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सुनीता प्रजापति

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सुनीता प्रजापति

नालायक को कुर्सी,घर पर बैठा प्रतिभावान।

योग्यता की क़दर नही,मेरा भारत है महान।।

देश से कभी खत्म हो नही सकता आरक्षण-

इसी के बलबूते तो चलती नेताओं  की दुकान।। आरक्षण .....

आरक्षण ..... #विचार

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सुनीता प्रजापति

तुम तो बसे मोहन ,राधा के मन में,
छुपा कर रखती दोनो अँखियन में।

 श्याम रंग मीरा रंगी,छोडा घर बार
 ढूँढती फिरे पगली,वृन्दा के वन में।

एक प्रेम दीवानी ,एक दर्श दीवानी
रुक्मण राजरानी,संग तेरे भवन में।

ये दिल कहीं अब लगता ही नही है
मेरा उर आनन्दित तेरे ही भजन में।

 हाथ जोड़ विनती करती "सुनीता"
 श्याम दे दो जगह अपने चरनन में। 💐💐
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सुनीता प्रजापति

(लघुकथा)
तिरंगे में लिपटे पति 'केशव' के पार्थिव शरीर से लिपटकर 'कशिश' पागलों-सी, गाने की कुछ पंक्तियाँ बुदबुदाते हुए..,

"मिले हो तुम हमको, बड़े नसीबों से।
चुराया है मैंने #किस्मत की लकीरों से।"

"बोलो केशव बोलो..! यही गुनगुनाते थे ना तुम दिनभर, फिर क्यों आज मुझे इस सफ़र में अकेला छोड़ कर चल दिये?....उठो! एक बार तुम फिर से गुनगुनाओ ना मेरे लिये प्लीज़जजज..फ़फ़क कर रो पड़ी कशिश।"
कशिश के सिर पर हाथ रखते हुए केशव के पिता, " कमबख्त ये शहादत भी तो.. सबके नसीब में कहाँ होती है बेटी।" क़िस्मत...💐

क़िस्मत...💐 #किस्मत

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सुनीता प्रजापति

मैं शब्द तुम अर्थ
तुम बिन हूँ व्यर्थ दो हर्फ़....😊

दो हर्फ़....😊 #शायरी

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सुनीता प्रजापति

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कभी ख़्वाब-सी लगे ये जिंदगानी।
कभी सराब-सी लगे ये जिंदगानी।
शूलों की बिसात चुभे है दर्द हजार
कभी गुलाब-सी लगे ये जिंदगानी।
कभी  मुफ़लिसी में गुजारा जीवन 
कभी नवाब- सी लगे ये जिंदगानी।
गुजर जाती है उमरियाँ पढ़ते-पढ़ते
कभी किताब-सी लगे ये जिंदगानी।
 है ज़ुस्तज़ु  हजारों  बरस जीने की 
 कभी हबाब-सी लगे ये जिंदगानी।
 हुआ  गुराब कभी कंचन काया का,
कभी तुराब - सी लगे  ये जिंदगानी।
 लेखा-जोखा यहाँ कर्मों का"सुनीता"
 कभी हिसाब -सी लगे ये जिंदगानी।
*****************************
. ये जिंदगानी💐

ये जिंदगानी💐 #शायरी

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सुनीता प्रजापति

हास्य रस - कविता
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नकवी सहाब, टहलते हुए
जब क्लास रूम में आये
जो-जो कल अनुपस्थित था 
कान पकड़ कर जल्दी से
टेबल पर मुर्गा बन जाये...
कारण बताओ अपने-अपने
या फिर बुला पिता को लाये...
नकवी जी,
बच्चों की हरकतों से
हो गए थे इतने तंग
नित नए बहाने सुनकर
 रह जाते थे दंग
सोच कर आये थे 
आज किसी को नही छोडूंगा
 जो भी बोलेगा झूठ
कमर मैं उसकी तोडूंगा
था एक लड़का 
चतुर सयाना
बोला,सर् जी..!
कल हमारी भैंस ने 
काटडा जाबर दिया
काम घना था जापे का 
सारा मैंने किया....!
दूजे को आनन-फानन में   
कुछ सूझा नही उपाय
झट से कान छोड़कर बोला
अब क्या बताऊँ?श्री मानजी  
बीटोड़ा हमारा भी कल
फिर से गया बियाय...!
बेचारे...!
भोले भाले नकवी जी
 फिर से मूर्ख दिए बनाय
बिटोड़ा बच्चें नही देता... 
अब कौन उन्हें समझाये...😂😂😂😂😂
#काटडा- भैंस का बच्चा 
# बिटोड़ा- गोबर के उपले बनाकर जहाँ एकत्रित रखे जाते है
********************************** हास्य रस ....कविता ( बिटोड़ा )😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂

हास्य रस ....कविता ( बिटोड़ा )😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂 #काटडा

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सुनीता प्रजापति

लघुकथा (प्रेम विवाह)
एस्केलेटर  से जाते हुए आकाश की नजर सहसा सुरभि पर पड़ी, सुरभि!..सुरभि! आकाश ने आवाज दी।
सुरभि नजर बचाते हुए तेज कदमों से आगे बढ़ी चली जा रही थी...शायद उसने भी आकाश को देख लिया था।लेकिन सुरभि आँखों से ओझल होती,उससे पहले ही आकाश को सामने खड़ा पाया।
"कैसी हो सुरभि?अभी तक तुमने मेरे सवाल का कोई जवाब नही दिया?हाँ या ना... कुछ तो बोलो सुरभि..! नही रह सकता तुम्हारे बगैर ,आखिर क्यों नही कर सकते हम दोनों #प्रेम विवाह।" आकाश सवाल पर सवाल दागता रहा।

"प्लीज़!मुझे समझने की कोशिश करो,ये सही नही है आकाश! नही जानती थी तुम शादी शुदा इंसान और दो बच्चों के पिता हो, अपनी खुशी के लिए मैं दुसरो की खुशी कैसे छीन सकती हूँ?इसके लिए मेरी आत्मा कतई गवाही नही देती।अब जाओ भी,बीबी बच्चे तुम्हारा इंतजार कर रहे होंगे।" सुरभि ने बिछुड़ते हुए कहा। #प्रेम विवाह...💐

#प्रेम विवाह...💐 #कहानी

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सुनीता प्रजापति

मजबूत होते है ये मोह-मोह के धागे।

 फीके लगते है सब रिश्ते इनके आगे।

एक बार चढ़ जाये जब मांझा नेह का-

हिम्मत नही किसी की जो इन्हें काटे।। मोह के धागें..💐

मोह के धागें..💐 #विचार

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सुनीता प्रजापति

विषय - काश!!
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खेतों  मे पक कर तैयार खड़ी थी।
किसान के दिल मे आस बड़ी थी।

गिरी गाज आज फिर  आसमान से
फूटे कर्म ना जाने कौन सी घड़ी थी।

तबाह हो गयी खेती , देखते -देखते,
टहनी-टहनी अब औंधे मुँह पड़ी थी।

पौध -पौध सींची थी  खून  पसीने से, 
पत्नी भी हल संग बैलों-सी जड़ी थी।

सोचा  था कर देंगे  हाथ  पीले अबकी
बेटी जो जवानी की दहलीज चढ़ी थी।
 
देते रहे  वो  दुहाई  पुकार -पुकार कर,
जिंदगी और मौत की जंग सी लड़ी थी।

फिर गया पानी अरमानों पर पल भर में
वो बेबस देखता रहा,उसे अपनी तड़ी थी।

 खुद की तबाही का मंजर देखा ना गया,
 झूल गया फंदे से ,पेड़ पर मौत टंगी थी।

#काश!कि थम जाती बारिश बर्बादी की,
दुआ"सुनीता"ने भी उनके हक में पढ़ी थी। काश!! थम जाती आफ़त की बारिश

काश!! थम जाती आफ़त की बारिश #कविता

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सुनीता प्रजापति

(छंद आधारित रचना)
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  शैला , गौरी,  सिद्धि  दात्री
  चंद्रा ,कात्या ,  काल  रात्री
  माँ कुष्मांडा , ब्रह्मचारिणी
  गौरी माता ,कहो तारिणी।

 नव  स्वरुप  में , मैया  आयी
भर लो झोली, खुशियाँ लायी
दीन दुखी की ,बिगड़ी बनाती,
 डूबी  कश्ती ,  पार  लगाती।

  ललाट  मैया  के ,चँदा  सोहे
  रुप  सलौना ,  सबको  मोहे
 धूम्र  लोचन , नाक नथुनियाँ
 कानन कुंडल,लाल चुनरियाँ।
   
  फूल   मेंहदी  , पान   सुपारी
  माँ  को  भाती , सिंह सवारी
  जल, धूप ,दीप,कलश जवारें
  नित कर पूजा, हवन  रचा रे।
   
****************************** नवरात्रि....💐

नवरात्रि....💐 #कविता

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