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vivektiwari9223
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विवेक तिवारी

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विवेक तिवारी

White जिसके संग सफ़र तय करने की आरज़ूू थी मुझे ,
वो नाविक महज़ काग़ज़ की क़श्ती पर सवार था!!

©विवेक तिवारी
  #hindi_poem_appreciation
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विवेक तिवारी

White दो घड़ी के साथी को हमसफ़र समझते हैं
किस क़दर पुराने हैं , हम नए ज़माने में,

एहतियात रखने की कोई हद भी होती है
भेद हम ने खोले हैं , भेद को छुपाने में,

तेरे पास आने में आधी उम्र गुजरी है
आधी उम्र गुज़रेगी तुझ से दूर जाने में।

©विवेक तिवारी
  #love_shayari
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विवेक तिवारी

White हम बहुत दूर निकल आए हैं चलते चलते,
अब ठहर जाएँ कहीं शाम के ढलते ढलते।

अब ग़म-ए-ज़ीस्त से घबरा के कहाँ जाएँगे,
उम्र गुज़री है इसी आग में जलते जलते।

रात के बा'द सहर होगी मगर किस के लिए,
हम ही शायद न रहें रात के ढलते ढलते।

©विवेक तिवारी
  #good_night_images
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विवेक तिवारी

White ..तुम एक गुजरती हुई तन्हा शाम हो..
 और मैं एक ठहरा हुआ उदास ख़याल हूँ..!!
GN TC SD 🌃🌉

©विवेक तिवारी
  #good_night
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विवेक तिवारी

White धूप कंगूरों की रंगत को चाट गई जब धीरे-धीरे 
तब बुनियादों की मज़बूती दीवारों के काम आ गई 

होठों पर ताले लटके थे, संवादों पर बर्फ़ जमी थी
आखर-आखर आतंकित था, हर आहट सहमी-सहमी थी
सबके अपने-अपने सुख थे, सबके अपने-अपने कमरे
तब छोटी-सी एक मुसीबत, परिवारों के काम आ गई 
फिर बुनियादों की मज़बूती दीवारों के काम आ गई 

अपनेपन का आलिंगन भी कुछ पल ही मन को भाता है
प्रेम घड़ी भर दूर नहीं हो, तो वह पिंजरा बन जाता है 
बेमतलब की भावुकता का बोझ; डुबो ही देता किश्ती
तब कुछ व्यवहारिक पतवारें, मझधारों के काम आ गई
फिर बुनियादों की मज़बूती दीवारों के काम आ गई 

जड़ की अनदेखी करते हैं, फुनगी पर इतरानेवाले 
फिर-फिर धरती पर आते हैं, उड़कर ऊपर जानेवाले 
जब ख़ुद के ईश्वर होने से ईश्वर का मन ऊब गया है 
तब कुछ इंसानी लीलाएँ, अवतारों के काम आ गई
फिर बुनियादों की मज़बूती दीवारों के काम आ गई

©विवेक तिवारी
  #hindi_poem_appreciation
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विवेक तिवारी

White इंतज़ार मत करो जो कहना हो कह डालो क्योंकि हो सकता है फिर कहने का कोई अर्थ न रह जाए।

©विवेक तिवारी
  #alone_quotes
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विवेक तिवारी

White समूची बंदरों की नस्ल को अंगद समझते हैं 
ये भोले लोग बौनों को भी आदमक़द समझते हैं 
तुम्हारी ख्वाहिशें तो चाहती हैं जीतना दुनियाँ 
हम अपने खेत की मेड़ों को ही सरहद समझते हैं

©विवेक तिवारी
  #hindi_poem_appreciation
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विवेक तिवारी

White सत्य की हुई जीत

©विवेक तिवारी
  #election_results
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विवेक तिवारी

White बहार का आज पहला दिन है चलो चमन में टहल के आएँ 
फ़ज़ा में ख़ुशबू नई नई है गुलों में रंगत नई नई है 

जो ख़ानदानी रईस हैं वो मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना 
तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई नई है 

ज़रा सा क़ुदरत ने क्या नवाज़ा कि आ के बैठे हो पहली सफ़ में 
अभी से उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई नई है

©विवेक तिवारी
  #Emotional_Shayari
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विवेक तिवारी

White कोई नगमा कहीं गूँजा, कहा दिल ने ये तू आई
कहीं चटकी कली कोई, मैं ये समझा तू शरमाई
कोई खुश्बू कहीं बिख़री, लगा ये ज़ुल्फ़ लहराई
लिखे जो खत तुझे...

©विवेक तिवारी
  #F❤️S
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