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sanjaytiwari5418
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Sanjay Tiwari

मुसाफ़िर

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Sanjay Tiwari

सावन का उल्लास लिखूं या
हैं अंखियां पिय की आस लिखूं
जिनके वियोग दोउ नैना बरसें
उन्हें दूर लिखूं या पास लिखूं
सावन का.....
चमके दामिनि ,हिय आग लिखूं
या कोयल की कूक , विराग लिखूं
पिय मदमस्त है ,अपनी अटरिया
आए जिय ,फूटल भाग लिखूं #बारिश
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Sanjay Tiwari

शुष्कआँखों में अश्क़ आते है
मन व्यथित उदास होता है
खून का हर कतरा मुरीद होता है
जब कोई सीमा पे शहीद होता है

अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि उन 20 वीर जवानों को
जो आज हमारे बीच नहीं रहे #श्रद्धांजलि
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Sanjay Tiwari

वाह रे अंतर्यामी ,तेरी लीला अपरम्पार
जिसे इंसान बचाये उसका तू करे उद्धार
सामंजस्य बिठाना जग को तू ही सिखाये
ये परित्याग करे जिस नारी का तू उसे बचाये
भ्रूण परीक्षण कराके जिसका ये निपात करे
तेरी महामारी  80 ,20 का अनुपात करे
ईश्वर देख रहा  सब ,अपने कृत्यों का फल है
संभलो वक़्त के रहते वरना विनाश अटल है #भ्रूण 
#हत्या
#पाप
#है
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Sanjay Tiwari

तेरे अहसासों की खुशबू के लिए चले आते हैं
तेरे जाने के बाद
वरना इस वीराने में क्या रक्खा है मेरे लिए
फ़क़त तन्हाई और तेरी याद #याद
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Sanjay Tiwari

तेरी इक मुस्कान बचपन की
गई बन नासूर जीवन की
हुआ बावरा बस यूँ घूमूँ
तनिक खबर न पल छिन की #मुस्कान
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Sanjay Tiwari

बादल मेहरबां हुए भी तो इस कदर
एक एक बूंद को ढूंढा किये दरबदर
रिमझिम फुहारों से तन मन तरबतर हुआ
 ये रूह तो प्यासी रही ,वो न मुत्तसिर हुआ
मुत्तसिर -प्रभावित #तृष्णा
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Sanjay Tiwari

तेरी बेवफ़ाई का तोहफा
जतन से सम्हाल रखते है
 धुंध न पड़ जाएं यादें तेरी
अश्क़ों से साफ करते  हैं #यादें
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Sanjay Tiwari

तेरे वा'दे को कभी झूठ नहीं समझूँगा 
आज की रात भी दरवाज़ा खुला रक्खूँगा 
देखने के लिए इक चेहरा बहुत होता है 
आँख जब तक है तुझे सिर्फ़ तुझे देखूँगा 
मेरी तन्हाई की रुस्वाई की मंज़िल आई 
वस्ल के लम्हे से मैं हिज्र की शब बदलूँगा 
शाम होते ही खुली सड़कों की याद आती है 
सोचता रोज़ हूँ मैं घर से नहीं निकलूँगा 
ता-कि महफ़ूज़ रहे मेरे क़लम की हुरमत 
सच मुझे लिखना है मैं हुस्न को सच लिक्खूंगा 
                             शहरयार की कलम से #शुभरात्रि
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Sanjay Tiwari

कोई शिकवा नहीं
गर तुम नहीं हो महफ़िल में
क्या चाँद को कभी
बेवक़्त बाहर निकलते देखा है #चाँद
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Sanjay Tiwari

न जाने क्यूँ नागवार गुजरता है
मेरा हौले से मुस्कराना उन्हें
चाहते हैं मेरी हर खुशी छीन लें
नापसंद है मेरा आना जाना उन्हें
 
बड़ी मोहब्बत है मेरे महबूब को मुझसे
मेरी हर उम्मीद का कत्लेआम करते हैं
मेरे रिन्द जो हैं मेरे लहू के प्यासे
उन्हीं की महफ़िल में वो हर शाम करते हैं
स्वरचित
संजय तिवारी #तन्हाई
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