोलों से ही हारा था, 
ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था! 

सुर्खियों में रहने की आदत थी मुझको, 
ख़ुशनसीब था,हर कदम साथ बड़ों का साया था, 
जो मिला उसने मुझे मासूम कहकर पुकारा था, 
ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था! 

आज भी मेरे भीतर है वो बचपन छुपा सा, 
लेकिन लोग़ जो बड़े हो गये लेकर ग़ुमान नया सा, 
नहीं जानते क्या ज़िन्दग़ी का उसूल हमारा था, 
ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था! 

मैनें कब दूर जाने की गुज़ारिश की थी ऐ दोस्त तुझसे, 
ये सच है कि ज़िम्मेदारियों नें तुझे छीन लिया मुझसे, 
ऐसा भी लगा था कि जाते हुए धीरे से तूने पुकारा था, 
ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था! 

सुनहरे सपनों के उस सफ़र में हर किसी पर भरोसा था, 
आज भी हैं सपने वही लेकिन भरोसा नहीं सब पर, 
एक था चाँद, कुछ तारे, तब न बादलों का इशारा था, 
ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था!

©Rakesh Lalit ऐ मेरे बचपन तु कितना प्यारा था
#बचपन

ऐ मेरे बचपन तु कितना प्यारा था #बचपन #विचार

6d099535f9a6c2d2e5d9a204183f8126

Rakesh Lalit

क्यों रातभर से बेसबर सा चल रहा है चाँद ये,
है दिन चढ़ा, मगर यहीं टहल रहा है चाँद ये, 
लग रहा, इसको शहर ने बांध कर रखा यहाँ, 
मेरी तरह उम्मीद में यूँ जल रहा है चाँद ये ।

©Rakesh Lalit #चाँद
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile