मोहब्बत पर भरोसा आज भी है,
पर चेहरों पर यकीं कैसे करूँ समझ नहीं आता,
दिल को ऐतबार तुझपे आज भी है,
पर दिल को फिर से तेरे लिए कैसे समझाऊं समझ नहीं आता,
मुहब्बत में बेवफाई मिले या वफ़ा ये तो किस्मत की बात है,
पर फिर से तेरे लिए खुद से कैसे लड़ूँ ये समझ नहीं आता,
मोहब्बत की इन भूल भुलैया रास्तो में वादों कसमों का दौर तो खूब चला,
लेकिन अब इस दौर से बीते हुए दौर में फिर से कैसे जाऊ ये समझ नहीं आता..
मोहब्बत पर भरोसा आज भी है,
पर चेहरों पर यकीं कैसे करूँ समझ नहीं आता,
दिल को ऐतबार तुझपे आज भी है,
पर दिल को फिर से तेरे लिए कैसे समझाऊं समझ नहीं आता,
मुहब्बत में बेवफाई मिले या वफ़ा ये तो किस्मत की बात है,
पर फिर से तेरे लिए खुद से कैसे लड़ूँ ये समझ नहीं आता,
मोहब्बत की इन भूल भुलैया रास्तो में वादों कसमों का दौर तो खूब चला,
लेकिन अब इस दौर से बीते हुए दौर में फिर से कैसे जाऊ ये समझ नहीं आता..
चलिए कुछ लिखते हैं,
जज़्बात भी यहां कागज़ों पर बिकते हैं,
चलिए कुछ लिखते हैं,
यूं तो कागज़ पर भी ज़ख्मों के निशां दिखते हैं,
स्याही के अहसासों में डूब के शब्दों को पकड़ते हैं,
इक नया जख्म मिला है उसे भरते हैं,
चलिए छोड़िए आज कलम को आराम देंते हैं।। #Poetry
#पिता
वो आपके साथ बरामदे में क्रिकेट खेलना,
वो आपको मेरा बॉल फेकना,
सब याद है मुझे कुछ भुला नहीं हूँ मैं,
एक भी दिन ऐसा नहीं है जिस दिन आपको सोचा नहीं हूँ मैं,
कुछ खुशियां आपके बिना आज भी अधूरी है,
शायद आपके बिना ही मेरी मंजिल से इतनी दुरी है,
अब धीरे धीरे बड़ा होना सिख रहा हूँ मैं, #Poetry
#पिता
वो आपके साथ बरामदे में क्रिकेट खेलना,
वो आपको मेरा बॉल फेकना,
सब याद है मुझे कुछ भुला नहीं हूँ मैं,
एक भी दिन ऐसा नहीं है जिस दिन आपको सोचा नहीं हूँ मैं,
कुछ खुशियां आपके बिना आज भी अधूरी है,
शायद आपके बिना ही मेरी मंजिल से इतनी दुरी है,
अब धीरे धीरे बड़ा होना सिख रहा हूँ मैं, #Poetry