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subhamkumar1210
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SUBHAM KUMAR

मैं लिखता हूं इसलिए , मैं हूं......

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SUBHAM KUMAR

इन शहरों के हवाओं से खुद को बचाएं रखे हैं,
बड़ी इमारत और कारखानों के बीच शहर में एक छोटा सा गांव बसाए रखे है।

सालो पहले लगाया नीम के पेड़ अब बड़ा हो चुका है,
अब उसी नीम के छाव में एक छोटा खाट लगाए बैठे है।

केवल कुछ ही मिनट के बत्ती गुल में लोग हंगामा कर जाते है,
और मैं हूं जो रात में बिजली बुझा डीबरी जलाए बैठे है।

इन ठंड के दिनों में ये शहरी लोग ना जाने कौन सा मशीन से अपने घर को गरमाए बैठे है,
मैं तो गोबर के गोयथा जला अपना हाथ तपाए बैठे है।

नशे के रूप में ये कैसा सफेद पाउडर और बड़ी बोतल अपने टेबल में सजाए बैठे हैं,
और एक में हूं ना जाने क्यों मिट्टी के चूल्हे में चड़ी चाय को नशा माने बैठे है।

-subham

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SUBHAM KUMAR

तुम लबों से वार और आंखों से कतल- ए- आम कर देती हो,
कसम से लाल साड़ी में तुम यूपी को बिहार कर देती हो।
यूं तो तुझमें कोई ऐब नहीं है गालिब,
पर ना जाने क्यों दो रुपए की बीड़ी से अपनी आंखे लाल कर लेती हो। #sasti_sharyi
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SUBHAM KUMAR

 #feeling
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SUBHAM KUMAR

आज फिर मानवता की हार और पाप की जीत हुई हैं,
फिर कोई नादान, बेबस सी नारी किसी हवस की शिकार हुई है।
ऐ इंसान ऐसी क्या मजबूरी जो तुम इस कदर गिरे हो,
क्यों तुम अपना सारा शर्म घूंट घूंट के पिये हो।
अपनी मर्द होने की पहचान तुम इस कदर क्यों देते हो,
कैसे तुम उस बेबस की आंसू सह लेते हो।
ईश्वर ने केवल एक इंसान बनाया था उससे ही हुए हम सब है,
अरे ओ मर्द जरा अपनी पूर्वजो की इतिहास देख वो नारी भी तेरी बहन है।
तुम क्यों उसे अपनी गंदी नजरो से देखने के लिए मोहल्ले के चौक में खड़े रहते हो,
गन्दी नज़रों से देख अपशब्द नाम से चिल्लाते हो,
अपनी प्यास बुझाने के लिए उसे निर क्यों बनाते हो,
आग तो तेरे अन्दर थी तो उसे क्यों जलाते हो.
तेरी सोच में तुझे केवल उमर कैद का ख्याल आया होगा,
पर अब हम तुम्हे पकड़ इस जुर्म के लिए ना तो उमर कैद, ना फांसी और ना ही जिंदा तुझे जलायेगे,
अब तुम्हे उसी मोहल्ले के चौक में तुम्हारी खून से अपनी अंदर के आग  को बुझाएगे ।


 #we_want_justice
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SUBHAM KUMAR

चलो फिर से बच्चा बना जाए, 
ना देख आगे पीछे चल एक बार फिर से नंगे पांव सड़क पर उस कटे पतंग के लिए दौड़ लगाया जाए,
दौड़ते वक़्त आंखो में उसे पाने की लालच और होठों में मुस्कान लाया जाए,
क्यों ना फिर से बच्चा बना जाए,
उस ठंडी वाली सुबह में स्कूल वाली हाफ पैंट और कमीज़ पहना जाए, अपने कंधो में एक बस्ता लिया जाए जिसमें भारी वज़न वाली किताबें और हल्की वज़न वाली टिफिन जिसमें रात वाली रोटी और मां के हाथों के बने आम का आचार लाया जाय 
क्यों ना फिर से बच्चा बना जाए। #childrenday
#child_poem
#old_memories
#yaade
#2019
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SUBHAM KUMAR

शाम की धूप में तुम यूं कभी दिख जाना, बस नज़रों की तो बात है मिला के चले जाना।

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SUBHAM KUMAR

मुझे तो सूखे पत्तो पर भी प्रेम आ जाता है,
तुम तो फिर भी पलके उटाती और गिराती हो।
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SUBHAM KUMAR

#Pehlealfaaz आज मैंने खाली पन्नो पर अपने एहसासो को जताया है,
लोगो ने उसी पन्नो को खाली पाया है। #deep_meaning
ठहरिये और सोचिये।

#Deep_meaning ठहरिये और सोचिये। #विचार #Pehlealfaaz

4 Love

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SUBHAM KUMAR

Q- Are you having a negative thoughts?
me- All i have a negative thoughts...🤡🤡🤡🤡

3 Love

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SUBHAM KUMAR

बहुत दिनों बाद आज बिना अंधेरे का रात हुआ है
जो दिन के उजाले में दिखता था आज वह परछाई रात में दिखा #चंदनी_रात
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