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ritik4719032278321
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Ritik

The story of pen ( A men with some words ) instagram-@the_story_of_pen

https://www.instagram.com/the_story_of_pen/

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Ritik

की जब गिराना ही था इस क़दर! (2)
तो संभाला ही क्यों?
की जब गिराना ही था इस क़दर!..तो संभाला ही क्यों?
जब जाना ही था बदलती ऋतओ के साथ! (2)
तो अंधेरों से निकाला ही क्यों.....?

©Ritik #Dark
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Ritik

की सिर्फ अब में ही पिरोता हूं यादों में लम्हे...,
 या तुम भी कुछ दिल-ए-जज़्बात छिपाती हो ?
की सिर्फ अब में ही रोता हूं इन रातों में गम्हे...,
या तुम भी एक बेरंग नाम रंग-ए-हिना में छिपाती हो ?

©Ritik की सिर्फ अब में ही पिरोता हूं यादों में...

की सिर्फ अब में ही पिरोता हूं यादों में... #Shayari

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Ritik

कभी साथ चलता था मेरा गुरुर मेरे ही।
मगर ना जाने क्यों ? आज कल गेरो के आगे झुकता है!
कभी दौड़ता था रगों में अहम मेरे ही।
मगर ना जाने क्यों? सीने में अब चुबता है!
चलती है सांसे मेरी बेजार होकर मुझमें.....
दम अब मेरा घुटता है।

©Ritik #Dum_ghutta_hai
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Ritik

की मेरे दिल के हर हिस्से में तेरी प्यार भरी एक मूर्त‌‌ है।
जो नहीं कर सकते जीते जी जुदा इस रुह से वो तेरी मासूम सी एक सूरत है।

©Ritik #जो_नहीं_कर_सकते_जीते_जी_जुदा_इस_रुह_से.....
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Ritik

कुछ दर्द मैं में मिला दिए!
कुछ गम धुएं में उड़ाता चला गया।

©Ritik कुछ दर्द मैं में....

कुछ दर्द मैं में.... #Shayari

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Ritik

तेरी रूह की तलाश में खुद ही यूं मरता हूं में!...(2)
खुद ही बिगड़ कर, खुद ही सवरता हूं में। (2)
की जनाब नींद से भी...(2) 
अब हर रोज़ झगड़ता हूं में।
की जनाब नींद से भी... अब हर रोज़ झगड़ता हूं में।
तेरी यादों के सफर से भी हर दफा गुजरता हूं में।
जो रह गया बाकी इस दिल में....(2)
उस उंस से भी रोज लड़ता हूं में!
तेरी रूह की तलाश में खुद ही यूं मरता हूं में!
की खुद ही बिगड़ कर, खुद ही सवरता हूं में।

©Ritik तेरी रूह की तलाश में खुद ही यूं मरता हूं में !...

तेरी रूह की तलाश में खुद ही यूं मरता हूं में !... #Shayari

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Ritik

Part-1

छोटी सी खाहिश थी दिल की ना था कोई ख्वाब बड़ा।
हो धूप खिली... बादल छट्ठे... दूर दराज कोई छांव सहित पेड़ बड़ा।
डगर डगर ये कहती है धीमे धीमे कदम बढ़ा।
है सांस थकी जोरों शोरों लड़खाते पाव भी बोले राही से 
क्या ठहरे कुछ देर जरा ? 
होसलो की कड़की बिजली बोली तब चल हो त्यार हो उठ खड़ा।
मगर कांटो से कर कर मुलाकात में दे रहा था खुदको सज़ा।
छोटी सी खाहिश थी दिल की ना था कोई ख्वाब बड़ा।
हो धूप खिली... बादल छट्ठे... दूर दराज कोई छांव सहित पेड़ बड़ा।

©Ritik 
  #खाहिश
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Ritik

दूर जाना है तुझसे वहां।...(2) 
मोहब्बत का नाम लिया जाता ना हो जहां...! (2) 
मगर ज़ालिम इस दिल की भी ना जाने क्यों है तुझे पाने की हसरतें बे-इंतेहा...! (2) 
ज़बान कहती है हर पल...! (2)
ज़बान कहती है हर पल...नाम ले ना बेवफा का..मगर निकल जाति है लफ्जो में हा...!
की मगर निकल जाती है लफ्जो में हां...(1)
सोच कहती है जीलू हर लम्हा...(2)
फ़िर दिल से निकल जाती है एक दबी सी आह..........

कवि-रितिक

©Ritik 
  #कविता #विचार #शायरी #अंतर्भावना 
#दूर_जाना_है_तुझसे_वहां___

कविता विचार शायरी अंतर्भावना दूर_जाना_है_तुझसे_वहां___

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Ritik

मुझे अपनी बस्ती की शर्म है...(2)
तेरी रिफ़-अतो का ख्याल है...(2)
मुझे अपनी बस्ती की शर्म है...! तेरी रिफ़-अतो का ख्याल है...
मगर अपने दिल का में क्या करू...?
इसे फ़िर भी शोक-ए-विसाल है.......
उन्हे ज़िद है अर्ज़-ए-विसाल से...(2)
मुझे शोक-ऐ-अर्ज़-ए-विसाल है...(2)
उन्हे ज़िद है अर्ज़-ए-विसाल से...! मुझे शोक-ऐ-अर्ज़-ए-विसाल है...
वो ही अब भी उनका जवाब है...
वो ही अब भी मेरा सवाल है.......
तेरी याद में...(2)
तेरी याद में हूं अजब सा गुम 
तेरे गुमशुदा का ये हाल है
की ना दूर है...
ना करीब है... 
ना फ़िराक़ है.....ना विसाल है........

©Ritik #lonely
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Ritik

तो मतला कुछ यू हो गया कि भई...
जो हो रहा यकीन में फरेब इस में तुम हो..! (2)
जो बेह रहा है ज़ख़्म-ऐ-लहू इस में भी तुम हो...(2)
जो हो रहा यकीन में फरेब इस में तुम हो, जो बेह रहा है ज़ख़्म-ऐ-लहू इस में भी तुम हो...।
मगर.........,
फिर भी ना आए ऐतबार तो देख लेना आंचल अपना...!
इस खूं से लिपटे दामन में भी तुम हो।
कवि-रितिक

©Ritik फिर भी ना आए ऐतबार तो देख लेना आंचल अपना...!
#Dark

फिर भी ना आए ऐतबार तो देख लेना आंचल अपना...! #Dark #कविता

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