Nojoto: Largest Storytelling Platform
nojotouser4488213125
  • 73Stories
  • 108Followers
  • 477Love
    57Views

डॉ. मनोज कुमार "मन"

मुझे साहित्य पढ़ना, लिखना और समसामयिक मुद्दों पर चर्चा करने के साथ-साथ लॉन्ग ड्राइव पर जाना बेहद पसंद है..💐💐

  • Popular
  • Latest
  • Video
6f694e719cea67b12a681bc706798387

डॉ. मनोज कुमार "मन"

जिंदगी बार-बार नहीं मिलती

गौर से देखें चंद्रमा भी पूर्ण नहीं है।
वह गड्ढों से भरा हुआ है।
अमावस्या और पूर्णिमा में घटता बढ़ता रहता है।
कभी पूर्णतः लुप्त हो जाता है, कभी पूर्णतः दिखाई देने लगता है।

और समुद्र भी तो अविश्वसनीय रूप से सुंदर है, 
लेकिन उसकी गहराई में भरपूर नमकीन और अंधेरा पसरा पड़ा है।

और आकाश भी तो हमेशा अनंत रहता है, 
लेकिन अक्सर बादल छाए रहते हैं
और रंग भी तो बदलता रहता है।

अर्थात जो कुछ भी सुंदर है वह संपूर्ण नहीं है, 
पर वह विशेष जरूर है।

इसलिए, हर कोई किसी के लिए खास/विशेष हो सकता/सकती है।
दोस्तों, परिपूर्ण होने की चिंता और होड़ करना बंद करें।
स्वतंत्र होने और भरपूर जीने का प्रयास करें।
वही करें जो आपको पसंद है।
दूसरों को प्रभावित करने की प्रकिया से बचें।
इसी में सर्व का हित समाहित है।
पूर्णता की परवाह क्यों और किसके लिए।
पूर्णता के बोझ से मुक्त होकर स्वछंद रूप से जिये।
ये जिंदगी बार-बार नहीं मिलती।

©डॉ. मनोज कुमार "मन"
  #Raat
6f694e719cea67b12a681bc706798387

डॉ. मनोज कुमार "मन"

याद  उसकी  मेरे अंग-संग रहती है।
मेरे भीतर वो कोई नदी-सी बहती है।।

अरे ! एक  यही  तो  बड़ी  खूबी है  समंदर  की।
उसके सीने में हर पल नदियों की धारा रहती है।।

©डॉ. मनोज कुमार "मन" #drowning
6f694e719cea67b12a681bc706798387

डॉ. मनोज कुमार "मन"

मेरे हिस्से में सफर लिखे थे, सो कभी घर नहीं आया।
कोई मोहब्बत नहीं आई, कभी कोई दर नहीं आया।।

और  लोग  पूछते   रहे  मुझसे  मेरा  सफरनामा   केवल।
पर क्या करूँ याद तो सब आया, पर बताना नहीं आया।।

©डॉ. मनोज कुमार "मन" #Travel
6f694e719cea67b12a681bc706798387

डॉ. मनोज कुमार "मन"

झूलती जुल्फों को, महकते बदन को, 
गुलाबी गालों को, तुम इश्क समझ बैठे हो।

दोस्तों,   इस  छोटी-सी   जिंदगी   में, 
 यही  एक  बड़ी   भूल   कर   बैठे   हो।।

©डॉ. मनोज कुमार "मन" #Flower
6f694e719cea67b12a681bc706798387

डॉ. मनोज कुमार "मन"

टूटे हुए दिल

टूटे हुए  दिलों को  प्यार से गले  लगाया  मैंने। 
अपने मन को किताबों से खूब बहलाया मैंने।।

तमाम कोशिशों से जमाने की नजरों से उसे बचाया मैंने।
देख कर दरिया को, उसे समंदर का हिस्सा बताया मैंने।।

बार-बार   लोगों    को    पानी   खूब    पिलाया    मैंने।
और कुछ इस तरह से जमाने को अपने पीछे लगाया मैंने।।

पहले खुद पर उसका रंग, खूब चढ़ाया मैंने।
फिर औरों पर उसका रंग, खूब लगाया मैंने।।

लोग ने देखा मुझे उड़ते हुए और कहा ये कैसा तिलिस्म रचाया मैंने।
तमाम  पगडंडियों   को   उसके  ही   घर का  रास्ता  बताया   मैंने।।

और हर  अंबर की  अपनी एक हद   होती है, लोगों को जताया मैंने।
बार-बार और शायद हर बार, खुद के लिए खुद ही रास्ता बनाया मैंने।।

सब  कुछ जानते  हुए भी, लोगों को  कभी नहीं  गिराया मैंने।
हमसफ़र मिसाफ़िरों को हाथ देकर हमेशा आगे बढ़ाया मैंने।।

जब-जब साथ  नहीं   था  कोई   मेरे,   साथ  उसको  पाया  मैंने।
उसके साथ से ही तो, अपने तमाम सफ़र को सुहाना बनाया मैंने।।

©डॉ. मनोज कुमार "मन" #Travel
6f694e719cea67b12a681bc706798387

डॉ. मनोज कुमार "मन"

तर-बतर रोटियाँ

अब कहाँ मिलती हैं
वो मिट्टी के चूल्हे पर
माँ के हाथ की बनी 
घी से तर-बतर रोटियाँ
जो भूख को मिटाती नहीं बढ़ाती थीं
लकड़ियों की आँच में पककर
जो स्वाद को बढ़ाती थी
ऊपर से माँ की ये नसीहत
खाओगे नहीं तो कमाओगे कैसे
और कमाओगे नहीं तो खाओगे कैसे
इस बात से पेट में एक दो रोटी की 
और जगह बना जाती थी
चूल्हे के आसपास बिखरी लकड़ियों को
माँ एक लकड़ी, चिमटे या फूंकनी से
एक ओर हटाती थी
अपने पास बिठा 
थाली परोसती थी
ना कोई डायनिंग टेबल 
और ना कोई चौंचलें
इन्हीं सब बातों से थे
बुलंद हमारे हौसलें

©डॉ. मनोज कुमार "मन" #MothersDay
6f694e719cea67b12a681bc706798387

डॉ. मनोज कुमार "मन"

हवाएँ खिलाफ होंगी, पंछी तुझे उड़ना होगा।
लहरों का क्रंदन होगा, किश्ती तुझे आगे बढ़ना होगा।।

और आएंगे कई पर्वत तेरी राहों में अरी ओ, पगडंडी।
रास्ता निकाल कर तुझे मंजिल तक बढ़ना होगा।।

©डॉ. मनोज कुमार "मन" #Memories
6f694e719cea67b12a681bc706798387

डॉ. मनोज कुमार "मन"

दोस्तों, कटे हुए परों के सहारे, कब परिंदें उड़ा करते हैं।

महकते हैं जो चंदन से, वो कब सर्पों की संगत से डरते हैं।।

©डॉ. मनोज कुमार "मन" #Hope
6f694e719cea67b12a681bc706798387

डॉ. मनोज कुमार "मन"

"जिंदगियाँ" कविता को वर्ष 2002 में कमलेश्वर जी ने अपनी टिप्पणी से नवाजा था..☺️☺️

*जिंदगियाँ*

तारों की-सी
झिलमिलाती हैं
सभी खूबसूरत
जिंदगियाँ

एक गम के 
अंधेरे के बाद
फिर मुस्काती हैं
जिंदगियाँ

एक दूसरे का 
हाथ पकड़
तैर जाती हैं
जिंदगियाँ

चलने को तो
चलती रहती हैं
पानी की तरह
जिंदगियाँ 

लेकिन - 
बहाव कम होने पर
ठहर-सी जाती हैं
जिंदगियाँ

©डॉ. मनोज कुमार "मन" #mukhota
6f694e719cea67b12a681bc706798387

डॉ. मनोज कुमार "मन"

तू कभी आ, कभी बैठ मेरे पास तुझे लिख दूँ अपने अल्फ़ाज़ों में।
एक  तू ही तो  है जो बसा है जर्रे-जर्रे में  और मेरे  एहसासों  में।।

©डॉ. मनोज कुमार "मन" #lovebirds
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile