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santoshbarmaiya2715
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Santosh Barmaiya Jay

गीत, गजलकार

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Santosh Barmaiya Jay

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Santosh Barmaiya Jay

 एक लक्ष्य है एक विषय और एक ही मांग हमारी।
"पेंशन" "वही पुरानी पेंशन",  नीति वही सरकारी।
हुंकार भरो हम एक साथ हैं, एक हमारा नारा।
"हक है पेंशन", पाना इसको है अधिकार हमारा।
इस संघर्ष का एक पड़ाव है, हक-अधिकार दिलाना। 
गली-गली हर शहर-शहर में, ध्वज अपना फहराना।।
"पेंशन क्रांति लाना",,,,, "पेंशन क्रांति लाना"।।

©Santosh Barmaiya Jay
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Santosh Barmaiya Jay

मैं मेरा किरदार कैसे छोड़ दूँ।
तू बता मैं प्यार कैसे छोड़ दूँ।।

©Santosh Barmaiya Jay #dusk
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Santosh Barmaiya Jay

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Santosh Barmaiya Jay

#FourLinePoetry हो गई फिर से शरारत क्या करें हम।
बचपनें से हमको' आदत क्या करें हम।।

नखचढ़ी नखरैल खर्चीली बहुत है,
पर हमें उससे मुहब्बत क्या करें हम।।

©संतोष बरमैया #जय #fourlinepoetry
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Santosh Barmaiya Jay

#FourLinePoetry आज उसका कल हमारा दौर होगा।
आज कोई तख़्त पे कल और होगा।
सच बताएं जो करेगा काम अच्छा-
नाम उसका हर दिलों में ठौर होगा।।

©संतोष बरमैया #जय कविता चार लाइन में

#fourlinepoetry

कविता चार लाइन में #fourlinepoetry #जय

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Santosh Barmaiya Jay

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Santosh Barmaiya Jay

#shayaranaandaz
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Santosh Barmaiya Jay

हसीं ख़्वाब जिसने दिखाये यहाँ पर।
वही आज हमको सताये यहाँ पर।।
*******
हमीं ने चुना है तो क्या दोष उसका,
सताये, हँसाये, रुलाये, यहाँ पर।।
******
ये रोजी कमाकर खिलाना कठिन है।
गरीबों की हालत बताये यहाँ पर।।
******
कोई ख़्वाब जैसा हुआ मुस्कराना,
अंधेरो में क्या मुस्कराये यहाँ पर।।
******
ये जर्जर दिवारें घरों की हैं कहती।
कि वारिस कोई आज आये यहाँ पर।।
******

©संतोष बरमैया #जय
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Santosh Barmaiya Jay

हाथों में मेहंदी, ओठों को लाल करती हो।
मधुर मुस्कान नज़रों से कमाल करती हो।
चली आती हो सामने सोलह-सिंगार करके-
जाने कितनों के दिल को हलाल करती हो।।

©संतोष बरमैया #जय #हुस्न_के_जलवे
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