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ntsprajapati3298
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Nts Prajapati

न शायर हूँ न आशिक हूँ मैं इन चलती हुई राहों का मुसाफिर हूँ, जानना है तो जान लो मुझे आदमी कम दिल दरिया हूँ।

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Nts Prajapati

इस दौर में हम यू तो पुराने नही 
है बस इंतज़ार बेसब्री से सब्र तक किया है

हर लम्हा दूर तुमसे ,तुम बिन ,तुम तक, तुम सा जिया है। 
Nts Vijay Prajapati mahi choudhary Pathak ji  Kasim Ansari Rahi Nishat Hashmi

Vijay Prajapati mahi choudhary Pathak ji Kasim Ansari Rahi Nishat Hashmi #Shayari

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Nts Prajapati

चारागाह

बेघर है हर घर से धेनु देश धरा पर की गौ जाय 
बीघा लाख तो चारगाह पर मरती भूखे माता गाय। 

यह कैसा सत्ता का शासन, न्याय नाम पर केवल गण मण 
एक की बात को एक दबाये, भूमि पर सबका अतिक्रमण। 

न्याय की बातें सब करते फिरते ,भाती सबको  खुली राह, 
गौ, 'पशुधन के रक्षक' नाम के केवल  जब्त कर गए चारागाह। 

केवल भाषण मे सबको चाहे आज़ाद जमीं ,खुला असमान, 
इनका जो वश चले तो अतिक्रमण मे ले ले   शमसान। 

एक पशु गर चर जाए फसल तो पंचायत सत्ता, मालिक पर करती जुर्माना, 
देखा अन्याय सत्ता और उनके भी चमचे छीन कर बैठे सारा जमाना। 

आधे से ज्यादा राह रोके है सरीफ चोर,  अब गरीब इनके आगे कमजोर है
न्याय की इनसे नही कोई आशा क्योंकि सत्ता पर इन दुष्टों का जोर है। 

अब भी समय है ,हर पल खेल बदलता, कुछ न्याय करो सरकार
चारागाह छोड़ दो विनती करती तुमसे गौ माता लाचार। 

स्वरचित- कवि नितेश प्रजापति ✍✍✍
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Nts Prajapati

दिखती है जो चेहरे की हँसी उससे न मुझको भांप 

         ☝💘✍✍

गर तु समझता है मुझे तो मेरे दर्द की गहराई नाप।
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Nts Prajapati

दुनिया में कोई आपको कितना ही गिराने की कोशिश करे बस खुद की नजर मै कभी मत गिरना
               ☝✍✍💘



फिर आपको शिखर और शिखर को आपके कदम चूमने से  कोई नही रोक सकता है।

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Nts Prajapati

मुझे उम्र से पहले जिंदगी ने बड़ा किया है,
            👉💘☝


तुम मुझे क्या गिराओगे मुझे गिरते हालातो ने खड़ा किया है। Shivani Keshari Kasim Ansari Kavi Rahul Jangir  Gumnaam shayar  Dayal "दीप, Goswami.. Nishat Hashmi

Shivani Keshari Kasim Ansari Kavi Rahul Jangir Gumnaam shayar Dayal "दीप, Goswami.. Nishat Hashmi #thought

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Nts Prajapati

आपके जाने के बाद भी कोई आप पर फक्र करे 


तो सबसे पहले आपकी उनकी फिक्र करे।

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Nts Prajapati

बाकि रास्तों का तो सिर्फ वहम् है 

इंसान तो मिट्टी से मिट्टी तक का ही सफर तय कर पाया है।
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Nts Prajapati

कभी वो गले लगाकर रोये है
कभी वो खुद रुलाकर रोये है










क्या करवट बदली  है वक़्त ने
अभी वो मुह मोड़ कर सोये है।

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Nts Prajapati

गुजरे लम्हों की यादे किसे नही सताती है 
सपने मे चेहरा जो देखूँ आँख मेरी भर आती है

बीती खुशियाँ सारी मन ही मन है ख्वाबो में
याद करू उनको तो यादे बहुत सताती है। 

हर पल रूप ,रंग, यौवन ,चेहरा मुस्कता
ख्वाब से खुले आँख तू ओझल हो जाती है

मिलन जुदाई ,आँखे भी अब राहे तकती 
उन शहरो के रस्ते वो गलिया हमें बुलाती है। 

हरदम हमदम तेरे बिन कैसे ले हम दम
आँख लगे तो रातों मे राते नींद जगाती है

कलियाँ हजारों कितनी ही हो, फिर तुमसे कम
सुगंध जो महक निराली, सिर्फ तुम्हारी भाती है

सफर मे हमसफर सिर्फ तुम्हारी है यादें
उन शहरों के रस्ते वो गालियाँ हमें बुलाती है। 

ख्वाब ,खुशियाँ, लम्हें, वादे, वो यादें
याद करू उनको तो यादें बहुत सताती है। 

      *नितेश प्रजापति* यादें  pooja yadav Neeraj Sharma Das bairagi Parul Umale Nishat Hashmi

यादें pooja yadav Neeraj Sharma Das bairagi Parul Umale Nishat Hashmi #Shayari

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Nts Prajapati

चार बेटो को जन्म दिया था, उसने घर के आंगन मे
छायी थी खुशियाँ ऐसे, हरियाली जैसे सावन मे, 

पाल पोश कर बड़ा किया था, अपने राज दुलारो को
जीवन सारा किया समर्पित अपनी आँख के तारों को

निज जीवन के सब सपने मारे, इनके लिए कमाई मे
सारी दौलत लगा दी, देखो इनकी पढाई मे। 

पढ़ा लिखा कर सबको बन दिया था साहब रे
माँ बाप कर्ज अनेक ना ही कोई हिसाब रे

एक- एक कर विवाह सबका बड़ी शान से
सीधी रोटी मिलेगी अब तो मुक्ति मिली थकान से

चार महीने साथ रखा झगड़े जमकर हजार हुए
4 बेटो के सामने ...रोटी को लाचार हुए

बहूऐ थी गैरो की की जायी, बेटो को भी लाज न आई
अन्न के खातिर तरसे देखो  4 बेटो के बाप - माई

दर्द से बाप की छाती दुखे  माता का भी दूध लजाये
चार बेटो के बाप- माय बेटे हुए है असहाय

जीवन मे जो भी आया सबका होना अंत
आखिर एक दिन माँ बाप का हो गया प्राणांत

आँसू रोकर गजब बहाये, अब तो प्रेम झूठा
 दिखलाये, 
जीते जी पानी की न पूछे मरने पर गंगा नहलाये,

देख नजारा यह सारा, बेटो तुमको शर्म न आयी
बेकार तुम्हारी जिंदगानी हाय हाय हाय हाय हाय। 

 माँ बाप तो बूढ़े थे क्या तेरा भी खो गया आपा
मुर्ख तू इतना न इतरा, तेरा भी आयेगा बुढ़ापा

यही सुखधाम  माँ बाप है तीन,लोक चारों धाम
हम तो मात्र मानव इनकी आज्ञा टाले न राम। 
स्वरचित-नितेश प्रजापति
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