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rajgauravthakur4330
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Raj Gaurav Thakur

मेरी कलम हीं मेरा पहचान पत्र है अगर पढ़के भी आप नहीं जान पाए तो परिचय देना व्यर्थ है

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Raj Gaurav Thakur

#AgnipathScheme
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Raj Gaurav Thakur

मैंने देखा है एक विशाल बरगद का पेड़ ,
जिसकी छाव में रहता हूँ मैं,
और मेरा पूरा परिवार,
कई बार आती है आंधीया ,ओले परते हैं,
झंझावात, तूफान और वज्राघात
हमारी ओर बढ़ते हैं पर,
हम तक पहुँचने से पहले हीं,
रुक जाते हैं,झुक जाते हैं 
मैंने उन्हें छिन्न भिन्न होते हुए देखा है
वो विशाल बरगद सब झेल जाता है
अपने ऊपर,
खुद तो सह लेता है
भीषण गर्मी,उष्ण तेज, सूर्य की प्रखर रश्मि
पर हमें देता है
शीतल छाया, सुकून भरी नींद,
और सुरक्षा का विश्वास
जो कभी नहीं बिखरता है
हमेशा निखरता है
जरा सोचो
बदले में हम उस बरगद को क्या दें सकते हैं
वो इतना गहरा है की
पूरा समंदर भी उसे
सायद हीं नम कर जायेगा 
और इतना विशाल की
आकाश का छाता भी कम पर जायेगा
तो आओ हम सब मिलकर
उस वट वृक्ष को धन्यवाद करते हैं
उनके लिए क्या हीं करें
अपने ऊपर उपकार करते है
Happy Fathers day
सायद कभी कहा नहीं
पर पापा हम आपसे बहुत प्यार करते हैं

©Raj Gaurav Thakur #मेरेपिता 

#selflove
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Raj Gaurav Thakur

कुछ भूलें ऐसी हैं, जिनकी याद सुहानी लगती है।
कुछ भूलें ऐसी जिनकी चर्चा बेमानी लगती है।

कुछ भू्लों के लिये शर्म भी आई हमको कभी-कभी,
कुछ भूलों की पृष्ठभूमि बिल्कुल शैतानी लगती है।

कुछ भूलों की विभीषिका से जीवन है अब तक संतप्त,
कुछ भूलों की सृष्टि विधाता की मनमानी लगती है।

कुछ भूलें चुपके से आकर चली गईं तब पता चला,
कुछ भूलों की आहट भी जानी पहचानी लगती है।

कुछ भूलों में आकर्षण था, कुछ भूलें कौतूहल थीं,
कुछ भूलों की दुनियाँ तो अब भी रुमानी लगती है।

कुछ भूलों का पछतावा है, कुछ में मेरा दोष नहीं,
कुछ भूलें क्यों हुईं, आज यह अकथ कहानी लगती है।

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Raj Gaurav Thakur

व्यर्थ की संवेदनाओं से डराना चाहते हैं
सुन रहा हूँ इसलिये उल्लू बनाना चाहते हैं

मेरे जीवन की समस्याओं के साये में कहीं
अपने कुत्तों के लिये भी अशियाना चाहते हैं

धूप से नज़रे चुराते हैं पसीनों के अमीर
किसके मुस्तकबिल को फूलों से सजाना चाहते हैं

मेरे क़तरों की बदौलत जिनकी कोठी है बुलन्द
वक़्त पर मेरे ही पीछे सिर छुपाना चाहते हैं

कितने बेमानी से लगते हैं वो नारे दिल-फ़रेब
कितनी बेशर्मी से वो परचम उठाना चाहते हैं

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Raj Gaurav Thakur

Safar मैं खड़ा बीच मझधार किनारे क्या कर लेंगे
मैने छोड़ी पतवार सहारे क्या कर लेंगे

तुम क़िस्मत-क़िस्मत करो जियो याचक बन कर
मैं चला क्षितिज के पार सितारे क्या कर लेंगे

तुम दिखलाते हो राह मुझे मंजिल की,
मैं आँखों से लाचार इशारे क्या कर लेंगे

हम ने जो कुछ भी कहा वही कर बैठे
जो सोचें सौ-सौ बार बेचारे क्या कर लेंगे

ना समझ कहोगे तुम मुझको मालूम है
ये फ़तवे हैं बेकार तुम्हारे क्या कर लेंगे
...raj gaurav

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Raj Gaurav Thakur

मशहूर  आज जो दर्द है कल वही दवा हुआ करता था, हम भी मशहूर थे जब उनसे वफ़ा हुआ करता था !

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