लिखती हूँ कुछ, कुछ तुम पढ़ कर बताना
किस तरह चलता है ज़िंदगी का फ़साना..❣️
📿शंभू🙏
तारीफ़ का शौक नहीं, आरज़ू बस इतनी है
बेजुबां जज़्बात लिखावट में बयां कर सकूं
🤗
हिज़्र और वस्ल तो रिवाज़ है ज़माने का
कोई और बहाना ढूंढो तुम साथ निभाने का
वो कहते है हम जा रहे है दूर उनसे
वो बाँह ज़रा थाम ले कस के
छीन ले बहाना दूर जाने का
ज़िक्र क्या करे हम गैरों के फसाने भला
हमारा तो शौक है अपनो से चोट खाने का
समंदर की चाहत है किनारे छोड़ जाने की #ज़िंदगी