इस मोहब्बत को दिल से निकाल फेंका है हमने
इसकी जगह पत्थर रखा है हमने
यह जो गैर ए नए हुस्न इतराते है अपने रंग ए हुस्न पर इनको बेकार करार दिया है हमने
अब कोई आए तो,,, वो मोहब्बत नहीं
समझों जिस्म की गर्मी शांत करने के लिए रखा है उसे हमने।
#शायरी
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छलकते दर्द को होठों से बताऊं कैसे,
ये खामोश गजल मैं तुमको सुनाऊं कैसे,
दर्द गहरा हो तो आवाज़ खो जाती है,
जख़्म से टीस उठे तो तुमको पुकारूं कैसे,
#लव
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बिछड़ते वक्त,एक दर्द और दे गया
दिल में रहा,फिर दिल ही ले गया
अब खाली बादल है, ज़िंदगी मेरी
वो सर्दी गर्मी, सारे मौसम ले गया
यही सोच कर रोता हूं, अक्सर मैं
किस जगह अपने, कदम ले गया #लव