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niranjanmahapatr8132
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Niranjan Mahapatra

Aandaz aapna hona chahia

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Niranjan Mahapatra

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Niranjan Mahapatra

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Niranjan Mahapatra

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Niranjan Mahapatra

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Niranjan Mahapatra

White जव भारत पाक् कि बात उठति थी
तव शोर उठना तय होता है।
जब कार्गोल युध हुआ था
तव भारत कि शोर मचा था ।
उसमें ये फैसला उठता था कि
खेल का  हुनर कैसा है।
आव भी यही हुनर सव् कि रग में हौना चाहिए
इसलिए कि ज़िन्दगी जिने के लिए
इस् जस्न की जरूरत है।

©Niranjan Mahapatra
  #Ind_vs_pak
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Niranjan Mahapatra

White ଵିଲୁପ୍ତ ଦ୍ବାର ଦେଶରେ ମଣିଷ ଚାଲିଚଳଣି
ଲୋଭ ର ଦ୍ୱାରଦେଶରେ ଆଜିର ସମାଜ
ହୀତାଖାକିଂ ନୁହେଁ ଉପଦ୍ରବ ର ବଜାର
ଭାଇ ବଂଧୁ ଲୋଡା ନାହିଁ ଏକଲା ସହଚର
ଜିନ୍ସ,ଟୋପି, ହିଲ୍,ଡିଜେ,ଡାନ୍ସ ଏ ସବୁ ଆଜିର ବଜାର
ଅହଂ, ସ୍ୱାର୍ଥପରତା, ଟଙ୍କା ଆଜି କରେ ସଭିଙ୍କୁ ଛାରଖାର
ନାରୀ ଆଜି ପାଲଟିଛି ଦାଣ୍ଡର ଡିକ୍ଟଟର
ଏକଲା ସମାଜରେ ରହିବା ଅଭ୍ୟସ୍ତ ଆଜିର କ୍ୟାରକ୍ଟର
ବୁଲିଵା, ଠକେଇ କରିବା,ଆଶାନ୍ତ କରିବା ଆଜିର ଅଡର
ଵଡ,ସାନ, ସ୍ଥାନ,କାଳ,ପାତ୍ର,ଆଦର୍ଶ ନ ଥାଏ ଫେଵର
ଓଡ଼ିଆ ଭାଷାର ବି ଵିଲୁପ୍ତ ହୋଏ ଆଜି ନାରଖାର
ଚାଲିଚଳନ, ସଂସ୍କୃତି ର ବି ହୁଏ ଅବଗାନ
ଗାଁ ଗହଳିରେ ବି ବିଲୁପ୍ତ ର ଅବସାଦ
ଜଗଂଲରେ ପଶୁ ,ପକ୍ଷୀ, ଉଦ୍ଭିଦ ର ପତନ
ଜଳ ର ହ୍ରାସ ର ଦୁର୍ଦ୍ଦିନର ଆଭାସ
ସହସାଥୀ ଟିଏ ମିଳିବା ଆଜିର ଭେଜାଲ
ନାରୀ ଆଜି ପାଲଟିଛି ଟକାଂର ସୀକାର
ଗୋରୁ ଭଳି ନାରୀ ବିକ୍ରି ହୁଏ ଆଜିର ଭେଜାଲ
ବାଃ ବାଃ ରେ ସମୟ ତୁ କେଡେ ସ୍ଵାର୍ଥପର
ଆଜି ସଵୁ ଚାଲିଛି ଖାଲି ବିଲୁପ୍ତ ର ଗନ୍ତାଘର
ଖାଲି ବିଲୁପ୍ତ ର ଅଡର ବିଲୁପ୍ତ ର ଅଡର।

©Niranjan Mahapatra
  #sad_quotes
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Niranjan Mahapatra

White बारिश कि हबा वता रहा है
कालि जुल्फे कि तरह
होले होले तु आजा आज
फिर ति हसति,खिल्ति तु गिर जा ईस्
धरति खोज रहे है तुझे आज
पिघल जा झरजा ईस् पृथ्वी के उपर 
बारिश कि वुन्द कि तरह टप् टप् करके
इस वुन्द को समुन्दर कि आगंन पे
परस जा तु नदी कि रुप में 
तु आज खिलाति हरियालि खेत् 
खालि खेत् तुझे ढुंड रहै आज्
आ बारिश आ।

©Niranjan Mahapatra
  #sad_quotes
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Niranjan Mahapatra

पथ किस मौड कि पथिक हुआ मेरे
पथ तो लम्बा रास्ता था
बनाते बनति कि रास्ते कोई ओर यहां 
उलझ सुलझ सुलझाना मुश्किल कोइ दुर
बिगड़ तो ज्यादा गया
सुलझा हुआ कम
सुलझाब कम हो ग‌ऐं
बिगड़ ता गई कोई दुर।

©Niranjan Mahapatra
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Niranjan Mahapatra

कोशिश कर लो बैनदे
जीवन एक जंग कि राय को 
गिर ना उठना जीवन की इस ढंग को
सदा याद रख ना लोगों 
उपर, नीचे, आगे, पीछे
आना, जाना यही तो जीवन की रीत को 
गिर के उठना कोशिश करना 
इससे कुछ सिख मिल ना इस बात को 
समझ के चलना इस जीवन को बन्दऐ 
लोगों इस बात को ध्यान रख के चलना
जीवन की इस बात को

©Niranjan Mahapatra
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Niranjan Mahapatra

वरदान उस आसमान थी
जो अपना पास का टिकी हुई थी
पास मै ऐसा एहैसहसा थी
नजर अंदाज भी था
समझ और रिश्ता कि डोर भी था
बगीचा भी था मालि भी थी
पापा भी थी ममी भी थीं
हौसला के कंधा झुकी हुई थी
लेकिन मन कि दरवाजा जब खुल गई
तब अंजनत की खिड़की सुलझ गई।

©Niranjan Mahapatra
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