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Vikas Kumar Chourasia

White 

हर रोज एक नई सुबह 
रोज एक नया खुलासा 
तमाशों में बसा शहर 
रोज एक नया तमाशा 

कभी बेरंग, कभी रंगीन 
कभी फ़ीकी, कभी हसीन 

हर कदम बदलती रहती है 
जीवन की ये परिभाषा 
तमाशों में बसा शहर 
रोज एक नया तमाशा
 🍁विकास कुमार🍁

©Vikas Kumar Chourasia #Khamoshi_ख़ामोशी

Vikas Kumar Chourasia

White 

एक खूबसूरत सा विशाल ब्रह्मांड

ब्रह्मांड में मौजूद, छोटी से धरती 

धरती की अपनी तरह-तरह की रचना

रचना में मौजूद प्राकृतिक सौंदर्य

प्राकृतिक सौंदर्य में निवास करता जीवन 

जीवन में छुपे अनेकों रंग 

अनेकों रंगों और ख्यालों से सजा सम्पूर्ण ब्रह्मांड

         🍁विकास कुमार🍁

©Vikas Kumar Chourasia #khamoshi_ख़ामोशी

Vikas Kumar Chourasia

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Vikas Kumar Chourasia

Vikas Kumar Chourasia

Vikas Kumar Chourasia

Vikas Kumar Chourasia

Vikas Kumar Chourasia

हटा नहीं
डरा नहीं
बस यूँ समझ,
लड़ा नहीं

थका नहीं
झुका नहीं
बस यूँ समझ,
लड़ा नहीं

हार मैंने मान ली
ना ये समझ हरा दिया

स्वभाव से तो रौद्र था
बस खुद को ही बुझा दिया
अब खुद को ही बुझा दिया 
   🍁विकास कुमार🍁

©Vikas Kumar Chourasia #khamoshi_ख़ामोशी

Vikas Kumar Chourasia

ये जंगल, ये पहाड़
बहती नदियाँ, गिरते झरने

"सुकून बहुत देता है"

अब तुम कहोगे, ये सब
कुछ दिन का ही है

हाँ, जो भी हो 
"सुकून बहुत देता है"

ज़ब-ज़ब इनके करीब जाता हूँ
कोई अपना सा मुझे खींचता है

ज़ब-ज़ब वहाँ से उठ के आता हूँ
ऐसा लगता है, उधड़ रहा हूँ

अब तुम कहोगे, ये सब
कुछ दिन ही अच्छा लगता है

हाँ, जो भी हो 
पर "सुकून बहुत देता है"
 🍁विकास कुमार🍁

©Vikas Kumar Chourasia #Khamoshi_ख़ामोशी

Vikas Kumar Chourasia

शीर्षक- खुले आकाश में (लोरी)
लेखक- विकास कुमार चौरसिया
जबलपुर म.प्र. 

आ तुझे ले चलूँ खुले आकाश में
सारी दुनिया से दूर, नये आकाश में
आ तुझे ले चलूँ खुले आकाश में

वहाँ तारे झिलमिलाते, अंधेरों के साथ में
हमको भी सिखलाते, कैसे खिलते हैं रात में
डरना कभी ना, विश्वास खुद पे रखना
नाज़ तुझपे दुनिया करे, ऐसी राह चलना

आ तुझे ले चलूँ खुले आकाश में
सारी दुनिया से दूर, नये आकाश में
आ तुझे ले चलूँ खुले आकाश में

सूरज की रोशनी, एक तेज़ हम पे भरती है
दूसरों की ख़ातिर ही रोशनी बिखरती है
तुमको भी सेवा, ऐसी ही कुछ करनी है
मनुष्य की ये ज़िंदगी, इसलिये तो मिलती है

आ तुझे ले चलूँ खुले आकाश में
सारी दुनिया से दूर, नये आकाश में
आ तुझे ले चलूँ खुले आकाश में

चाँद की शीतलता भी, हमसे ये कहती है
रहना तुम भी शीतल से, राह चाहे जैसी हो
संसार के समंदर में, ठहराव रखना सीख लो
निष्काम भाव से तुम, सब काम करना सीख लो

आ तुझे ले चलूँ खुले आकाश में
सारी दुनिया से दूर, नये आकाश में
आ तुझे ले चलूँ खुले आकाश में

©Vikas Kumar Chourasia #Khamoshi_ख़ामोशी
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