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ravindrapareek1825
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ravindra pareek (गुरगुल)

ink in my heart

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ravindra pareek (गुरगुल)

मैं एक चित्रकार हूँ,,बदन में दौड़ रही इस लाल स्याही से ,अपनी कलम जैसी उँगलियों से बनाता हूँ एक चेहरा शब्दों का ,ज़हन के सफ़ेद कागज़ पर,,,,जज़्बातों के रंग बड़ी ही बारीकी से डालता हूँ ,,,,, नीला रंग आसमाँ का आँखों में उंढ़ेल देता हूँ,,स्याह रात को भरता हूँ ज़ुल्फ़ और भौहों में,,,,,,,,चाँद की बिंदिया लगाता हूँ माथे पर,,,पलकों पर चमकीले तारे सजा देता हूँ,,,,,,अच्छे लगते हैं उस पर.......... बड़ी बारीकी से नाक-नक्श तराशता हूँ,,, होठों में अपने ही लहू का रंग भरता हूँ......"सु #nojotohindi #nojotopoem

मैं एक चित्रकार हूँ,,बदन में दौड़ रही इस लाल स्याही से ,अपनी कलम जैसी उँगलियों से बनाता हूँ एक चेहरा शब्दों का ,ज़हन के सफ़ेद कागज़ पर,,,,जज़्बातों के रंग बड़ी ही बारीकी से डालता हूँ ,,,,, नीला रंग आसमाँ का आँखों में उंढ़ेल देता हूँ,,स्याह रात को भरता हूँ ज़ुल्फ़ और भौहों में,,,,,,,,चाँद की बिंदिया लगाता हूँ माथे पर,,,पलकों पर चमकीले तारे सजा देता हूँ,,,,,,अच्छे लगते हैं उस पर.......... बड़ी बारीकी से नाक-नक्श तराशता हूँ,,, होठों में अपने ही लहू का रंग भरता हूँ......"सु #nojotohindi #nojotopoem

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ravindra pareek (गुरगुल)

मैं हूँ घायल परिंदों का पर शायद,, या तूफ़ाँ में चिरागों का डर शायद किसी भी घर में नहीं मिलता हूँ मैं,, उसके तसव्वुर में हूँ दर ब दर शायद कोई भी नहीं गुनगुनाता है मुझे,, अपनी ग़ज़लों सा हूँ बे बहर शायद #ghazal

मैं हूँ घायल परिंदों का पर शायद,, या तूफ़ाँ में चिरागों का डर शायद किसी भी घर में नहीं मिलता हूँ मैं,, उसके तसव्वुर में हूँ दर ब दर शायद कोई भी नहीं गुनगुनाता है मुझे,, अपनी ग़ज़लों सा हूँ बे बहर शायद #ghazal

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ravindra pareek (गुरगुल)

अब इस दुनिया में इंसान बनने के वास्ते,,
 उस सिम्त नहीं जाऊँगा जिधर खुदा होंगे।

 #ग़ज़ल #nojoto
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ravindra pareek (गुरगुल)

भुला बैठे हैं खुदको इस जहां से हम

ज़िन्दगी अब तुझको देखें कहाँ से हम

 #poetry #sher

poetry sher

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ravindra pareek (गुरगुल)

 जितने दूर उतने क़रीब,,,

मैं काफ़िया तुम रदीफ़।।

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ravindra pareek (गुरगुल)

दिल सोचता तो है बहुत मुतमईन होकर,,,

मगर मुद्दतों इससे कोई फ़ैसला नहीं होता,,,


तन्हाई में यूँ लगता है के तू है यहीं कहीं,,,

मगर हक़ीक़त में कोई भी दूसरा नहीं होता,,।।।

3 Love

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ravindra pareek (गुरगुल)

मेरा वो लम्हा बड़ा ही ख़ास होता है,,,

तुमसे मिलकर खुद का एहसास होता है #nojotohindi #nojoto #sher
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ravindra pareek (गुरगुल)

                वक़्त निकलता जाता है,,,

पीड़ा का संवाद गगन से,,,झरना बरसे एक नयन से,,
मुठ्ठी में सोना थाम लिया,,,होठों पर उसका नाम लिया,,
कदम-कदम पर काँपे धरती,,,उसकी साँसें अम्बर छूती,,
ज़ख़्मी दिल के अरमानों से,,,,,,
                                     रक्त निकलता जाता है,,
                                     वक़्त निकलता जाता है,,

जितना कुछ है पास तुम्हारे,,,वही रहेगा साथ तुम्हारे,,
इन हाथों की रेखाओं में,,,ऊँची-नीची बाधाओं में,,
खुशबु के पल छाँट चलो,,,और बचे जो बाँट चलो,,
ख़त्म हो रही कहानी का,,,
                                  अर्थ निकलता जाता है,,
                                   वक़्त निकलता जाता है,,
                                    वक़्त निकलता जाता है।।।

गुरगुल #NojotoHindi #poem #nojoto
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ravindra pareek (गुरगुल)

अपने ही सामने अपनी अना रखके,,,
देखिये कभी खुदको आईना रखके।।। #nojotoHindi
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ravindra pareek (गुरगुल)

उसने आईने से पुछा है आज मेरा हाल,, जिस्म कहाँ गया अपना साया छोड़कर।। #sher #nojoto #ghazal #thinking
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