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vinodkumar8891
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Vinod Kumar

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Vinod Kumar

कोई गांधी से असहमत हो सकता है। किंतु एक अहिंसक गांधी किसी के अंदर इतना भय पैदा करता है और वो गांधी को रास्ते से हटाने के लिए बाध्य हो जाते हैं ये उनकी हार है। दूसरी बात यह कि मैं जिससे सहमत नहीं उसका बध कर दूं केवल इसलिए कि इतिहास मेरा विरोध दर्ज कर ले;  एक ऐसी खतरनाक मानसिकता है जिसका समर्थन केवल मानसिक रूप से बीमार और अदूरदर्शी लोग हीं कर सकते हैं।— % &

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Vinod Kumar

 गण के रूप में जागरूक बने रहना और तंत्र को उनके अनुकुल नीतियां बनाने के बाध्य करते रहना गणतंत्र को मजबूती करता है। ये कोई मामूली बात नहीं है और हमें इसके लिए हमेशा तत्पर रहना होगा, निजी स्वार्थों से ऊपर उठना होगा और कर्तव्यों का निर्वहन करना होगा।
गणतंत्र दिवस की बधाईयां!

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Vinod Kumar

No one can defeat me just simply because I have no intention to conquer anybody.

कोई मुझे केवल इसलिए नहीं हरा सकता क्योंकि मेरा किसी को जीतने का कोई इरादा नहीं है।

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Vinod Kumar

जगत में मेरी पहचान क्या है ? जब टटोला तो ये उत्तर मिले -

जिन लोगों के लिए कुछ काम आया वो समझते हैं "भला आदमी हूँ"।

दोस्तों की नजर में मैं सीधा-सादा आदमी हूँ जिसका कुछ फायदा हो ना हो नुकसान होने की कोई संभावना नहीं है।

मां-बाप को विश्वास था कि मैं एक बेहतर इंसान साबित होऊँगा। इसलिए मुझे कुछ बनाने के बजाय मुझे स्वयं से कुछ अच्छा करने के सपने लिए दुनियां से विदा हो गए।

मेरी पत्नी मुझे "भावनात्मक मूर्ख" समझती है। कहती है कि जिसकी सैलरी पिछले चार से एक पैसा भी नहीं बढ़ा उसे एक तरह से पनिशमेंट मिला है। फिर भी मैं पागलों की तरह घर को भी ऑफिस बनाये रखता हूँ।

मेरे भाई कहते हैं कि मैं पत्नी का कहा मानने वाला हुँ। क्योंकि भाई होने के लिए जो त्याग होना चाहिए वो मैं करने को राजी नहीं हूं।

जो मेरे साथ काम करते हैं उनके अपने-अपने आकलन हैं मेरे बारे में। कुछ बता देते हैं कुछ छुपा जाते हैं।

मेरे बॉस कहते हैं मुझे अपने आपको सुधारना होगा नहीं तो मैं जिंदगी में छोटा रह जाऊंगा।

क्या यहीं पहचान मैं भी रखता हूँ स्वयं से? बिल्कुल नहीं। यदि कोई भी पहचान मैं दूँ वो वो मेरे "मैं" की पहचान होगी। इसलिए मैं "मौन" हूँ.…. शायद.….."खालिस मौन"..

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Vinod Kumar

We burn Ravana every year but by saving the Ravana inside us. As in 'I am right'. Please ask yourself "Am I right and why" then Ravana will appear again and again and he will have to be killed again and again.

 हम रावण को हर साल जलाते हैं पर अपने अंदर के रावण को बचाकर। 'मैं सही हूँ' के रूप में। कृपया पूछें खुद से "क्या मैं सही हूँ और क्यों" तो फिर रावण बार -बार दिखेगा और उसे बार-बार मारना पड़ेगा। 

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Vinod Kumar


If you were alive, you would be laughing at your few countrymen. You fought to save humanity but they complain about not doing enough for Hindus. You will have forgiven them as usual; I feel Let's take a moment and dedicate a letter to #MahatmaGandhi on his birth anniversary. #letters #dearbapu #gandhijayanti #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Baba

Let's take a moment and dedicate a letter to #MahatmaGandhi on his birth anniversary. #letters #dearbapu #gandhijayanti #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Baba

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Vinod Kumar

Self respect is also a kind of subtle ego. This becomes self-evident by in-depth investigation and constant self-examination.

आत्म सम्मान भी एक तरह का सुक्ष्म अहंकार हीं है। गहनता से पड़ताल करने और लगातार खुद को कसौटी पर कसने से ये बात स्वतः स्पष्ट हो जाती है।

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Vinod Kumar

Mind acts when I speak. The whole existence acts when I act. Many times I found myself insufficient to explain my actions and that is not my weakness; I believe.

जब मैं बोलता हूं तो दिमाग काम करता है। जब मैं कार्य करता हूं तो सारा अस्तित्व कार्य करता है। कई बार मैंने अपने कार्यों को समझाने के लिए खुद को अपर्याप्त पाया और यह मेरी कमजोरी नहीं है; मुझे विश्वास है।

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Vinod Kumar

We are living in the era of information explosion. It seems teachers are becoming irrelevant and old fashioned very soon. But actually, we are getting confused and lost in absence a of real teacher who transfers his wisdom with life experiences. I bow to all those teachers who helped me experience wisdom through my life experiences.

हम सूचना विस्फोट के युग में जी रहे हैं। ऐसा लगता है कि शिक्षक बहुत जल्द अप्रासंगिक और पुराने जमाने के होते जा रहे हैं। लेकिन वास्तव में, हम भ्रमित हो रहे हैं और एक वास्तविक शिक्षक की अनुपस्थिति में खो गए हैं जो अपने ज्ञान को जीवन के अनुभवों के साथ स्थानांतरित करता है। मैं उन सभी शिक्षकों को नमन करता हूं जिन्होंने मुझे अपने जीवन के अनुभवों के माध्यम से ज्ञान का अनुभव करने में मदद की।

 #teachersday
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Vinod Kumar

Human is captive of its own brain. The more you train it captivity will grow. Try and come closure to your heart if you want to enjoy ultimate freedom.
मनुष्य अपने ही मस्तिष्क का बंदी है। जितना अधिक आप इसे प्रशिक्षित करेंगे, कैद बढ़ेगी। अगर आप परम स्वतंत्रता का आनंद लेना चाहते हैं तो कोशिश करें और अपने दिल के करीब आएं।

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