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Gaurav Garg
एक खुली सी किताब हु मैं,
क्या तुम पड़ना चाहोगे,
दोस्त नहीं है हमारे,
क्या हमे अपना दोस्त बनाओगे?
हर शख्स खास होता है किसी ना किसी के लिए ,
लेकिन हमे खास खाने वाला कोई मिला नही,
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