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pravintripathi7693
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Pravin Tripathi

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Pravin Tripathi

*मित्र वही जो दिल बस जाए।*
*सुख दुख में वह संग निभाए।*
*पथ से डिगने पर जो टोके।*
*सच्चा मित्र वही कहलाए।।*

*प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, रविवार* *मित्र वही जो दिल बस जाए।*
*सुख दुख में वह संग निभाए।*
*पथ से डिगने पर जो टोके।*
*सच्चा मित्र वही कहलाए।।*

*प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, रविवार*

*मित्र वही जो दिल बस जाए।* *सुख दुख में वह संग निभाए।* *पथ से डिगने पर जो टोके।* *सच्चा मित्र वही कहलाए।।* *प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, रविवार* #poem

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Pravin Tripathi

*गंगा को धारण किया, करने जग कल्याण।*
*गोमुख से तब सिंधु तक, गंगा करें प्रयाण।।*
*गंगाजल अभिषेक से, शिव को करें प्रसन्न।*
*दुख दारिद सारे मिटें, जगत बने संपन्न।।*

*प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, 30 जुलाई 2019* *गंगा को धारण किया, करने जग कल्याण।*
*गोमुख से तब सिंधु तक, गंगा करें प्रयाण।।*
*गंगाजल अभिषेक से, शिव को करें प्रसन्न।*
*दुख दारिद सारे मिटें, जगत बने संपन्न।।*

*प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, 30 जुलाई 2019*

*गंगा को धारण किया, करने जग कल्याण।* *गोमुख से तब सिंधु तक, गंगा करें प्रयाण।।* *गंगाजल अभिषेक से, शिव को करें प्रसन्न।* *दुख दारिद सारे मिटें, जगत बने संपन्न।।* *प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, 30 जुलाई 2019*

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Pravin Tripathi

*विघ्नहारी प्रभात,*

*जगन्नाथ हे नाथ प्रभु, खड़े आपके द्वार।*
*दे दर्शन कृत-कृत करो, करवाओ भव पार।*
*स्वामी तिहरी कृपा का, नहीं आदि अरु अंत।*
*स्वामी तव ब्रह्मांड के, महिमा अतुल अनंत।।*

*प्रवीण त्रिपाठी, 03 जुलाई 2019* *विघ्नहारी प्रभात,*

*जगन्नाथ हे नाथ प्रभु, खड़े आपके द्वार।*
*दे दर्शन कृत-कृत करो, करवाओ भव पार।*
*स्वामी तिहरी कृपा का, नहीं आदि अरु अंत।*
*स्वामी तव ब्रह्मांड के, महिमा अतुल अनंत।।*

*प्रवीण त्रिपाठी, 03 जुलाई 2019*

*विघ्नहारी प्रभात,* *जगन्नाथ हे नाथ प्रभु, खड़े आपके द्वार।* *दे दर्शन कृत-कृत करो, करवाओ भव पार।* *स्वामी तिहरी कृपा का, नहीं आदि अरु अंत।* *स्वामी तव ब्रह्मांड के, महिमा अतुल अनंत।।* *प्रवीण त्रिपाठी, 03 जुलाई 2019*

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Pravin Tripathi

*नवल प्रभात,*

*हनुमत भारत भूमि से, दूर करो आतंक।*
*निर्मल हर इक हिय रहें, धुल जायें सब पंक।।*
*हिंसा में को भी जुटे, उन पर करो प्रहार।*
*स्थापित फिर से शांति हो, करना यह उपकार।।*

*प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, 02 जुलाई 2019* *नवल प्रभात,*

*हनुमत भारत भूमि से, दूर करो आतंक।*
*निर्मल हर इक हिय रहें, धुल जायें सब पंक।।*
*हिंसा में को भी जुटे, उन पर करो प्रहार।*
*स्थापित फिर से शांति हो, करना यह उपकार।।*

*प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, 02 जुलाई 2019*

*नवल प्रभात,* *हनुमत भारत भूमि से, दूर करो आतंक।* *निर्मल हर इक हिय रहें, धुल जायें सब पंक।।* *हिंसा में को भी जुटे, उन पर करो प्रहार।* *स्थापित फिर से शांति हो, करना यह उपकार।।* *प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, 02 जुलाई 2019*

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Pravin Tripathi

*प्रदत्त चित्र पर एक रचना प्रस्तुत करने का प्रयास ....*

*अंतिम पग आने से पहले,साथ चलेंगे हम मिलकर।*
*जीवन संध्या याद न कर के, सुख-दुख बाँटें हम मिलकर।1*

*जैसे साथ गुजारा अब तक, वैसे बाकी गुजरेगा।*
*दिनकर से ले सदा प्रेरणा, खुशी बिखेरें हम मिलकर।2*

*लिया हाथ हाथों में उस दिन, मन में था इक दृढ़ निश्चय।*
*जीवन झंझावातों से भी,हरदम जूझें हम मिलकर।3*

*रिश्ते-नाते हुए लुप्त अब, पास न कोई आज यहाँ।*
*जो सन्नाटा है जीवन में, दूर भगायें हम मिलकर।4*

*अंतहीन चाहे हो रस्ता, कभी नहीं घबरायेंगे।*
*सुखमय घड़ियाँ याद करें अरु, चलते जायें हम मिलकर।5*

*कोसे नहीं समय को प्रतिदिन, बस अपने में रहें मगन।*
*झोली में डाले जो दाता, उसे बटोरें हम मिलकर।6*

*साथ छोड़ दे भले जगत यह, प्रियतम का बस संग रहे।*
*बीतेगा यह बाकी जीवन, खुशी मनायें हम मिलकर।7*

*प्रवीणशंकर त्रिपाठी, नोएडा, 26 जून 2019*

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Pravin Tripathi

_*पितृ दिवस पर सभी पिताओं को समर्पित कुछ दोहे...*_ 

 *देवतुल्य है हर पिता, वह जीवन का मूल।* 
 *वह पराग के तुल्य है, जिससे खिलते फूल।।1* 

 *संतति को देता सदा, गहन वृक्ष सम छाँव।* 
 *कष्ट न हो संतान को, खुद लग जाता दाँव।।2* 

*पर्दे के पीछे करे, संतति के सब काम।*
*देकर उनको हर खुशी, करता वह विश्राम।।3*

*जीवन की हर जटिलता, करता रहता  दूर।*
*बिन पाले वह लालसा, दे ख़ुशियाँ भरपूर।।4*

*संकट यदि हो सामने, बन जाता दीवार।*
*दृढ़ता से वह हो खड़ा, सह लेता हर वार।।5*

*सही गलत में फर्क कर, दिखलाता वह राह।*
*बच्चे गलती मत करें, इतनी रखता चाह।6*

 *ऊपर से वह शुष्क अरु, दिखता बहुत कठोर।* 
 *अंदर सागर नेह का, लेता सदा हिलोर।।7* 

 *प्रेम प्रदर्शन कर सके, पितु का नहीं स्वभाव।* 
 *आवश्यकता पूरी करे, खुद सह सर्व अभाव।।8* 

*अनुशासन की नींव को, पिता करे मजबूत।*
*संयम से कैसे जियें, दे खुद नित्य सुबूत।।9*

*शुद्ध विचारों से सदा, जीवन बने पवित्र।*
*देकर दंड उलाहना, संयत करे चरित्र।।10*

*मातु पिता समतुल्य हैं, सच्ची है यह बात।*
*दोनो परम अमूल्य हैं, माता हो या तात।।11*

*जीवन के संग्राम में, पिता सदा है साथ।*
*हिम्मत देता है हमें, और पकड़ता हाथ।।12*

*माता संस्कारित करे, समझे अपना अंग।*
*रह अदृश्य हरदम पिता, सदा जिताता जंग।।13*

*बच्चों को शिक्षा दिला, दिखलाता वह  राह।*
*बच्चे बस उन्नति करें, मन में रखता चाह।।14*

*ऋण न चुका पाये कभी, हो कोई संतान।*
*वृद्धावस्था में मिले, बस थोड़ा सा मान।।15*

*प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, 16 जून 2019* _*पितृ दिवस पर सभी पिताओं को समर्पित कुछ दोहे...*_ 

 *देवतुल्य है हर पिता, वह जीवन का मूल।* 
 *वह पराग के तुल्य है, जिससे खिलते फूल।।1* 

 *संतति को देता सदा, गहन वृक्ष सम छाँव।* 
 *कष्ट न हो संतान को, खुद लग जाता दाँव।।2*

_*पितृ दिवस पर सभी पिताओं को समर्पित कुछ दोहे...*_ *देवतुल्य है हर पिता, वह जीवन का मूल।* *वह पराग के तुल्य है, जिससे खिलते फूल।।1* *संतति को देता सदा, गहन वृक्ष सम छाँव।* *कष्ट न हो संतान को, खुद लग जाता दाँव।।2*

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Pravin Tripathi

*सुप्रभात,*

*अनुशासन की नींव को, पिता करे मजबूत।*
*संयम से कैसे जियें, दे खुद नित्य सुबूत।।9*
*शुद्ध विचारों से सदा, जीवन बने पवित्र।*
*देकर दंड उलाहना, संयत करे चरित्र।।10*

*प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, 14 जून 2019*

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Pravin Tripathi

*विगत सप्ताह  _माँ_   पर सृजित दोहों का संकलित रूप। सुधार के लिए सुझाव का प्रार्थी हूँ....*

*अम्मा मैया मातु सब, जननी के हैं नाम।*
*माता बिन कब बन सका, जग में कोई काम।।1*
*माता जीवनदायिनी, माता सुखद फुहार।*
*संतति संकट में पड़े, लेती सदा उबार।।2*
 *माता पालनहार है, ममता की प्रतिमूर्ति।* 
 *खुद से पहले वह करे, सबकी इच्छापूर्ति।।3* 
 *मैया का ऋण है बड़ा, उऋण न होगे आप।* 
 *उसके ही आशीष से, बढ़ता पुण्यप्रताप।।4* 
*माता का पद ब्रह्म सम, माता अम्ब समान।* 
 *माता के आशीष बिन, हो न सके कल्यान।।5* 
 *जननी है जगवाहिनी, मैया पालनहार।* 
 *माता की लें चरण रज, होगा बेड़ा पार।।6* 
*संस्कारों के बीज बो, संतति पाले मात।*
*रचती दृढ़ व्यक्तित्व माँ, खटती है दिन रात।।7*
*जीवन झंझावात से, जननी लड़ती नित्य।*
*संतानें जब हों सफल, होती वह कृत कृत्य।।8*
*निज संतति फूले-फले, रखे यही मन आस।*
*करे निछावर वह सभी, जो है उसके पास।।9*
*वो विचलित होती नहीं, भले कठिन हो राह।*
*बच्चों पर विपदा न हो, हर जननी की चाह।।10*
*खुद निर्धनता में रही, पर पहनाया ताज।*
*चुका सकेंगे क्या कभी, ऋण को बच्चे आज।।11*
*भूलें मत कर्तव्य हम, माँ का हो सम्मान।*
*उनकी लाठी हम बनें, चले यही अभियान।।12*
*यत्न करें कितना भले, जीवन भर हमलोग।*
*चुका न पायें मातृ ऋण, भले करें उद्योग।।13*
*नतमस्तक हों हम सभी, करके माँ की याद।*
*प्रथम मातृ सम्मान हो, बाकी उसके बाद।।14*
*पीकर जिसका दूध हम, हुए बड़े बलवान।*
*करें नमन उस मातु को, मनुज और भगवान।।15*

*प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, 10 जून 2019*

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Pravin Tripathi

*मनोरम रविवार,* 

*खुद निर्धनता में रही, पर पहनाया ताज।*
*चुका सकेंगे क्या कभी, ऋण को बच्चे आज।।11*
*भूलें मत कर्तव्य हम, माँ का हो सम्मान।*
*उनकी लाठी हम बनें, चले यही अभियान।।12*

*प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, 09 जून 2019* *मनोरम रविवार,* 

*खुद निर्धनता में रही, पर पहनाया ताज।*
*चुका सकेंगे क्या कभी, ऋण को बच्चे आज।।11*
*भूलें मत कर्तव्य हम, माँ का हो सम्मान।*
*उनकी लाठी हम बनें, चले यही अभियान।।12*

*प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, 09 जून 2019*

*मनोरम रविवार,* *खुद निर्धनता में रही, पर पहनाया ताज।* *चुका सकेंगे क्या कभी, ऋण को बच्चे आज।।11* *भूलें मत कर्तव्य हम, माँ का हो सम्मान।* *उनकी लाठी हम बनें, चले यही अभियान।।12* *प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, 09 जून 2019*

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Pravin Tripathi

*शुभ सप्ताहांत,*

*निज संतति फूले-फले, रखे यही मन आस।*
*करे निछावर वह सभी, जो है उसके पास।।9*
*वो विचलित होती नहीं, भले कठिन हो राह।*
*बच्चों पर विपदा न हो, हर जननी की चाह।।10*

*प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, 08 जून 2019* *शुभ सप्ताहांत,*

*निज संतति फूले-फले, रखे यही मन आस।*
*करे निछावर वह सभी, जो है उसके पास।।9*
*वो विचलित होती नहीं, भले कठिन हो राह।*
*बच्चों पर विपदा न हो, हर जननी की चाह।।10*

*प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, 08 जून 2019*

*शुभ सप्ताहांत,* *निज संतति फूले-फले, रखे यही मन आस।* *करे निछावर वह सभी, जो है उसके पास।।9* *वो विचलित होती नहीं, भले कठिन हो राह।* *बच्चों पर विपदा न हो, हर जननी की चाह।।10* *प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, 08 जून 2019*

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