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कवि व्योम तिवारी
ख्वावों मे आया करते थे जो कभी वो चांद , चांदनी , सितारे भी न रहे
तो क्या जान से ज्यादा चाहते थे हम जिन्हें वो अब हमारे भी न रहे
इस कदर किया खिलवाड उसने मुझ से और मेरे दिल के साथ
की शादी न हुई अब तक और उसकी दुआ से अब हम कुंवारे भी न रहे
रचना :-
व्योम तिवारी ( शिव )
बस मजे में
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