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सुशांत ’अब्तर’

खुद को ही खुद से लिखता रहा हूँ मैं, अपनी ही उंगली थाम के चलता रहा हूँ मैं, जिसके हर एक वरक़ पर तन्हाईयाँ हैं 'अब्तर', अपनी ही उस किताब को पढ़ता रहा हूँ मैं l

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सुशांत ’अब्तर’

White कितने किस्से बाकि उनको सुनाने रह गये

नजरे मिलीं पर दिल मिलाने रह गये

इक दौर चला तोहमतों का, शिकवों का, गिलों का

कितने वादे निभाये, कितने निभाने रह गये

©सुशांत ’अब्तर’ #love_shayari  'दर्द भरी शायरी'

#love_shayari 'दर्द भरी शायरी'

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सुशांत ’अब्तर’

 #लव #Love

लव Love

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सुशांत ’अब्तर’

वो तेरा आना, हसना, मुस्कराना,
नही भूल सकता हूँ मैं 
वो मुझको सतना कभी फिर रुलाना,
नही भूल सकता हूँ मैं

कभी अपना आँचल हवा में उड़ाना
मेरे पास आ कर नजर का झुकना
वो शरमाते पैरों का यूँ डगमगाना,
नही भूल सकता हूँ मैं

मुझे रूप की ज्योति से जलाना
कभी पास आ कर बहुत दूर जाना
कभी प्यास को मेरे होठों पे लाना,
नही भूल सकता हूँ मैं

खुली आँखों मुझको सपना दिखना
सपना दिखाकर उसे तोड़ जाना
वो सावन के मौसम में प्यासा जलाना,
नही भूल सकता हूँ मै

©सुशांत 'निश्चिंत' #kinaara
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सुशांत ’अब्तर’

Rare_Gems

आधे-अधूरे वादे गर वो कर गए होते,
छूते ना पर पास से ही गुजर गए होते,
कुछ किस्से तो होते अपने पास सुनाने को,
 अगर दिल तोड़कर वो मुकर गए होते।

©Sushant 'Nishchint' #AloneInCity
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सुशांत ’अब्तर’

साल – दर – साल

जनवरी
थी उमंगें कुछ नया करने की
सोच थी हर पल उड़ने की

फरवरी
दोस्तों से जब भी मिलते थे
बुलंद इरादे मन में सजते थे

मार्च
शुरू हुआ सिलसिला विचारों का
मन ही मन में खुद से तकरारों का

अप्रैल
कुछ बात बनी, कुछ ख्वाब सजे
कुछ फूल खिले, कुछ बाग़ लगे

मई
सब नया नया सा लगता था
हर शख्स जो मुझसे मिलता था

जून
कुछ ने पत्थर डाले, कुछ ने बिछाए कांटे
कुछ भूल गए वादे करके, कुछ मुस्कराए जला के

जुलाई
पर हम भी जूनून के पक्के थे
अपनी ही जिद पर अटके थे

अगस्त
कुछ ने तोड़ा, कुछ ने जोड़ा
कुछ साथ चले, कुछ ने छोड़ा

सितम्बर
लटका था अधर में मेरा मन
अब आगे बढ़े या खींचें कदम

अक्टूबर
मन में उलझन, दिल में उलझन
थी जीवन की हर बात में उलझन

नवम्बर
खो गयीं उमंगें, बुझ गए इरादे
टूटे ख्वाब और उजड़ गए वादे

दिसम्बर 
बातों बातों में साल गया
मैं भी सब बातें भूल गया

जनवरी
थी उमंगें कुछ नया करने की
सोच थी.........................

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ 

- सुशान्त श्रोत्रिय

©Sushant 'Nishchint' #HappyNewYear
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सुशांत ’अब्तर’

"कुछ तार जुड़े कुछ धागे टूटे"

ये रात न बीते, कोई बात न छूटे
जाने क्यों हो हर बात पर रूठे

एक तेरी हँसी, एक मेरी हँसी
क्यों लगते हैं हम तुमको झूठे

कभी ख़फ़ा ख़फ़ा, कभी जफ़ा जफ़ा
हैं कितने अनोखे, ये रिश्ते अनूठे

वो दोस्त बने, दुश्मन वो बने
कुछ तार जुड़े, कुछ धागे टूटे

कोई कली खिली, कुछ फूल झड़े
कितने संगदिल गुलशन में लुटे

©सुशांत ’अब्तर’ #यादें
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सुशांत ’अब्तर’

RARE_GEMS


मयस्सर नहीं जिन्दगी को कब्र,
दफ़न करें तो करें कहाँ,

    मौत का अरमान तो है,
लेकिन मरें तो मरें कहाँ||

©सुशांत ’अब्तर’ #Nodiscrimination
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सुशांत ’अब्तर’

RARE_GEMS

खुदा ना करे उसे कभी मेरी याद आये,

दर्द क्या है, वो कभी ना जान पाये||

©Sushant 'Nishchint' #Smile #pain #dard
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सुशांत ’अब्तर’

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सुशांत ’अब्तर’

Brand_New

कितने किस्से बाकि उनको सुनाने रह गये

नजरे मिलीं पर दिल मिलाने रह गये

एक दौर चला तोहमतों का, शिकवों का, गिलों का

कितने वादे निभाये और कितने निभाने रह गये

©सुशांत ’अब्तर’ #किस्से_दिल_की_किताब_के #किस्से_मोहब्बत_के #judai
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