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kingking4483
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संस्कृत भाषा ( शिक्षक ) Facebook pages

simple boy ☺ want to be a motivational😂 insta " vijay_ singatiya

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White यस्तु सञ्चरते देशान् सेवते यस्तु पण्डितान् !
तस्य विस्तारिता बुद्धिस्तैलबिन्दुरिवाम्भसि !!

हिन्दी अर्थ : वह व्यक्ति जो अलग – अलग जगहों या देशो में घूमता है और विद्वानों की सेवा करता है उसकी बुद्धि उसी तरह से बढती है जैसे तेल का बूंद पानी में गिरने के बाद फ़ैल जाता है.

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White यस्तु सञ्चरते देशान् सेवते यस्तु पण्डितान् !
तस्य विस्तारिता बुद्धिस्तैलबिन्दुरिवाम्भसि !!

हिन्दी अर्थ : वह व्यक्ति जो अलग – अलग जगहों या देशो में घूमता है और विद्वानों की सेवा करता है उसकी बुद्धि उसी तरह से बढती है जैसे तेल का बूंद पानी में गिरने के बाद फ़ैल जाता है.

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Unsplash षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता !
निद्रा तद्रा भयं क्रोधः आलस्यं दीर्घसूत्रता !!

हिन्दी अर्थ : किसी व्यक्ति के बर्बाद होने के 6 लक्षण होते है – नींद, गुस्सा, भय, तन्द्रा, आलस्य और काम को टालने की आदत.

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Unsplash स्वभावो नोपदेशेन शक्यते कर्तुमन्यथा !
सुतप्तमपि पानीयं पुनर्गच्छति शीतताम् !!

हिन्दी अर्थ : किसी व्यक्ति को आप चाहे कितनी ही सलाह दे दो किन्तु उसका मूल स्वभाव नहीं बदलता ठीक उसी तरह जैसे ठन्डे पानी को उबालने पर तो वह गर्म हो जाता है लेकिन बाद में वह पुनः ठंडा हो जाता है

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Unsplash मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि
भगवत गीता का यह श्लोक भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को कहा था. इसका अर्थ है कि कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, कर्म के फलों में नहीं. इसलिए कर्म करते रहो और फल की चिंता मत करो.

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White गुरु की वाणी से निकले हुए शब्द जब मेंने अपनी कर्म की किताब पर लिखे तो पन्ने अधूरे रह गये.......

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White  यस्तु सञ्चरते देशान् सेवते यस्तु पण्डितान् !
तस्य विस्तारिता बुद्धिस्तैलबिन्दुरिवाम्भसि !!
वह व्यक्ति जो अलग – अलग जगहों या देशो में घूमता है और विद्वानों की सेवा करता है उसकी बुद्धि उसी तरह से बढती है जैसे तेल का बूंद पानी में गिरने के बाद फ़ैल जाता है.

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उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः !
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः !!

हिन्दी अर्थ : दुनिया में कोई भी काम सिर्फ सोचने से पूरा नहीं होता बल्कि कठिन परिश्रम से पूरा होता है. कभी भी सोते हुए शेर के मुँह में हिरण खुद नहीं आता.

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White सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात्
न ब्रूयात् सत्यं प्रियम्।
प्रियं च नानृतं ब्रूयात्
एष धर्म: सनातन:।। सत्य बोलें, प्रिय बातें बोलें, पर अप्रिय सत्य नहीं बोलें। प्रिय असत्य भी न बोलें, यही सनातन धर्म है।

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White आत्मार्थं जीवलोकेऽस्मिन् को न जीवति मानवः।
परं परोपकारार्थं यो जीवति स जीवति।

- इस जीवलोक में स्वयं के लिए कौन नहीं जीता ? परंतु, जो परोपकार के लिए जीता है, वही सच्चा जीना है।

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