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Shashi Goutam

Ananta Dasgupta

হে গঙ্গা! 
বয়ে চলেছ তুমি শহরের পাস থেকে, শুধু বয়ে যাচ্ছ। কেন?
কেউ রক্তে লাল হচ্ছে আর হাঁসছে পাশবিকতা, তুমি বয়ে যাচ্ছ। কেন?
তোমার সামনে আগুনে দাহ করা হল, ভাসিয়ে দেয়া হল তোমার কোলে।
তুমি নিরবে ধারণ করে নিলে সেই অস্থি আর বয়ে চলেছ। কেন?
তুমি দেহ শুদ্ধ করলে কিন্তু সেই দেহ কারণ হল অপবিত্রতার।
ওই অপবিত্রতার তুমি দেখলে নিরবে, তুমি বয়ে যাচ্ছ। কেন?
আজ তোমার কিনারা ধরে পথে নেমেছে অনেক রাগ, অনেক প্রশ্ন।
তুমি সবকিছু জেনে আসলে না, তুমি বয়ে যাচ্ছ। কেন?

হুঙ্কার দাও নিজের স্রোতের, ভেঙে দাও সমস্ত ব্যবধান।
এই অন্যায়ের জন্য তুমি শুরু কর যুদ্ধের অভিযান।
ডুবিয়ে দম বন্ধ কর তাদের যারা অন্যায়ের সাথে দাঁড়িয়ে।
অ্যাসিডে বদলাও নিজেকে, দাও হাড় অবধি জ্বালিয়ে।
যদি বইতে তাহলে প্রলয়ের মত করে এবার বয়ে যাও।
রুদ্র রুপ ধর নিজের, ছিন্ন ভিন্ন করে এগিয়ে যাও।
আশা হারিয়ে যাচ্ছে দেবী, বিচার এবার শাস্তি দাও।
নিজের হাতে বিচার নিয়ে তুমি তিলোত্তমা কে শান্তি দাও।

©Ananta Dasgupta #nojotopic #kolkatacase #JusticeAndRevenge #RGkar #revolution #anantadasgupta #Bengali_poem #bengaliquote

KhaultiSyahi

White Still time

There is still time,
things happen,
life lives you. 

Revolution and revolution,
time is still. 
There is still time.

©KhaultiSyahi #ramnavmi #revolution #think #Life_experience #life #Reality #khaultisyahi #Truth #Truth_of_Life #voting 🗳️ thinkdifferent

Ragini Preet

Niwas

     प्रेम विवाह
जो माँ- बाप परेशान हैं
अपने बच्चे के प्रेम विवाह से
उन्हें जरा भी दिक्कत नहीं
उनके प्रेम से, व्यभिचार से.
उन्हें दिक्कत है केवल प्रेम विवाह से..
उनकी जाति, गौरव, अभिमान
सम्मान,संस्कार, कुल, रक्त 
कुछ नष्ट नहीं होता प्रेम से
पर एक झटके में खत्म हो जाता है
प्रेम विवाह के नाम से

उन्हें जन्म लेते ही बच्चों को
बांध देना चाहिए बाड़े में
देना चाहिए भूसा, चारा
और रोज मार मार कर
रटवाना चाहिए.......
प्रेम करो, व्यभिचार करो
पर प्रेमविवाह नहीं।।

उन्हें नहीं भेजना चाहिए पढ़ने
किताबें उन्हें सीखा सकती है
उन्मुक्त प्रेम, अंतर्जातीय प्रेम
तुड़वा सकती है जाति का बंधन
करवा सकती है क्रांति... #love #revolution #revolutionary #ishq

Niwas

जो माँ- बाप चिंतित हैं
अपने बच्चे के प्रेम विवाह से
उन्हें जरा भी दिक्कत नहीं प्रेम से
परेशानी है बस
प्रेम का विवाह में तब्दील हो जाने से...
उन्हें जन्म लेते ही बच्चों को
दागना चाहिए रोज...
गरम छड़ से..
बंद कर रखना चाहिए टोकरी में..
रस्सी से बांध कर
एक सीमित दायरे में छोड़ना चाहिए
उन्हें पढ़ने- लिखने नहीं देना चाहिए
उन्हें बस बंद कमरे में दिन रात रख
रटवाना चाहिए...
तुम्हें प्रेम नहीं करना..
और अगर हो जाए जाने, अनजाने
तो भी विवाह मत करना... #revolution #revolutionary #love #lovequotes #poem

Sarita Shreyasi

एक लपट है मेरी लहरों में, जो जलती नहीं,बस बहती है, कितनों को चुप कर जाती है, पर मन की अनकही कहती है। जब सभ्यता सँवरती है, दीपों से फाग लिखती हूँ, नूतन रंगों से राग रचती हूँ, बरखा में आग लिखती हूँ।

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कल जब वो उठ खड़ी हुई थी,
तो पुरानी बेड़ियाँ कड़कड़ायी थीं,
जब घर से निकल पड़ी तो,
तथाकथित मर्यादायें चरमरायी थीं,
अनगिन सवाल उछाल दिये गए थे,
उसकी श्रद्धा,निष्ठा और वात्सल्य पर,
आज सदियों से अनुत्तरित,अनगिन
सवालों के जवाब लिखती हूँ।
किसी ने पूछा था कल,
अकेली क्या कर सकती हो,
चुप हूँ,गूँगे-बहरों की दुनिया में,
मैं कलम से इंकलाब लिखती हूँ। एक लपट है मेरी लहरों में,
जो जलती नहीं,बस बहती है,
कितनों को चुप कर जाती है,
पर मन की अनकही कहती है।
जब सभ्यता सँवरती है,
दीपों से फाग लिखती हूँ,
नूतन रंगों से राग रचती हूँ,
बरखा में आग लिखती हूँ।

Sarita Shreyasi

एक लपट है मेरी लहरों में, जो जलती नहीं,बस बहती है, कितनों को चुप कर जाती है, पर मन की अनकही कहती है। जब सभ्यता सँवरती है, दीपों से फाग लिखती हूँ, नूतन रंगों से राग रचती हूँ, बरखा में आग लिखती हूँ।

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एक लपट है मेरी लहरों में,
जो जलती नहीं,बस बहती है,
कितनों को चुप कर जाती है,
पर मन की अनकही कहती है।
                                         जब सभ्यता सँवरती है,
                                         दीपों से फाग लिखती हूँ,
                                         नूतन रंगों से राग रचती हूँ,
                                         बरखा में आग लिखती हूँ।
शब्दों के सूत बुनती हूँ,
मुद्दे की बात करती हूँ,
जहाँ भी चोट खाती हूँ,जीने का
एक और अंदाज सीखती हूँ।
                                         प्रेम भरी कविता नहीं लिखती,
                                         क्रांति के किताब लिखती हूँ,
                                         युग का इतिहास पलटने को,
                                         परिवर्तन की बात करती हूँ । एक लपट है मेरी लहरों में,
जो जलती नहीं,बस बहती है,
कितनों को चुप कर जाती है,
पर मन की अनकही कहती है।
जब सभ्यता सँवरती है,
दीपों से फाग लिखती हूँ,
नूतन रंगों से राग रचती हूँ,
बरखा में आग लिखती हूँ।

Sarita Shreyasi

बेटियाँ ब्याही नहीं जायेंगी। #yqdidi#yqbaba#Social#girl#revolution

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सशक्त सजग सक्षम बनेंगी,
सुशील संवेदनशील रहेंगी,
पराधीन होने के लिए दूसरे
के खूँटे से बाँधी नहीं जायेंगी,
मन का जीवन जीयेंगी,बेटियाँ
रिश्तों के पैमाने से मापी नहीं जायेंगी,
गरिमामयी स्त्री बनेगी,
अच्छी बहू बनने के लिए,
बेटियाँ ब्याही नहीं जायेंगी।
 बेटियाँ ब्याही नहीं जायेंगी।
#yqdidi#yqbaba#social#girl#revolution

Jasmine of December

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