लेखक की लेखनी का असर तब दिख पायेगा,
जब लाेगाे के दिलाें पर उनके शब्दाें का असर नजर आयेगा,
तब सफल हाे जायेगा जीवन लेखक का,
और तब सच में अपनी पहचान बनायेगा !
सफर को पूरा करने मे ज़िन्दगी निकल गयी,
औरो को मनाने मे वो खुद ही बिखर गयी,
थी उसकी भी थोड़ी सी उम्मीदे और खुशिया,
जो अपनो को सवारने मे खुद-ब-खुद दफन हुई !
मैं वर्ण हूँ,
अकेला हूँ,
तो चुप हूँ,
अगर मिलकर बन गया शब्द,
तो कोहराम मचा दूँगा,
किसी के दिल मे डर का,
तो किसी के दिल मे प्यार का,
किसी को ना चाहते हुए भी ठेश पहुँचा दूँगा, #कविता
Atit Arya
#वाह रे! नेता जी तुम तो बहुत अजीब निकले,
रंग बदलने मे तुम गिरकिट के भी बाप निकले, #कविता
Atit Arya
क्या सोच थी,
क्या सोच है,
इसी सोच मे सब रह गए, #कविता