पानी में तेरे ख़तों की नाव चलाता हूँ
जल तो चुका हूँ अब अस्थियां बहाता हूँ
मुझे कौन रुलाएगा आकर अब सावन में
मैं खुद अपने ग़मों का हिसाब लगाता हूँ
तेरा होना भी मैं अब तो कबका भूल चुका
जो बाकी है बस उसका बोझ उठाता हूँ #Poetry#ghazal#Shayari#dpf#sher
पानी में तेरे ख़तों की नाव चलाता हूँ
जल तो चुका हूँ अब अस्थियां बहाता हूँ
मुझे कौन रुलाएगा आकर अब सावन में
मैं खुद अपने ग़मों का हिसाब लगाता हूँ
तेरा होना भी मैं अब तो कबका भूल चुका
जो बाकी है बस उसका बोझ उठाता हूँ #Poetry#ghazal#Shayari#dpf#sher