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gudiyatiwari5837
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गुड़िया तिवारी

मैं कविता शायरी गजल कहानी लिखने पढ़ने में रुचि रखती हूं ।

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गुड़िया तिवारी

#भोजपुरी #साहित्य #कविता 

होली  में  भौजी लागेली छिछोरी।
पहिने के साड़ी पहिने कोरी धोती।
बइठे चुहानी पुआ पकवान बनावे,
मसखरा में रंग पुआ फेटी में घोरी।।

बनावेली पकौड़ी चुन चइली चुनी।
दहीबड़ा भीतर  से रूई भी मिली।
फुलौरी तिलौरी खा के मन डेराला,
नाजाने गुझिया ठेकुआ में का मिली।।

✍️गुडिया तिवार

©गुड़िया तिवारी #Holi #भौजी संग होली

Holi भौजी संग होली

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गुड़िया तिवारी

है कहां फौलाद वह,
कि औलाद ऐसा पैदा करें।
है रगों में देशभक्ति नहीं,
कि भगत आजाद जना करें।।

✍️गुडिया तिवारी

©गुड़िया तिवारी
  #shaheeddiwas #देशभक्ति नही
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गुड़िया तिवारी

#फगुआ 🌾🌾🌹🌹😊

पूरुआ से पछुआ जा टकराया।
फगुआ खेलत धूर से नहलाया।
इठलाई उठी जब पूरूवा रानी,
भागत पछुआ को खूब भिंगाया।।

✍️गुड़िया तिवारी

©गुड़िया तिवारी
  #Holi #फगुआ  Anupriya M. Acharya gudiya amisha(vatsala)

#Holi #फगुआ Anupriya M. Acharya gudiya amisha(vatsala) #कविता

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गुड़िया तिवारी

Autumn विश्व कविता दिवस

कविता गीत है संगीत है
कवि की है साधना।
कविता कवि का स्वर है
कविता कवि की आराधना।

भावों का एहसास है कविता
शब्दों की है संरचना
विचारों का विन्यास है कविता
और कवि की कल्पना।

कविता कवि की रचना
पद्य की है अल्पना।
कविता कवि की नजरों से
अनदेखी पहलुओं की परिकल्पना।

कविता प्रकृति का अनुराग है।
कविता कवि को मां वरदा का वरदान है।
कविता रंग है कविता तरंग है।
कविता कवि के जीवन में सत्संग है।

✍️गुडिया तिवारी

©गुड़िया तिवारी
  #autumn #कविता दिवस

autumn कविता दिवस

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गुड़िया तिवारी



रचना......
करम  धरम  के  जाल बुनल बा।
नया दुनिया के रंगढंग अलग बा।
जिए खातिर कुशल कौशल चाही,
बिना... 
झूठ बेईमानी जियल मुश्किल बा।।

✍️गुड़िया तिवारी

©गुड़िया तिवारी
   #मुक्तक
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गुड़िया तिवारी

Nature Quotes 

हमें प्यार है सादगी से तुम्हारे,
            मगर   तुम   नएपन  में  ढलने  लगे  हो।
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वह धोती का बंधन माथे का चंदन,
             क्यों मेरी साड़ी पर एतराज करने लगे हो।
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खाते थे घर का भाजी तरकारी
             तुम आजकल रोज होटल जाने लगे हो।
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देवता सदा से जिनके है मैया बापू
             तो क्यों मंदिरों  में घंटी बजाने  लगे हो।
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पार्वती की उपाधि दिए अर्धांगिनी को
             अब सुबह शाम लांछन लगाने लगे हो।
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यह घर जिसके अंदर बसा सदा से
            तो  क्यों  अब घर  से दूर जाने लगे हो।
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            मौलिक रचना
      ✍️गुड़िया तिवारी गोपालगंज

©गुड़िया तिवारी
  #NatureQuotes #हिंदी_कविता
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गुड़िया तिवारी

#बेबाकबोल 

कैसी आग में धधक रही है दुनिया
ना   ताप    लगे   न   धुआं   दिखे
जब  प्रतिष्ठा जलकर खाक हो गई
तब  शमशान  में फैली राख दिखे।

मशहूर होने  की चाहत  में बेटियां
जीवन    का    मूल   भूल    बैठी
नाच   नाच   कर   रिल्स   बनाती
बेटियां अपनी  अस्मत  गवा  बैठी।

नाच   न    जाने    आंगन     टेढ़ा
वदन!   वस्त्रहीन      हो       गया
जब  चवन्नी  न  मिली  खैरात   में
गुरुर    मिट्टी     में     मिल    गया।

नृत्य  नहीं  अब   तो  नाच हो  रहा
जग में परंपरा से खिलवाड़ हो रहा
इंटरनेट  का   जमाना  क्या  आया
हर घुंघट बेनकाब  सरेआम हो रहा।

     मौलिक रचना
✍️गुड़िया तिवारी

©गुड़िया तिवारी
   #बेबाकबोल #virul #कविता #हिंदी_कविता
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गुड़िया तिवारी

#tumharesaath शरीरिया कहार

#tumharesaath शरीरिया कहार #कविता

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गुड़िया तिवारी

मां  ही  लक्ष्मी  मां  ही  दुर्गा
मां  ही  शारदा  भवानी  है।
मां ही जीविका मां ही जननी,
मां ही  तो  जग कल्याणी है।

©गुड़िया तिवारी
  मां
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गुड़िया तिवारी

बनू मैं सनम तेरा.....

बनू मैं सनम तेरा..... #शायरी

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