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saurabhbansal9969
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Saurabh Bansal

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Saurabh Bansal

इस रूठने मनाने मिलने मिलाने में 
एक बात बड़ी अच्छी हुई
उसने कहा मांगो जो चाहो
अब उम्मीद थी बची हुई 💓

—saurabh #Moon
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Saurabh Bansal

एक रोज चोट उसने मेरे साथ की
मुझे बुलाया कहीं, खुद अाई नही
मै इंतेज़ार करता रहा वेसबर उसने न बात की 
मजाक था कह गई , ये बात दिल को भाई नहीं

—saurabh #twilight
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Saurabh Bansal

सारे झमेले में एक बात बड़ी अच्छी है
उसे पता तो लगा मोहब्बत मेरी सच्ची है

saurabh #Hope
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Saurabh Bansal

जाने कब उनकी ये 
 बड़ी सी ना हां में बदलेगी
जाने कब सूखे गुलशन 
में एक कली खिलेगी
किस घड़ी  उनके कांधे पर
 सर होगा मेरा
जाने कब  दिल से दिल 
और बाहों से बाहें मिलेगी

-saurabh. #twilight
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Saurabh Bansal

जाने कब उनकी ये  बड़ी सी ना हां में बदलेगी
जाने कब सूखे गुलशन में एक कली खिलेगी
किस घड़ी  उनके कांधे पर सर होगा मेरा
जाने कब  दिल से दिल और बाहों से बाहें मिलेगी #Dreams
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Saurabh Bansal

#lovebeat
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Saurabh Bansal

#sholay
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Saurabh Bansal

महामारी ना कर पाई वो सियासत कर गई
पांव के छाले देखे न किसी ने संवेदना ही मर गई
लंबे सफर हमारे , क्या पांव थकते नहीं है
घर जाने की जिद है बस इसलिए रुकते नहीं है
हमें घर भेजने के वादे कसमें लाख तुमने कर दिए होंगे
संख्या देख कर हमारी  राजनेता सब मुकर दिए होंगे 
भूखे पेट , नंगे पैर  हाथों में थैले हैं 
कपड़े क्या देखते हो साहेब बहुत मेले हैं
सूटकेस पर , सायकिल पर  , पालने में ये मेरा अपना बच्चा है
ये हाईवे तुम्हारा , रेलवे की लाइन या रास्ता हमारा कच्चा है
जब कोई ट्रक तेज रफ्तार से हमें कुचल देता है
जब किसी पापी नेता का मन राजनीति को मचल देता है
तो तुम्हे हमारी भूख की याद सताती है?
क्या हमारी वेदना तुम्हारे मन की रुलाती है?
भले मानुष कुछ लंगर भी लगाते है
हमारी भूख को अपनी भूख बनाते हैं
कुछ छपास की खातिर ही सही हमें कुछ खिलाते हैं
हमारे घावों को देख चप्पल भी पहनाते है
लेकिन तुमने कभी सोचा है कि हम रोड पर पड़े क्यों है
3 4000 देकर भी  ट्रकों में बोरी के जैसे लदे क्यों है
गांव से शहर दर शहर हम काम की खातिर ही तो जाते हैं
अपना सबकुछ छोड़ कर ये दुर्दशा बस अब पाते हैं
क्या गांव हमें अब अपनाएगा ? काम हमें दिलाएगा?
या फिर मौत से बुरी जिंदगी देने शहर की तरफ लौटाएगा
चाहे खाने के पैकेट मत दो हम पर एहसान मत करो
अपने घर तरफ काम दिला दो बस चाहे सम्मान मत करो
हम मजदूर  हैं राष्ट्रनिर्माता हमें बस गरीब मत मानो
हमारे बिना सब बंद हो जाएगा देखना उन्नति करीब मत मानो

— “सौरभ”       मजदूर #weather
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Saurabh Bansal

महामारी ना कर पाई वो सियासत कर गई
पांव के छाले देखे न किसी ने संवेदना ही मर गई
लंबे सफर हमारे , क्या पांव थकते नहीं है
घर जाने की जिद है बस इसलिए रुकते नहीं है
हमें घर भेजने के वादे कसमें लाख तुमने कर दिए होंगे
संख्या देख कर हमारी  राजनेता सब मुकर दिए होंगे 
भूखे पेट , नंगे पैर  हाथों में थैले हैं 
कपड़े क्या देखते हो साहेब बहुत मेले हैं
सूटकेस पर , सायकिल पर  , पालने में ये मेरा अपना बच्चा है
ये हाईवे तुम्हारा , रेलवे की लाइन या रास्ता हमारा कच्चा है
जब कोई ट्रक तेज रफ्तार से हमें कुचल देता है
जब किसी पापी नेता का मन राजनीति को मचल देता है
तो तुम्हे हमारी भूख की याद सताती है?
क्या हमारी वेदना तुम्हारे मन की रुलाती है?
भले मानुष कुछ लंगर भी लगाते है
हमारी भूख को अपनी भूख बनाते हैं
कुछ छपास की खातिर ही सही हमें कुछ खिलाते हैं
हमारे घावों को देख चप्पल भी पहनाते है
लेकिन तुमने कभी सोचा है कि हम रोड पर पड़े क्यों है
3 4000 देकर भी  ट्रकों में बोरी के जैसे लदे क्यों है
गांव से शहर दर शहर हम काम की खातिर ही तो जाते हैं
अपना सबकुछ छोड़ कर ये दुर्दशा बस अब पाते हैं
क्या गांव हमें अब अपनाएगा ? काम हमें दिलाएगा?
या फिर मौत से बुरी जिंदगी देने शहर की तरफ लौटाएगा
चाहे खाने के पैकेट मत दो हम पर एहसान मत करो
अपने घर तरफ काम दिला दो बस चाहे सम्मान मत करो
हम मजदूर  हैं राष्ट्रनिर्माता हमें बस गरीब मत मानो
हमारे बिना सब बंद हो जाएगा देखना उन्नति करीब मत मानो

— “सौरभ”       मजदूर #migrants
#workers_on_road
#corona
#who
#pm
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Saurabh Bansal

उन्हें रो रो कर हर बार 
दिल का हाल सुनाते थे
वो जाने कैसे तल्ख मिजाज,
 बेरुखी से मना कर जाते थे
जो देखा मैंने कभी 
करीब  जाकर  उनके रूह के
वो भी मुझसे हर इनकार पर 
हर दफा अपने  आंसू छिपाते थे

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